अब अरविंद केजरीवाल के ‘साढ़ू भाई’ CBI के रडार पर, ठेकेदारी वाली खुल गई फाइल, जाने क्या है केस?

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नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बाद अब उनके रिश्तेदारों के खिलाफ भी जांच का दायरा बढ़ता जा रहा है. इनमें पहला नाम अरविंद केजरीवाल के दिवंगत साढ़ू सुरेंद्र कुमार बंसल का है. जिनके खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच अब केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंप दी गई है. सतर्कता निदेशालय के प्रस्ताव के बाद उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने लोक निर्माण विभाग के चार इंजीनियरों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले की जांच सीबीआई को सौंपने को मंजूरी दे दी है.

अधिकारियों ने बताया कि यह मामला मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के एक करीबी रिश्तेदार से जुड़ा है. जिसने कथित तौर पर एक नाले को बनाने के लिए ‘फर्जी और जाली’ चालान के आधार पर पेमेंट हासिल करके कथित तौर पर ‘सरकारी खजाने को अनुचित नुकसान’ पहुंचाया, लेकिन काम कभी पूरा नहीं हुआ. जबकि आम आदमी पार्टी ने इस मामले को मीडिया में ‘सनसनीखेज सुर्खियों’ के लिए ‘गलत तरीके से’ सीएम अरविंद केजरीवाल से जोड़कर ‘उनकी प्रतिष्ठा खराब करने की एक और निराधार कोशिश’ करार दिया है.

सतर्कता निदेशालय द्वारा पेश प्रस्ताव के मुताबिक दिल्ली की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने एक शिकायत की जांच की. जिसके मुताबिक केजरीवाल के साढ़ू कहे जाने वाले सुरेंद्र कुमार बंसल ने अपनी कंपनी के लिए 2015-16 में एनएच-44 की सर्विस रोड के किनारे आरसीसी नाला बनाने और साइड बर्म सुधारने का ठेका लिया था, लेकिन कभी काम नहीं किया. एसीबी ने पाया कि ठेकेदार को भुगतान कथित तौर पर चार पीडब्ल्यूडी इंजीनियरों- एक कार्यकारी अभियंता, एक सहायक अभियंता और दो कनिष्ठ अभियंताओं द्वारा किया गया था.

जिनके खिलाफ 2017 में एक एफआईआर दर्ज की गई थी. जांच पूरी करने के बाद एक ‘आरोप पत्र’ तैयार किया गया. मामले को गंभीर प्रकृति का पाते हुए, निदेशालय ने नवंबर 2023 में केंद्रीय लोक निर्माण विभाग से अभियोजन की मंजूरी मांगी. एसीबी ने कहा कि बंसल बोली में हेरफेर करने में कामयाब रहे और 2.65 करोड़ रुपये में ठेका हासिल किया, जो अनुमानित लागत 4.91 करोड़ रुपये से 46 फीसदी कम था.

यह दावा किया गया कि ठेकेदार ने हरियाणा के सोनीपत स्थित एक कंपनी से कच्चा माल खरीदने के लिए ‘फर्जी और जाली बिल’ जमा किए थे. वहीं आप ने कहा कि ‘इसके बावजूद कि सुरेंद्र कुमार बंसल सीएम अरविंद केजरीवाल के राजनीति में आने से बहुत पहले से ठेकेदार थे और 2017 में उनका निधन हो गया, भाजपा सरकार अभी भी आधारहीन जांच में लगी हुई है.’