गढ़चिरौलीः महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में बुखार का इलाज कराने डॉक्टर के बजाय पुजारी के पास गए दो छोटे भाईयों की कुछ ही घंटों में मौत हो गई। बच्चे को लेकर परिजन अस्पताल पहुंचे तो बहुत देर हो चुकी थी। समय पर एंबुलेंस नहीं मिलने पर वह शव को कंधे पर रखकर 15 किलोमीटर पैदल चलकर अपने घर पहुंचे। मामला अहेरी तालुका के पत्तीगांव का है।
जानकारी के मुताबिक यह घटना 4 सितंबर को एक सुदूर गांव पट्टीगांव में हुई. जब 6 और 4 साल के दो कम उम्र के भाई 4 सितंबर को बुखार से बीमार पड़ गए. गांव में उचित स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण उनके माता-पिता अपने बच्चों को पारंपरिक इलाज के लिए स्थानीय पुजारी के पास ले गए. पुजारी ने कुछ हर्बल दवाइयां दीं, लेकिन दोनों बच्चों की हालत तेजी से बिगड़ती गई. कुछ ही घंटों में दोनों भाई एक के बाद एक दम तोड़ दिए।
पट्टीगांव को जिमलागट्टा के करीबी स्वास्थ्य केंद्र से जोड़ने वाली कोई पक्की सड़क नहीं होने और उस समय कोई एंबुलेंस सेवा उपलब्ध नहीं होने के कारण माता-पिता के पास अपने बच्चों के शवों को अपने कंधों पर ढोने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. वे जलभराव वाले इलाकों और कीचड़ भरे रास्तों से 15 किलोमीटर तक पैदल चलकर जिमलागट्टा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे. जहां डॉक्टरों ने दोनों बच्चों को मृत घोषित कर दिया.
सूत्रों के मुताबिक इसके बाद अंततः बाद में क्लिनिक में एक एंबुलेंस को बुलाया गया था. लेकिन दुखी माता-पिता ने आगे की सहायता लेने से इनकार कर दिया और पैदल ही घर वापस जाना जारी रखा. गढ़चिरौली जिले में यह घटना कोई अकेली घटना नहीं है. भामरागढ़, एटापल्ली और अहेरी तहसीलों के अन्य दूरदराज के गांवों से भी इसी तरह की त्रासदियां पहले भी सामने आ चुकी हैं. जिससे इन दूरदराज के इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं की भारी कमी की ओर ध्यान आकर्षित हुआ है.