निर्भया के दोषियों को अलग-अलग नहीं होगी फांसी ,  हाईकोर्ट ने खारिज की केंद्र की याचिका , दोषियों के पास सात दिन का समय 

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दिल्ली वेब डेस्क / निर्भया केस में दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार की उस याचिका पर फैसला सुना दिया है, जिसमें दोषियों की फांसी पर रोक के निर्णय को चुनौती दी गई है। याचिका पर फैसला पढ़ते हुए जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने दोषियों को अपने सभी कानूनी विकल्प सात दिन के भीतर उपयोग करने का समय दिया है। साथ ही कोर्ट ने केंद्र की वह याचिका भी खारिज कर दी है जिसमें सभी दोषियों को अलग-अलग फांसी देने की अपील की गई थी। इस याचिका पर रविवार को तीन घंटे से ज्यादा समय तक चली विशेष सुनवाई के बाद पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस दौरान कोर्ट रूम में निर्भया के माता-पिता भी मौजूद रहे।

केंद्र सरकार ने इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि चारों दोषी जुडिशल सिस्टम का गलत फायदा उठा कर फांसी को डालने की कोशिश कर रहे हैं। लिहाजा जिन दोषियों की दया याचिका खारिज हो चुकी है या किसी भी फोरम में उनकी कोई याचिका लंबित नही हैं, उनको फांसी पर लटकाया जाए। किसी एक दोषी की याचिका लंबित होने पर बाकी 3 दोषियों को फांसी से राहत नही दी जा सकती।

इससे पहले निर्भया के माता-पिता ने दिल्ली उच्च न्यायालय से केंद्र की उस याचिका पर जल्द निर्णय का अनुरोध किया, जिसमें दोषियों की फांसी पर रोक को चुनौती दी गई है। निर्भया के माता-पिता की ओर से पेश वकील जितेंद्र झा ने बताया कि उन्होंने सरकार की याचिका के जल्द निपटारे के लिए अदालत से अनुरोध किया है। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत ने कहा कि जल्द से जल्द इस पर फैसला आएगा।

अदालत ने 31 जनवरी को फांसी की सजा स्थगित कर दी क्योंकि दोषियों के वकील ने अदालत से फांसी पर अमल को ”अनिश्चित काल” के लिए स्थगित करने की अपील की और कहा कि उनके कानूनी उपचार के मार्ग अभी बंद नहीं हुए हैं। मुकेश और विनय की दया याचिका राष्ट्रपति के पास खारिज हो चुकी है, जबकि पवन ने यह याचिका अभी नहीं दाखिल की है। अक्षय की दया याचिका एक फरवरी को दाखिल हुई और अभी यह लंबित है। शीर्ष न्यायालय ने 2017 के अपने फैसले में दिल्ली उच्च न्यायालय और निचली अदालत द्वारा दोषियों को सुनाई गई फांसी की सजा को बरकरार रखा था।