वक्फ अधिनियम में कोई बदलाव नहीं, याचिकाएं झूठी दलीलों पर आधारित, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर किया हलफनामा….

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FILE PHOTO: India's Prime Minister Narendra Modi (L) walks alongside Amit Shah, Indian Home Minister and leader of India's ruling Bharatiya Janata Party (BJP) on the day he casts his vote, outside a polling station during the third phase of the general election, in Ahmedabad, India, May 7, 2024. REUTERS/Adnan Abidi/File Photo

दिल्ली: वक्फ अधिनियम में केंद्र सरकार ने लोक कल्याण की मंशा जाहिर करते हुए सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता के खिलाफ याचिकाओं को खारिज करने की मांग करते हुए केंद्र ने कोर्ट से कहा कि तय कानूनी स्थिति, अदालतें वैधानिक प्रावधान पर रोक नहीं लगाएंगी, मामले पर अंतिम रूप से फैसला करेंगी। इसके साथ ही केंद्र ने साफ किया कि संवैधानिकता का अनुमान संसद की ओर से बनाए गए कानूनों पर लागू होता है।

केंद्र ने हलफनामे में कोर्ट को बताया कि वक्फ कानून के खिलाफ दायर याचिकाएं इस झूठे आधार के साथ लगाई गई हैं कि वक्फ संशोधन के जरिये धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों को सरकार छीन लेगी ? इसे ख़ारिज करते हुए केंद्र ने अपना पक्ष रखा है, सुप्रीम कोर्ट विधायी क्षमता, अनुच्छेद 32 के तहत मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के आधार पर कानून की समीक्षा कर सकता है। संसदीय पैनल की ओर से व्यापक, गहन, विश्लेषणात्मक अध्ययन के बाद संशोधन किया गया है।

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि निजी और सरकारी संपत्तियों पर अतिक्रमण करने के लिए प्रावधानों का दुरुपयोग किया गया है। मुगल काल से पहले स्वतंत्रता-पूर्व काल, स्वतंत्रता-पश्चात काल में, कुल वक्फों की संख्या 18,29,163.896 एकड़ थी। चौंकाने वाली बात यह है कि 2013 के बाद वक्फ भूमि में 20,92,072.536 एकड़ की वृद्धि हुई।

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि विधायी शासन को प्रतिस्थापित करना, विधायिका द्वारा अधिनियमित किया जाना अस्वीकार्य है। वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 वैध है। यह विधायी शक्ति का वैध प्रयोग है। संसद ने अपने अधिकार क्षेत्र में काम करते हुए यह सुनिश्चित किया कि वक्फ जैसे धार्मिक बंदोबस्तों का प्रबंधन किया जाए और उसमें विश्वास बनाए रखा जाए।

केंद्र ने कहा कि ‘याचिकाकर्ताओं का प्रयास न्यायिक समीक्षा के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है’। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि जब वैधता का अनुमान लगाया जाता है तो प्रतिकूल परिणामों के बारे में जाने बिना पूरी तरह से रोक लगा दी जाती है। वक्फ कानून की वैधता को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं का प्रयास न्यायिक समीक्षा के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।