बस्तर में NIA की धमक, छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की सहायता करने वालो पर केंद्रीय एजेंसियों की नजर, कसा शिकंजा, नारायणपुर में 35 नक्सली सहयोगियों के खिलाफ एनआईए की नामजद FIR, 4 गिरफ्तार, गृह मंत्री विजय शर्मा की दरियादिली से आदिवासियों की जान में आई जान, लाल कार्पेट में उम्मीद की नई किरण…..   

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रायपुर/जगदलपुर: छत्तीसगढ़ के बस्तर में लगातार ऑपरेशन और नक्सलियों के आत्मसमर्पण से माहौल तेजी से बदल रहा है। गांव-कस्बों से लेकर शहरी इलाकों में नक्सलियों की कमर टूटने से आम जन-जीवन तेजी से पटरी पर आ रहा है। अब सालभर पुराने हालात नहीं रहे। बस्तर में घने जंगलों के भीतर बसे गांव में हाट बाजार और लोगों की आवाजाही बता रही है कि नक्सलियों की कमर टूट गई है। अब गांव में उनकी पहले की तर्ज पर ना तो बैठके हो रही है और ना ही दरबार आयोजित हो रहे है। दरअसल पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों के माओवादी नेटवर्क पर अपना दबाव बढ़ाने के बाद नक्सलियों ने बस्तर से किनारा करना शुरू कर दिया है। वे तेलंगाना और उड़ीसा की ओर रुख कर रहे है। धुर नक्सली इलाकों में भी अब सुरक्षाबलों की सक्रियता बढ़ने से लोगों की जान में जान आई है।

न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ संवाददाता ने बस्तर के उन इलाकों की खाक छानी, जहाँ अक्सर कभी ग्रामीणों और नक्सलियों के तो कभी पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों की शहादत से जमीन लाल हो जाया करती थी। ताड़मेटला, झीरम घाटी और कुआ कोंडा जैसे धुर नक्सली इलाकों में ग्रामीण बीजेपी सरकार का गुणगान सिर्फ इसलिए कर रहे है क्योंकि अरसे बाद उन्हें आतंक से मुक्ति मिली है। वे स्वतंत्रता का अनुभव कर रहे है। बेफिक्री के साथ हाट बाजारों से खरीदी कर देर शाम तक घर पहुंचने में अब कोई हिचकिचाहट नहीं महसूस कर रहे। उन्हें यकीन है कि उनके गांव में धावा बोलने से पहले नक्सलियों को सुरक्षाबलों से दो-दो हाथ करना होगा। इन दिनों पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों के कई दस्ते गांव का रुख कर हालात का जायजा भी ले रहे है। इससे ग्रामीणों का सरकार के प्रति विश्वास लगातार बढ़ रहा है।

राज्य के गृह मंत्री विजय शर्मा भी ऐसे इलाकों में मोटर साईकिल में सवार होकर पहुंचे थे। उनकी यात्रा भी रंग दिखा रही है। ग्रामीण तस्दीक कर रहे है कि गृह मंत्री के खुद उनके घरों तक पहुंचने से नक्सलवाद के खात्मे की उम्मीद जगी है. छत्तीसगढ़ में लाल आतंक के पर्याय माने जाने वाले एक दर्जन से ज्यादा दुर्गम गांव में अब शांति बहाली देखी जा रही है। इसके साथ ही इन इलाकों में NIA की धमक सुनाई देने लगी है। दरअसल नक्सलियों की अप्रत्यक्ष सहायता करने वाले कई ग्रामीणों पर NIA का शिकंजा कसने लगा है। इसके साथ ही ग्रामीण तस्दीक कर रहे है कि अब सही मायनों में नक्सल उन्मूलन अभियान जमीन पर उतरता नजर आ रहा है। पुलिस के साथ केंद्रीय जांच एजेंसियों की हिस्सेदारी के अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे है।

इसके चलते पहली बार बस्तर के कई इलाकों में आम जन-जीवन पूरी तरह से सामान्य हो गया है। नारायणपुर जिले में नक्सलियों के लिए सुविधा और सामग्री जुटाने वालों पर इस बार NIA ने शिकंजा कस दिया है। जंगल में आवाजाही मार्ग बाधित करने वाले ग्रामीणों की गिरफ्तारी से सनसनी है। इनके खिलाफ NIA ने मामला दर्ज कर कार्यवाही शुरू कर दी है। उसने नक्सली समर्थक कुल 35 लोगों और उनके शहरी नेटवर्क के खिलाफ नामजद FIR दर्ज कर 4 लोगों को गिरफ्तार भी किया है, अन्य की तलाश जारी है। बस्तर में दो दर्जन से ज्यादा नई पुलिस चौकियां खुलने के बाद नक्सली बेदम नजर आ रहे है। उन्हें कतई उम्मीद नहीं थी कि बारिश में भी सुरक्षा बल जंगलों का रुख करेंगे। लेकिन नई रणनीति के तहत मैदान में उतरने से नक्सलियों के हौसले लगातार पस्त हो रहे है।

राज्य की बीजेपी सरकार के 8 माह के कार्यकाल में 200 से ज्यादा नक्सली मौत के घाट उतारे जा चुके है। यही नहीं 250 के लगभग नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर देश की मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया है। सुरक्षाबलों की नई रणनीति से ग्रामीणों का राज्य सरकार पर भरोसा एक बार फिर कायम होते नजर आने लगा है। ग्रामीण अब खुलकर यह कहने से नहीं चूक रहे है कि पिछले 6 माह से नक्सलियों की आवाजाही ठप पड़ गई है। वे अब उनका कहना नहीं मानेगे। कई गांव में नक्सलियों की एंट्री बैन करने के लिए भी आवाजे उठने लगी है। अभी तक इन इलाकों में बंदूक का राज कायम था। लेकिन अब ऐसे दर्जनों इलाकों में नक्सलियों की सक्रियता ख़त्म हुई है, उनके दलम कई महीनों से लापता है। नतीजतन ग्रामीण अब बेफिक्री के साथ अपनी गुजर बसर कर रहे है। 

बताया जाता है कि एक पुराने मामले को लेकर NIA की FIR से नक्सली समर्थकों के हौसले पस्त है। दरअसल, यह मामला 20 मार्च 2023 का है। जब नक्सली और उनके कुछ शहरी समर्थकों ने नारायणपुर-ओरछा मुख्य मार्ग को कई स्थानों से काट दिया था। मार्ग बाधित होने से सुरक्षाबलों की आवाजाही प्रभावित हुई थी। सुरक्षाबलों की राह मुश्किल करने के लिए स्थानीय ग्रामीणों ने सड़क पर पेड़ काटकर डाला था, पत्थर रखकर आवागमन भी बंद कर दिया था। ऐसे ग्रामीणों को अब क़ानूनी कार्यवाही का सामना करना पड़ रहा है।

NIA के मुताबिक नक्सली पुलिस पर हमला कर उनसे हथियार लूटने की नियत में थे। उनके खिलाफ विध्वंसक गतिविधियों के पुख्ता प्रमाण है। इसमें माओवादी संगठन के कैडर और उनके समर्थकों के नाम भी शामिल हैं। NIA की जांच में कुछ अन्य संदिग्धों के नाम भी सामने आए हैं, जो माड़ इलाके में मानव अधिकारों की रक्षा के नाम पर नक्सलियों की ढाल बने हुए थे। माना जा रहा है कि जल्द ही बस्तर में शांति बहाली की प्रक्रिया रचनात्मक दिशा तय करेगी।