रायपुर : छत्तीसगढ़ में पदस्थ आईपीएस अधिकारी मुकेश गुप्ता अगले महीने 30 सितम्बर को रिटायर हो जाएगा | 1988 बैच के एडीजी और डीजी पद को लेकर भी विवादों से घिरे गुप्ता किस कुर्सी से विदा होंगे ? इसकी रूप रेखा अंतिम चरणों में है | नौकरी के दौरान अपनी कार्यप्रणाली को लेकर कुख्यात रहे मुकेश गुप्ता को राजैनतिक सरंक्षण आज भी जारी है | नतीजतन पुलिस मुख्यालय में उनकी अंतिम विदाई के लिए तैयारी जोरो पर है | यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो रिटायरमेंट के दिन उनकी कलर फूल विदाई की खबर अभी से आ रही है | संगीन अपराधों की तमाम जाँच रिपोर्टों को धत्ता बताने ,विभागीय जाँच में असहयोग,विभिन्न जाँच कमेटियों और ज्यूडिशियल इन्क्वारी की सिफारिशों को रद्दी की टोकरी में डालने के अलावा अपनी पत्नी डॉक्टर मिक्की मेहता की हत्या जैसे गंभीर अपराध पर एफआईआर दर्ज़ करने की सिफारिशों को हवा में उड़ाने के मामले में उनका कार्यकाल लोगो को सदैव याद रहेगा | राजनैतिक सरंक्षण के चलते कोई आईपीएस अधिकारी आखिर कैसे सविंधान और कायदे -कानूनों की धज्जियाँ उड़ा सकता है | इसका उम्दा उदाहरण एडीजी मुकेश गुप्ता का कार्यकाल बताया जा रहा है |
कई अफसर उनके कार्यकाल को पुलिस संगठन की बेदाग़ छवि का नमूना भी बता रहे है | जबकि कई का मानना है कि गुप्ता के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर पाना बघेल सरकार पर जहाँ प्रश्नचिन्ह लगाता है,वही यह भी बताता है कि गुप्ता को कानून के सरंक्षण के साथ साथ कानून तोड़ने वालो का भी सरंक्षण प्राप्त है | उनका यह भी दावा है कि पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार में जिस तरह से मुकेश गुप्ता की तूती बोलती थी ,ठीक उसी तर्ज़ पर कांग्रेस शासन में भी उनका गठजोड़ है | खासतौर पर कायदे कानूनों से जुड़े नेता, गुप्ता को जिस तरह से गैर क़ानूनी कार्यो में सरंक्षण देते है,वो सबके सामने है | उनके मुताबिक कई गंभीर आरोपों के बावजूद मुकेश गुप्ता के खिलाफ कोई कार्यवाही अभी तक नहीं हुई | ज़ाहिर है,अब कानून को ठेंगा दिखाकर वे रिटायर हो रहे है | साफ़ है कि बघेल सरकार ने उन्हें या तो जानबूझकर परेशान किया या वे बेवजह निशाने पर लिए गए , तभी तो कांग्रेस सरकार के चार साल के कार्यकाल में गुप्ता के खिलाफ ठोस कार्यवाही करने में मुख्यमंत्री बघेल भी नाकामयाब रहे है | आखिर क्यो ? क्या तमाम आरोप झूठे थे ? नाम ना छापने की शर्त पर कई वरिष्ठ अधिकारियो की दलील है कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष और मौजूदा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पिता और माता को अनाधिकृत रूप से भिलाई थाने में तलब किये जाने के बावजूद मुकेश गुप्ता का बाल भी बांका न होना बताता है कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार भी उनकी जेब में है |उधर गुप्ता पर अन्य मामलो में कार्यवाही को लेकर जिम्मेदार अफसर चुप्पी साधे हुए है |
गौरतलब है कि डॉक्टर मिक्की मेहता हत्याकांड की जाँच को लेकर गठित डीजी गिरधारी नायक कमेटी अपनी सिफारिश सालो पहले दे चुकी है| लेकिन गुप्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज़ करने को लेकर सरकार के ही विश्वनीय अफसरों ने ऐसा रोड़ा अटकाया की आज दिनाँक तक यह फाइल अलमारी में कैद है | इस मामले में पीड़ित परिवार न्याय की मांग को लेकर सालो से पुलिस और अदालत के चक्कर काट रहा है | उधर पिछले 20 सालो से अपनी बहन को न्याय दिलाने की जद्दोजहद में जुटे माणिक मेहता की दलील है कि उन्हें अदालत पर भरोसा है | एक दिन वे इन्साफ हासिल करके रहेंगे | उन्होने कटाक्ष करते हुए कहा कि ना मर्दो से मर्दानगी की अपेक्षा करना, उनकी बड़ी भूल थी, लिहजा अब वे क़ानूनी प्रावधानों का पालन करते हुए इंसाफ की लड़ाई जारी रखेंगे। भले ही मुकेश गुप्ता से गठजोड़ करने वाले कितना भी जोर लगा लें ? उनका यह भी कहना है कि पर्याप्त सबूतों के बावजूद मुकेश गुप्ता के खिलाफ हत्या का प्रकरण दर्ज़ न होना,कुछ अफसरों की उनसे सहानुभूति दर्शाता है | इस मामले को राज्य सरकार को गंभीरता से लेना चाहिए |
उधर राजनांदगांव के मदनवाड़ा काण्ड की जाँच के लिए गठित जस्टिस शम्भुनाथ आयोग की रिपोर्ट में दुर्ग रेंज के तत्कालीन आईजी मुकेश गुप्ता की कायरता की दास्तान दर्ज़ है | वर्ष 2009 में मदनवाड़ा के घने जंगलो में पुलिस नक्सली मुठभेड़ हुई थी | इस घटना में राजनांदगाव के तत्कालीन एसपी विनोद चौबे समेत 29 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे | ये सभी मुकेश गुप्ता की गलत रणनीति का शिकार हुए थे | बावजूद इसके गुप्ता के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही करने के बजाए पूर्ववर्ती सरकार ने उन्हें “गैलेंट्री अवार्ड “से पुरस्कृत किया था | जानकारों के मुताबिक मौजूदा कांग्रेस सरकार ने इस मामले की जाँच के लिए न्यायिक आयोग का गठन कर पीड़ित परिवारों को इन्साफ दिलाने का वादा किया था | लेकिन कांग्रेस के ही कानून के रखवालो का हाथ मुकेश गुप्ता के हाथो में नज़र आने से ये मामला कानूनी दांवपेचो में उलझ गया |
अगले महीने 30 सितम्बर 2022 का दिन कांग्रेस के “अब होगा न्याय” और बीजेपी शासन में गैर क़ानूनी काम करने वाले अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने के चुनावी वादे का मूल्याँकन करेगा | छत्तीसगढ़ पुलिस मुख्यालय में एडीजी मुकेश गुप्ता की गर्मजोशी से आमद और तोपों की सलामी के साथ विदाई होगी ? या फिर होगी उसके खिलाफ ठोस वैधानिक कार्यवाही ? इस ओर आम जनता की निगाहे लगी हुई है |