पैक्ड फूड खाना हर किसी को पसंद होता है. लेकिन अब सरकार ने पैकेज्ड फूड कंपनियों पर कड़ी निगरानी रखी है और उन्हें फूड लेबल, पैकेजिंग और प्रमोशनल मैटिरियल पर 100% का दावा बंद करने का निर्देश दिया है. इसने ऐसे दावों को “उपभोक्ताओं को गुमराह करने वाला, अस्पष्ट और गलत डिफाइन करने का शिकार बताया है.
28 मई को जारी काउंसलिंग में Food Safety and Standards Authority of India (FSSAI) ने कहा कि “फूड सेफ्टी अधिनियम के तहत 100% शब्द को किसी भी तरह से परिभाषित या संदर्भित नहीं किया गया है. अभी के समय में कई ब्रांड चॉकलेट, चाय, शहद, बिस्कुट और प्रोटीन पाउडर जैसे प्रोडक्ट बेचते हैं, जिन पर “100% चीनी मुक्त, बाजरा, जई के साथ” जैसे दावे करता है.
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FSSAI ने कहा कि उसके नियम ऐसे किसी भी विज्ञापन या दावे पर “सख्ती से रोक लगाते हैं” जो अन्य कंपनियों को कम में आंकते हैं या भ्रामक तरीके से उपभोक्ता की धारणा को प्रभावित करते हैं. इसने आगे कहा कि नियमों के अनुसार, दावे “सत्य, स्पष्ट और सार्थक होने चाहिए, भ्रामक नहीं होने चाहिए और उपभोक्ताओं को दी गई जानकारी को समझने में मदद करनी चाहिए.
खाद्य नियामक ने 2024 के मध्य में एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें कंपनियों को लेबल और विज्ञापनों से “100% फलों के रस” जैसे दावों को हटाने का निर्देश दिया गया था. इसने कंपनियों को दिसंबर के अंत तक सभी पूर्व-मुद्रित पैकेजिंग सामग्री को खत्म करने का भी निर्देश दिया, जो पैकेज्ड जूस में 100% फलों के रस का दावा करते हैं.
कई ब्रांडों में से एक, डाबर का रियल जूस ब्रांड और FSSAI अभी के समय में इस मुद्दे पर कानूनी विवाद में उलझे हुए हैं. पिछले महीने, FSSAI ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि डाबर के पैकेजिंग पर ‘100% फलों के रस’ का दावा मौजूदा खाद्य सुरक्षा नियमों के तहत अनुमति नहीं है, इसे “उपभोक्ताओं को गुमराह करने वाला” बताया. नियामक ने निर्देश को चुनौती देने वाली डाबर को जवाब दिया था.
