लखनऊ वेब डेस्क / जब कारोबार से लेकर छात्रों की पढ़ाई लिखाई ऑनलाइन तो विधानसभा की कार्रवाई भी क्या ऑनलाइन हो सकती है ? इस पर माथापच्ची शुरू हो गई है | यदि विधानसभा की कार्रवाई ऑनलाइन कर दी जाये तो एक ओर जहाँ विधायक संक्रमण मुक्त रह सकेंगे वही अधिकारीयों, कर्मचारियों और पुलिस को भी संक्रमण का जोखिम कम होगा | यही नहीं इससे सरकार अनावश्यक खर्चों से भी बच जाएगी | विधानसभा की ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू करने को लेकर उत्तरप्रदेश में मंथन का दौर जारी है | यदि सब कुछ ठीक ठाक रहा तो विधानसभा का अगला सत्र ऑनलाइन हो सकता है |
देश में अब ऑनलाइन कारोबार और पढाई लिखाई ने जोर पकड़ा है | ऐसे में विधायक भी कहाँ पीछे रहने वाले | वे भी वक़्त के साथ कदमताल करने में जुटे है | दरअसल कोरोना के खतरे को देखते हुए सरकार ने लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने की अपील की है। यहां तक की विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी वैक्सीन ना बनने तक सोशल डिस्टेंसिंग लागू करने के निर्देश दिए है |
लिहाजा वैक्सीन बनने तक ‘माननीय’ को भी संक्रमण से बचाने की मुहिम शुरू हो गई है | क्या सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना वास्तव में आसान है? अगर सोशल डिस्टेंसिंग के नियम लागू रहेंगे तो उत्तर प्रदेश की विधानसभा में सभी विधायकों का बैठना मुश्किल हो जाएगा। ऐसी स्थिति में कुल 403 विधायकों में 200 ही सदस्य सदन में बैठकर सत्र में शामिल हो पाएंगे।
राज्य के विधानसभा स्पीकर ह्दय नारायण दीक्षित ने जानकारी दी कि सभा में इतनी सीट नहीं है कि 403 विधायक सोशल डिस्टेंसिंग के साथ बैठ सकें। हालाँकि उन्होंने ऑनलाइन सत्र की पेचीदगियां भी गिनाई | दीक्षित ने बताया कि सदन के अंदर वाद विवाद होता है, संवाद होता है, सवालों के जवाब दिए जाते हैं। फिलहाल के लिए घर से काम करने की संभावनाएं टटोली जा रही हैं। उन्हें कम ही उम्मीद है कि ऑनलाइन सत्र मूर्त रूप ले पायेगा |
ये भी पढ़े : क्वारेंटाइन सेंटर में महिलाओं के लिए नई समस्या, महिला पर शारीरिक संबंध बनाने पर जोर देने लगे कर्मचारी, शिकायत के बाद FIR दर्ज, पीड़ित महिलाओं ने सुनाई आपबीती -कभी खाना नदेने की धमकी तो कभी जरुरी सामान ना देकर सेक्स के लिए बनाते है दबाव
आइल ऑफ मैन की संसद टाइनवल्ड का दावा है कि दुनिया की सबसे पुरानी संसद की कार्यवाही ऑनलाइन तरीके से काम कर चुकी है। सांसदों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठकें की थीं। चैट बॉक्स के जरिए ये निश्चित किया जाता था कि कौन बोलेगा और हां और ना के जवाब में वोटिंग होती थी। हालांकि टाइनवल्ड के दो चेंबर हुआ करते थे जिसमें एक चेंबर में 24 और दूसरे चेंबर में 11 सदस्य थे। जिससे कुल 500 सदस्यों को संसद में काम करने में आसानी होती थी। फ़िलहाल देखना होगा कि भारतीय संसदीय इतिहास में ऑनलाइन सत्र क्या मूर्त रूप ले पायेगा |