Site icon News Today Chhattisgarh

अब इस देश में एक लाख का नोट , लेकिन अर्थव्यवस्था ऐसी गिरी की इससे भी मिलेगा केवल दो किलो आलू , अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इस देश की करंसी ऐसी गिरी की हो गई चारों खाने चित्त , नोट छापने के लिए भी पडोसी देश का लेना पड़ रहा है सहारा  

नई दिल्ली / डॉलर की तुलना में भारतीय रुपया अभी भी बाजार में ताल ठोककर खड़ा है | लेकिन दुनिया के कई देशों में अर्थव्यवस्था इस कदर गिर चुकी है कि वहां हाहाकार मचने लगा है | अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उन देशों की मुद्रा तेजी से लड़खड़ाकर गिर रही है | नतीजतन नागरिकों को खाने पीने की चीजों के लिए ना केवल पसीना बहाना पड़ रहा है , बल्कि उसे पाने के लिए अपराधों का भी सहारा लेना पड़ रहा  है | बेकाबू महंगाई के चलते लोगों का जीना मुहाल हो गया है | मामला वेनेजुएला का है | ये देश कभी बेहद अमीर देश हुआ करता था लेकिन आज इस देश की करेंसी की कीमत रद्दी के बराबर रह गई है | इस देश में महंगाई की दर इतनी ज्यादा है कि लोग एक कप चाय या कॉफी के लिए बैग भरकर नोट दुकानों तक ले जा रहे हैं | नोटों की ढुलाई को लेकर लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है | हालत ये है कि नोटों से भरे बैग को देखकर कई इलाकों में लूटपाट की घटनाएं उफान पर है |  अब इस दिक्कत को दूर करने के लिए वेनेजुएला की सरकार एक बार फिर बड़ा नोट जारी करने जा रही है.  यह नोट एक लाख का होगा | हालांकि इस देश में नोट छापने के लिए कागज भी मौजूद नहीं है | ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, कैश की किल्लत के चलते वेनेजुएला बैंक नोट पेपर भी पडोसी देशों से मंगा रहा है |

जानकारी के मुताबिक वेनेजुएला अब तक एक इटालियन कंपनी से 71 टन सिक्योरिटी पेपर खरीद चुका है. वेनेजुएला का केंद्रीय बैक अब 1,00000 बोलिवर का नोट जारी करने जा रहा है. ये अब तक का सबसे बड़े मूल्य का नोट होगा. हालांकि, एक लाख बोलिवर के नोट की कीमत सिर्फ 0.23 डॉलर ही रहेगी. यानी इससे भी केवल दो किलो आलू ही खरीद सकेंगे | यह जानकर लोग हैरत में पड़ गए है | वेनेजुएला में पिछले साल महंगाई दर एक अनुमान के मुताबिक 2400 फीसदी थी. इससे पहले भी, वेनेजुएला की सरकार ने 50,000 बोलिवर के नोट छापे थे. अब वेनेजुएला इससे भी बड़े नोट लाने की तैयारी कर रहा है.

वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था लगातार सातवें वर्ष मंदी का सामना कर रही है. इस साल कोरोना महामारी और तेल से होने वाले राजस्व में कमी की वजह से वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था का आकार 20 फीसदी तक सिकुड़ सकता है. करेंसी को स्थिर करने के लिए सरकार ने अपने नोटों से जीरो कम कर दिए थे लेकिन सारी कोशिशें नाकाम रहीं | कोरोना काल में इस देश में तमाम विकास योजनाएं ठप्प हो चुकी है | सरकारी खर्च तक के लिए तिजोरी में रकम नहीं है | बैंकों में भी विदेशी मुद्रा समाप्त हो चुकी है | 

2014 में अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत घटने के बाद वेनेजुएला समेत कई देश प्रभावित हुए. वेनेजुएला के कुल निर्यात में 96% हिस्सेदारी अकेले तेल की है. चार साल पहले तेल की कीमत पिछले 30 साल के सबसे निचले स्तर पर आ गई थी. वित्तीय संकट की वजह से सरकार लगातार नोट छापती रही जिससे हाइपर मुद्रास्फीति की स्थिति पैदा हो गई और वहां की मुद्रा बोलिवर की कीमत लगातार घटती रही | लेकिन कोरोना काल में अब इस देश की अर्थव्यवस्था पाताल में धंस चुकी है | वेनेजुएला के राष्ट्रपति मदुरो अपने देश की आर्थिक खस्ताहाली के लिए ओपेक (तेल उत्पादक देशों का समूह) देशों के प्रतिबंधों को जिम्मेदार ठहराते हैं | हालांकि  मदुरो के आलोचकों का कहना है कि दो दशकों तक मदुरो के शासनकाल में फैली अव्यवस्था और भ्रष्टाचार की वजह से देश की ऐसी हालत हुई है |  

साल 2017 से ही वेनेजुएला में मंहगाई लगातार बढ़ रही है. अधिकतर लोग जरूरत की सामान भी नहीं खरीद पा रहे हैं. शाम होते ही दुकानों में लूटपाट भी शुरू हो जाती है. 4 अंकों की मुद्रास्फीति की वजह से वेनेजुएला की मुद्रा का अब कोई मोल नहीं रह गया है. उपभोक्ता या तो प्लास्टिक या इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर करने को मजबूर हैं या फिर डॉलर का रुख कर रहे हैं. लेकिन बसों समेत कई सुविधाओं के लिए बोलिवर्स में ही भुगतान जरूरी है

वेनेजुएला में महंगाई का आलम यह है कि एक किलो मीट के लिए लाखों बोलिवर चुकाने पड़ रहे हैं. गरीबी और भुखमरी से बचने के लिए करीब 30 लाख लोग वेनेजुएला छोड़कर ब्राजील, चिली, कोलंबिया, एक्वाडोर और पेरू जैसे देशों में जाकर बस गए हैं. 33 वर्षीय रिनाल्डो रिवेरा भी अपनी पत्नी और 18 महीने के बेटे को लेकर वेनेजुएला छोड़कर चले गए हैं. उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया, वेनेजुएला में आप पूरे महीने काम करके सिर्फ दो दिन खा सकते हैं. यह जीने और मरने का सवाल था, या तो हम देश छोड़ते या फिर भूख से मर जाते |’

Exit mobile version