“राज दरबारी”, पढ़िए छत्तीसगढ़ के राजनैतिक और प्रशासनिक गलियारों की खोज परख खबर, व्यंग्यात्मक शैली में, लेखक और वरिष्ठ पत्रकार ‘राज’ की कलम से, व्यंग-लेख का मकसद किसी की भी मानहानि नहीं बल्कि कार्यप्रणाली का इज़हार मात्र है… (इस कॉलम के लिए संपादक की सहमति आवश्यक नहीं, यह लेखक के निजी विचार भी हो सकते है)

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अब बलौदा बाजार में खुदाई में निकला ‘हीरा’, 750 एकड़ सरकारी भूमि एक औद्योगिक घराने को सौपने की सुगबुगाहट तेज…

छत्तीसगढ़ में सत्ता और सट्टा एक दूसरे के पूरक बन गए है, कमाई के लिए जरुरी नहीं की नेता और अफसर महादेव ऐप सट्टा जनता को खिलाये, कमाई के नए तौर-तरीके सामने आ रहे है। साय सरकार ऐसे उपक्रमों पर रोक लगाने के लिए जी-तोड़ प्रयास कर रही है। लेकिन तू-डाल-डाल, मैं पात-पात की तर्ज पर चालाक अफसर पूर्ववर्ती कांग्रेस राज की तर्ज पर बीजेपी सरकार की राह में भी घोटालों के गड्ढे खोदने में व्यस्त बताये जाते है। रायपुर में स्वर्ण भूमि वाले एक रियल एस्टेट कारोबारी को बेशकीमती सरकारी जमीन कौड़ियों के दाम आवंटित करने का मामला अभी शांत ही नहीं हुआ कि बलौदाबाजार में एक औद्योगिक घराने को 750 एकड़ सरकारी कृषि भूमि आवंटित करने की एक फाइल के इधर से उधर होने की जानकारी सामने आई है।

सरकारी महकमे में जमीनों को उधर से इधर करने में जुटे चलनशील कर्मी तस्दीक कर रहे है कि हीरा नाम के एक चिर-परिचित औद्योगिक घराने को भी उपकृत करने की नई योजना परवान चढ़ रही है। प्राकृतिक उद्योग-धंधों के लिए यह जमीन भी कौड़ियों के दाम बेचने के लिए तैयार की जा रही है। बताते है कि इस जमीन के बड़े हिस्से पर छोटे झाड़ का जंगल रियल एस्टेट कारोबारियों को फूटी आंख नहीं सुहा रहा है। इसलिए इस जंगल का सफाया कर ‘हीरा’ समूह स्थापित किया जायेगा। इस हीरे से प्रदेश की किस्मत चमकेगी या फिर जनता के हलक में उतर कर यह हीरा उनके प्राण पखेरू ले उड़ेगा, यह तो वक़्त ही बताएगा। फ़िलहाल, राज्य की एक बड़ी जरूरतमंद गरीब आबादी एक अदद झोपड़ी की तलाश में जूझ रही है, जबकि हीरा, चमकाने के लिए प्रभावशील राजनीति अपने शबाब में बताई जाती है।

उद्योगपति डॉक्टरों की नब्ज टटोलने में जुटी एजेंसियां, आईटी-ईडी, सीबीआई और ACB-EOW के नए मरीजों में कई विशेषज्ञ डॉक्टर….

छत्तीसगढ़ में औद्योगिक और व्यवसायी परम्परागत कारोबार को लेकर अक्सर सुर्ख़ियों में बने रहते है। उनका ऊंचाई छूता कारोबार सरकार के लिए औद्योगिक क्रांति लेकर आता है। लेकिन अब इस कारोबार में परंपरागत समुदाय के बजाय डॉक्टरी पेशे का इस्तेमाल जोरो पर बताया जा रहा है। दस्तावेजी प्रमाणों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में भगवान का दर्जा प्राप्त कई डॉक्टरों के क़त्ल खाने दिन दुगुनी रात चौगुनी प्रगति कर रहे है।

उनके उपक्रमों में मल्टीस्पेशलिटी अस्पतालों के साथ-साथ रियल एस्टेट और फाइव स्टार होटलों के कारोबार ने भी अपने पैर जमा लिए है। प्रदेश के कई चर्चित डॉक्टरों की समस्त स्रोत्रों से आय में बड़ा हिस्सा उन चर्चित नौकरशाहों और राजनेताओं का बताया जा रहा है, जिनकी तलाश-शिनाख्ती में आईटी-ईडी, सीबीआई और ACB-EOW जैसी जांच एजेंसियां जुटी बताई जाती है। यह भी बताया जा रहा है कि रायपुर के कचना इलाके में निर्माणाधीन फाइव स्टार होटल में किये गए निवेश को लेकर आईटी-ईडी अलर्ट मोड़ पर है।

बताते है कि आय कर ने इस डॉक्टर के निवेशकर्ताओं और कारोबार की पड़ताल शुरू कर दी है। डॉक्टर के ठिकानों पर हालिया छापेमारी के बाद बड़े पैमाने पर टैक्स चोरी और धन शोधन के नए तौर-तरीकों का पता चला है। आयकर पर नजर रखने वाले एक जानकार तस्दीक कर रहे है कि टैक्स चोरी के ग्राफ के मद्देनजर 100 करोड़ से ज्यादा की पैनाल्टी ठोकी गई है, जबकि 132 करोड़ के भुगतान का फरमान भी सुनाया गया है। बताते है कि डॉक्टरी पेशे में धन-शोधन और ब्लैक मनी की खपत का ग्राफ जोरो पर है। डॉक्टर रूपी भगवान के नए ठिकानों में कई नेताओं और नौकरशाहों की चढ़ोत्तरी का मामला भी जांच के दायरे में बताया जा रहा है।

ऐसे क़त्ल खानों में कई मरीजों की चीख पुकार नक्कारख़ाने में तू-ती की आवाज की तरह गूंज रही है। डॉक्टरी पेशे के लिए सड़क के एक साधारण कमरे से शुरू हुआ अस्पताल का सफर अब आलीशान मल्टीस्पेशलिटी कारोबार में तब्दील हो गया है। मरीजों के खून से सनी ऐसी दर्जनों इमारतों से तो अब प्रदेश के कई घोटालों की बू आना शुरू हो गई है। सूत्र तस्दीक करते है कि सरकारी तिजोरी पर हाथ साफ की गई करोड़ों की नगदी ऐसी ही कई इमारतों की नींव बुलंद करने में खपाई जा रही है।आईटी-ईडी, सीबीआई और ACB-EOW के लिए ऐसे डॉक्टर मुसीबत साबित हो रहे है। डॉक्टर रूपी भगवान के मिशन में पेशेवर उद्योगपति डॉक्टरों का कब्ज़ा देख कर एजेंसियां भी हैरान है। फ़िलहाल, उद्योगपति डॉक्टरों की नब्ज टटोलना एजेंसियों ने शुरू कर दिया है।

हम है तो क्या गम ? नहीं किसी नेता से कम, छत्तीसगढ़ कैडर में ओपी चौधरी मॉडल….

छत्तीसगढ़ में आल इंडिया सर्विस के कई अफसरों पर राजनीति का भूत सवार हो गया है। युवा होने का दम्भ भरने वाले कई अफसरों कों 2005 बैच के आईएएस और रायपुर के पूर्व कलेक्टर ओपी चौधरी की राह सबसे ज्यादा आकर्षित कर रही है। चौधरी की राजनीति उनके दिलों दीमाग़ पर किसी भूत तर्ज पर सवार नजर आ रही है।ऐसे अफसरों ने राजनीति का दामन थामने के लिए हाथ-पैर मारना भी शुरू कर दिया है। उनके क्रियाकलाप देख कर भविष्य की राजनैतिक बुनियाद का दिलचस्प नजारा आने वाले समय लोगों को देखने मिल सकता है। दरअसल नौकरशाही में ओपी चौधरी मॉडल कुछ अफसरों के लिए कॉपी कैट साबित हो रहा है। ऐसे अफसर राजनेता की तर्ज पर खुद को भी फलता-फूलता देखना चाहते है। एक प्रशासनिक और पुलिस के एक उच्चाधिकारी की जोड़ी इन दिनों राजनैतिक गलियारों में चर्चा में है।

दरअसल, दोनों ही अफसर अपने मोबाइल पर मंत्री ओपी चौधरी का वीडियो देखकर खुद को भी उसी तर्ज पर ढालने में जुटे है। दोनों ही अफसरों की राजनैतिक महत्वकांक्षा उफान मारने लगी है, वे भी राजनीति में भाग्य आजमाने की उधेड़ बुन में जुटे हुए है। ऐसे अफसर खुद को फील गुड कराने के लिए ओपी चौधरी स्टाइल अपनाने पर जोर दे रहे है, एक अफसर ने तो अपने बातचीत का तौर तरीका और हाव-भाव ही बदल लिया है। इन दिनों वे मंत्री ओपी चौधरी की स्टाइल में हाव-भाव भरते नजर आते है।

चौधरी के लिबाज की तर्ज पर साहब ने नए कपड़े भी सिलवा लिए है। उन्हें महसूस होने लगा है कि वर्ष 2028 उनके लिए नया पैगाम लेकर आएगा। इसी तर्ज पर एक आईएएस अफसर ने तो नौकरी छोड़ने का मन बना लिया है। उन्होंने राजनैतिक मैदान में कूदने के लिए पंडितों को अपनी जन्मकुंडली दिखाना भी शुरू कर दिया है, जबकि बताते है कि एक अन्य आईपीएस तो ओपी चौधरी की जन्मकुंडली के साथ खुद की जन्मकुंडली का मिलान कराने के लिए शहर के एक प्रसिद्ध ज्योतिष के घर पर सुबह से ही डेरा डाल लिया था।

आईपीएस अफसर के अरमानों को परवान चढाने के लिए पंडित जी ने यज्ञ-हवन कराने की सलाह भी दी है। उन्होंने इस अफसर को अपनी बातचीत का लहजा ठीक करने का फरमान भी सुनाया है। दिलचस्प बात यह है कि ये अफसर भी ओपी चौधरी वर्जन का दीवाना निकला। इन दिनों साहब गजब ढहा रहे है, उनके बोल ओपी चौधरी की तर्ज पर ही फूट रहे है, छत्तीसगढ़ी भाषा पर चौधरी की तर्ज पर उनकी भले ही मजबूत पकड़ ना हो लेकिन अपने चिन्हित क्षेत्र में साहब का दौरा सुर्ख़ियों में बताया जा रहा है। बताते है कि पड़ोसियों से अक्सर अंग्रेजी जुबान में बात करने वाले साहब अचानक टूटी-फूटी छत्तीसगढ़ी भाषा का इस्तेमाल कर रहे है, उन्हें भाषा की जानकारी देने के लिए एक विशेषज्ञ शिक्षक को उपलब्ध कराया गया है। फ़िलहाल, राजनीति में ओपी चौधरी जैसी कामयाबी हर किसी के बुते में नहीं। जनता के करीब पहुंचने पर कुछ एक अफसरों इसका अहसास भी हो चला है।