अब रातों-रात करोड़पति बनेगे पत्रकारिता का दामन थामने वाले ख़ास कर्मी ? आर्थिक समस्या और तनाव से जूझ रहे खबरी लालों के लिए “वर्कशॉप” , पत्रकार सहायकों, सूचना संग्राहकों , समाचार संप्रेषको और सूचना सहायकों की आय बढाने के लिए कारगर नुस्खा बताया जायेगा “वर्कशॉप” में , रायपुर में 1 मार्च से 10 मार्च के बीच विशेष प्रशिक्षण , योग्यता और मापदंड में खरे उतरने वालों का प्लेसमेंट भी
रायपुर / आर्थिक समस्या से जूझ रहे खबरी लालों के लिए अपना भविष्य सवारने का सुनहरा मौका सामने आया है | रायपुर में इन्हे 1 मार्च से 10 मार्च के बीच विशेष प्रशिक्षण प्रदान कर उन्हें पत्रकार बनने के गुर सिखाए जाएंगे | इस प्रशिक्षण में पत्रकार सहायक, सूचना संग्राहाक, समाचार संप्रेषक और सूचना सहायक शामिल होंगे | दरअसल कई कर्मी आर्थिक समस्याओ को लेकर तनावग्रस्त हो गए है | उनके सामने अपनी रोजी-रोटी और आजीविका का संकट पैदा हो गया है | ऐसे कर्मी लगातार अपनी आपबीती जाहिर कर मदद की गुहार लगा रहे है |
उनकी दलील है कि गैर छत्तीसगढ़ियाँ पत्रकारों ने उनके पेट पर ऐसा लात मारा है कि रोजगार के लिए उन्हें दर-दर की ठोकरे खानी पड़ रही है | उनके चलते कुछ कालातीत कर्मियों का तो जीना मुहाल हो गया है | ऐसे कर्मियों की गुहार के मद्देनजर उन्हें प्रशिक्षित करने के कदम उठाए जा रहे है | जल्द ही उनके लिए खास वर्कशॉप आयोजित की जा रही है | इसमें शामिल होने वाले हितग्राहियों के लिए उम्र का बंधन नहीं रखा गया है | ताकि नौजवानों से लेकर बुजुर्ग और कालातीत हो चुके कर्मी हिस्सा लेकर अपना भविष्य संवार सके | जल्द ही इस वर्कशॉप के लिए रजिस्ट्रेशन और प्रक्रिया प्रकाशित की जाएगी |
रायपुर में पहली बार हो रही इस वर्कशॉप में देश-प्रदेश के करोड़पति पत्रकार रातो-रात करोड़पति बनने के नुस्खे बताएंगे | इस वर्कशॉप में कर्मियों को तनावमुक्त रहने , कुंठित मानसिकता से बचने , ईर्ष्यालु और कटुता भरी भाषावली त्यागकर सुसंगत शब्द प्रयोग , बड़ी और सकारात्मक सोच विकसित करने , आचार-व्यवहार , शिष्टाचार ,पहनावा ,कायदे-कानून , समाचार संकलन की उन्नत विधा , साक्षात्कार और खबर बनाने के निर्धारित मापदंड के साथ साथ पत्रकारिता के मूल्यों से परिचित कराकर एक जागरूक पत्रकार बनाने में मदद की जाएगी | वर्कशॉप में शामिल होने वालों के कानों में जलों नहीं बल्कि बराबरी करो का मंत्र फूंका जायेगा | उन्हें कामयाब पत्रकारों ,उद्योगपतियों , कारोबारियों , नौकरशाहों और राजनेताओं की संपन्नता से भी परिचित कराया जायेगा |
इस वर्कशॉप के विभिन्न सत्र में एक पत्रकार के रूप में ढलने और अपने कर्तव्यों के साथ पत्रकारिता करने से रूबरू भी कराया जायेगा | उन्हें यह बताया जायेगा कि किसी भी पेशे में कोई शख्स रातों-रात लखपति या करोड़पति नहीं बनता | इसके लिए उसे अपने पेशे के प्रति कर्तव्य , निष्ठा , इज्जत- मान मर्यादा और समर्पण का ठोस रूप से पालन करना होता है | पत्रकारिता में शॉर्टकट का कोई रास्ता नहीं होता | एक “कलमकार” कठोर जप-तप के बाद “पत्रकार” बनता है | उसे पत्रकार का दर्जा कोई संस्थान नहीं बल्कि “जनता” देती है | उन्हें बताया जायेगा कि कोई भी संस्थान मीडिया कर्मी की भर्ती रिपोर्टर-संवाददाता के रूप में करता है | लेकिन अपनी कलम और ज्ञान का लोहा मनवा कर यही शख्स “पत्रकार” बनकर जनता के बीच विश्वास अर्जित करता है |
बताया जाता है कि रायपुर में जागरूक पत्रकारों की तुलना में बड़ी तादाद पत्रकार सहायक, सूचना संग्राहक, समाचार संप्रेषक और सूचना सहायकों की बड़ी फौज है | ये फ़ौज पत्रकारों की शान-शौकत और संपन्नता देखकर कुंठित और तनावग्रस्त हो गई है | नौकरशाही और राजनेताओं के दरबार में इन कर्मियों को भीकमचंद-मांगीलाल के नाम से जाना पहचाना जाता है | ये फ़ौज अपनी लेखनी से नहीं बल्कि पत्रकारिता के नाम पर “उपकृत” करने वालों के प्रचार-प्रसार और गुणगान में जुटी रहती है | इस फ़ौज में ज्यादातर ऐसे हितग्राही शामिल है , जो पत्रकारों का आभा मंडल देखकर इस पेशे की ओर आकर्षित हुए है | इस फ़ौज ने पत्रकारिता का प्रशिक्षण तक नहीं लिया है | ज्यादातर कर्मी मैट्रिक पास भी नहीं है | लेकिन पत्रकारों जैसा चोला ओढ़कर अपनी रोजी रोटी के लिए हाथ-पांव मार रहे है | अकुशलता और अल्प ज्ञान की वजह से यह फ़ौज एक ओर जहां उन्नति और विकास के पथ से भटक गई , वही संपन्न पत्रकारों को देखकर कुंठाग्रस्त भी हो गई | पीड़ितों के समक्ष नेतृत्व का संकट भी रहा | नतीजतन यह वर्ग अच्छा पत्रकार बनने और उनकी बराबरी करने के बजाय कुंठाग्रस्त हो गया |
बताया जाता है कि छत्तीसगढ़ियाँ और गैर छत्तीसगढ़ियाँ का राग छेड़ने वाले जिस शख्स ने इस मुद्दे को हवा दी वो खुद भी पत्रकारिता की आड़ में सरकारी जमीन के अवैध कब्जो को लेकर सुर्ख़ियों में रहा है | इस शख्स ने रायपुर में मोतीबाग स्थित जन संपर्क विभाग के पुराने कार्यालय परिसर के एक हिस्से में कब्जा करने की भरपूर कोशिश की थी | यहां उसने एक अख़बार-मैग्जीन का दफ्तर खोलकर कई महीनों तक जमीन कब्जाने का प्रयास किया था | हालांकि उसके अरमानों पर पानी उस समय फिर गया , जब नियम कायदों के तहत तत्कालीन अधिकारियों ने उसका अवैध कब्जा हटा दिया था |
यही नहीं कालातीत हो चूका यह समाचार संप्रेषक सरकार से “उपकृत” होने वालों की सूची में अव्वल नंबर पर है | पिछली सरकार के कार्यकाल में यह शख्स जब बीमार पड़ा था तो उसके इलाज के लिए पत्रकारों ने काफी मदद की थी | रायपुर-भिलाई में इसके इलाज के लिए जनसंपर्क के पत्रकार कल्याण कोष से आर्थिक सहायता स्वीकृत कराई गई थी | यह शख्स अब अपनी रोजी-रोटी के लिए एक बार फिर जोर मार रहा है | इस बार उसने छत्तीसगढ़ियाँ – गैर छत्तीसगढ़ियाँ का राग छेड़कर नया शिगूफा छेड़ा है | फ़िलहाल उम्दा पत्रकारों की मौजूदगी और उनकी लेखनी से छत्तीसगढ़ की पत्रकारिता जन आकांक्षाओं पर खरी उतर रही है |