यमन की जेल में बंद भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी की सजा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। इस मामले में सेव निमिषा प्रिया एक्शन काउंसिल नामक संगठन ने याचिका दाखिल की, जिसमें मृतक के परिवार से यमन जाकर बातचीत करने की अनुमति मांगी गई। संगठन का मानना है कि सुलह की कोशिश से निमिषा की सजा को माफ या कम करवाया जा सकता है।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वे इस संबंध में भारत सरकार को ज्ञापन सौंपें। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस स्तर पर वह कोई निर्देश नहीं दे सकती। अगली सुनवाई की तारीख 16 अगस्त तय की गई है।
निमिषा की ओर से पेश वकील ने बताया कि फिलहाल उनकी फांसी की सजा पर रोक लगा दी गई है। उन्होंने इसके लिए केंद्र सरकार का आभार जताते हुए कहा कि अब मृतक के परिजनों से बात करना जरूरी है, ताकि किसी सकारात्मक समाधान की दिशा में कदम बढ़ाया जा सके।
भारत सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमनी ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया कि सरकार इस संवेदनशील मामले में पूरी सावधानी के साथ काम कर रही है और उसका उद्देश्य निमिषा प्रिया को सुरक्षित भारत वापस लाना है।
गौरतलब है कि केरल की रहने वाली निमिषा प्रिया 2008 से यमन में रह रही थीं और वहां उन्होंने एक क्लीनिक शुरू किया था। कानूनी मजबूरी में उन्होंने यमन के नागरिक तलाल अब्दुल मेहदी को पार्टनर बनाया, लेकिन बाद में दोनों के बीच विवाद हो गया। वर्ष 2017 में पासपोर्ट वापस लेने के प्रयास में मेहदी की मौत हो गई थी। उसी मामले में निमिषा को मौत की सजा सुनाई गई थी।
