नई दिल्ली: बडगाम के कश्मीरी कार्यकर्ता जावेद बेग ने जिनेवा में UNHRC के 57वें सत्र में गिलगित बाल्टिस्तान के लोगों पर पाकिस्तान के अत्याचारों को उजागर किया. पिछले सात दशकों में यह पहली बार था कि गिलगित बाल्टिस्तान के लोगों की दुर्दशा का मुद्दा कश्मीर के किसी भारतीय कार्यकर्ता ने संयुक्त राष्ट्र के मंच पर उठाया गया. बता दें कि गिलगित बाल्टिस्तान पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) का हिस्सा है.
जावेद बेग ने जिनेवा में कहा ‘गिलगित-बाल्टिस्तान या POGB में लोगों की दुर्दशा बेहद परेशान करने वाली है. यह क्षेत्र गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन, प्रणालीगत उत्पीड़न और पाकिस्तानी अधिकारियों द्वारा गंभीर दमन से पीड़ित है. यह पाकिस्तान का एकमात्र शिया और इस्माइली बहुल प्रशासनिक क्षेत्र है, स्थानीय आबादी व्यापक भेदभाव और हाशिए पर है. जबरन गायब किए जाने, न्यायेतर हत्याओं और मनमाने ढंग से हिरासत में लिए जाने की कई रिपोर्टें मिली हैं.’
उन्होंने UNHRC के 57वें सत्र में आगे बताया कि अनुचित टैक्स और संसाधन दोहन के खिलाफ पीओजीबी में हाल ही में विरोध प्रदर्शनों में वृद्धि का सामना सुरक्षा बलों द्वारा क्रूर दमन से किया गया है. पाकिस्तानी शासन की प्रतिक्रिया असहमति को दबाना, कार्यकर्ताओं को चुप कराना और बुनियादी स्वतंत्रता को कम करना रही है, जो मानवाधिकारों के हनन के एक परेशान करने वाले पैटर्न को उजागर करती है.
जावेद ने UNHRC में गुहगार लगाई कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को POGB में लोगों की पीड़ा को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. इन मानवाधिकार उल्लंघनों में पाकिस्तानी राज्य की निष्क्रियता और सक्रिय भागीदारी तत्काल ध्यान देने की मांग करती है. हमें पाकिस्तान से अपनी दमनकारी नीतियों को समाप्त करने, मानवाधिकारों के हनन के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करने और अपने सभी नागरिकों की गरिमा और अधिकारों को बनाए रखने का आह्वान करना चाहिए.