त्रिची / दक्षिण भारत में चुनाव का अलग ही रंग देखने को मिल रहा हैं। इस बार यहां एक नई परंपरा विरोध के स्वर के रूप में अपनी जड़े जमा रही है | दरअसल टिकट कटने पर कई नेता अपनी धोतियां जलाकर विरोध प्रदर्शन कर रहे है | दरअसल दक्षिण भारत के कई इलाकों में धोतियां आज भी सम्मान और अनूठी परंपरा का प्रतीक है | नौजवानों हो या बुजुर्ग , हर कोई धोतियां लपेटकर अपनी परंपरागत वेशभूषा में नजर आता है | यहां गिने चुने लोग ही फूल पेंट या अन्य कोई वस्त्र पहने नजर आते है | धोतियाँ यहां सम्पन्नता और शान की प्रतीक है | हालांकि कोरोना के संक्रमण के मद्देनजर चुनाव कार्यालयों में कभी प्रत्याशी पीपीई किट पहनकर नामांकन भरने पहुंचते हैं तो कभी सोने के जेवरात से लदकर नामांकन भरने जा रहे है | इस बीच विरोध प्रदर्शन भी एक अनूठा सिलसिला शुरू हो गया है | कई इलाकों में स्थानीय नेता टिकट कटने पर धोती जलाओं प्रदर्शन का हिस्सा बन रहे है | ऐसे प्रदर्शन चर्चा का विषय बने हुए है | ताजा मामला तमिलनाडु राज्य के त्रिची में देखने को मिला। यहां टिकट कटने पर एक नेता ने प्रदर्शन करते हुए एक-दो नहीं बल्कि अपनी सारी धोतियां आग के हवाले कर दी | इस दौरान उसके सैकड़ों समर्थक भी प्रदर्शन में शामिल रहे | तमिलनाडु में खादी की सफेद शर्ट, और पार्टी के रंग के साथ धोती राजनेताओँ की पारंपरिक वेशभूषा मानी जाती है।
सूबे में एक ही चरण में 6 अप्रैल को 234 सीटों के लिए मतदान होना है। यहां पिछले 10 साल से जयललिता की पार्टी ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम यानी AIADMK का शासन है। सत्तासीन AIADMK के 135 सीट के मुकाबले पिछले चुनाव में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम यानी DMK को सिर्फ 88 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था। कांग्रेस को आठ सीटें मिली थी जबकि भाजपा का खाता भी नहीं खुल सका था। इस बार के विधानसभा चुनाव में अन्नाद्रमुक और भाजपा का गठबंधन हुआ है | उसका मुकाबला द्रमुक और कांग्रेस गठबंधन से होगा। दिनाकरण की AMMK, कमल हासन वाली मक्कल निधी मैयम और सेंथामिझन सीमन की तमिलर काची (NTK) प्रदेश की बड़ी पार्टियों का गणित बिगाड़ सकने में समर्थ नजर आ रही है।
बताया जाता है कि वाडाकाड़ू के पंचायत प्रमुख रह चुके कनागराज को उम्मीद थी कि इस बार विधानसभा चुनाव में अलानगुडी सीट से उन्हें टिकट मिलेगी | लेकिन आखिरी वक्त AIADMK ने उनके बजाय कांग्रेस से हाल ही में आए एक नेता को प्रत्याशी बना दिया। उधर टिकट कटने से नाराज कनागराज ने इसकी शिकायत पार्टी फोरम में रखी | लेकिन काफी इंतजार के बाद भी उनकी टिकट पर कोई विचार नहीं किया गया | उन्हें विश्वास था कि उनकी सुनवाई होगी और टिकट बाहरी नेता धर्मा की बजाय उन्हें दिया जाएगा | लेकिन जब AIADMK ने उन्हें टिकट देने से इंकार कर दिया तो नेता जी के सब्र का बांध टूट गया | उन्होंने पार्टी के विरोध में अपनी सारी धोतियां जलाने के बाद ही दम लिया |