रायपुर / “NHMMI” के वैधानिक सदस्यों ने “छत्तीसगढ़ सरकार” से मदद की गुहार लगाई है | सोसायटी के वैधानिक सदस्यों की दलील है कि उन्होंने “MMI” का गठन “लोक कल्याण” और “जरूरतमंद” मरीजों को रियायती दरों पर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के लिए किया था | लेकिन अनाधिकृत सदस्यों ने गैरकानूनी ढंग से सोसायटी के “संविधान” में छेड़छाड़ कर अपना कब्ज़ा जमा लिया है | अधिकृत सदस्यों ने कहा है कि “NHMMI” में “व्यावसायिक” दरों पर जनता का इलाज होता है | उनके मुताबिक इस सोसायटी को अब “बेजा कब्जा” करने वालों ने अपने अनुचित “लाभ” कमाने का जरिया बना लिया है | “MMI” के फाउंडर मेंबरों के मुताबिक “बेजा कब्ज़ाधारियों” ने स्वार्थसिद्धि के लिए इस अस्पताल को मात्र “18 लाख” रूपये मासिक किराए की दर पर “30 साल” के लिए नारायणा हृदयालय को सौप दिया | इसमें अस्पताल का समस्त भवन , निर्माण लगभग ढाई लाख स्क्वायर फीट से ज्यादा बिल्डअप एरिया और मेडिकल उपकरण शामिल है | फाउंडर मेंबरों के मुताबिक “NHMMI” के अनधिकृत सदस्यों ने “गैरकानूनी” करार कर राज्य की जनता के साथ धोखाधड़ी की है | यहां आम गरीब मरीजों को इलाज का मोटा बिल सौंपा जाता है | जबकि दूसरी ओर संपन्न और अमीर लोगों का कभी “मुफ्त” में इलाज तो कभी विशेष “VIP” दरों पर उन्हें बिलों के भुगतान की सुविधा दी जाती है | फाउंडर मेंबरों के मुताबिक वो कई सालों से रियायती और मुफ्त में इलाज कराने वाले मरीजों के नाम की सूची और “NHMMI” के करार के “मूल पत्रों” की मांग मौजूदा मैनेमेंट से कर रहे है | लेकिन “बेजा कब्जाधारी” उन्हें सोसायटी की किसी भी गतिविधियों से अवगत नहीं करा रहे है | फाउंडर मेंबरों ने कहा है कि एक “राजनैतिक दल” से मिले “संरक्षण” के चलते “बेजा कब्जाधारियों” ने आम गरीब मरीजों के अरमानों पर पानी फेर दिया है | “NHMMI” में इलाज कराने वाले ऐसे कई गरीब मरीज लाखों के बिलों के भुगतान के चलते कभी अपनी पुस्तैनी “जमीन जायजाद” बेच रहे है तो कभी महंगी दरों पर “कर्ज” लेकर साहूकारो के शोषण का शिकार हो रहे है | “मुख्यमंत्री” भूपेश बघेल से “तत्काल” हस्तक्षेप की मांग करते हुए फाउंडर मेंबरों ने “क़ानूनी संरक्षण” की मांग की है | उन्होंने कहा है कि ” रजिस्ट्रार फर्म एंड सोसायटी” ने लगातार दूसरी बार उनके “हक” में फैसला दिया है | लेकिन “बेजा कब्जाधारी” अपने “रसूख” और “धन-बल” के सहारे क़ानूनी दांवपेच खेलकर इस सोसयटी का प्रभार उन्हें सौपने में “आनाकानी” कर रहे है |
फाउंडर मेंबरों ने कहा है कि “रजिस्ट्रार फर्म एंड सोसायटी” के फैसले पर अभी तक ना तो “अदालत” ने और ना ही “छत्तीसगढ़ शासन” के “विशेष सचिव” ने सवालियां निशान लगाया है | इसके बावजूद “बेजा कब्जाधारी” सोसायटी का प्रभार देने में अड़ंगा लगा रहे है | उन्होंने कहा है कि “रजिस्ट्रार फर्म एंड सोसायटी” के फैसले को लागू कराने के लिए उन्हें सरकारी मदद की जरूरत है | फाउंडर मेंबरों के मुताबिक “प्रभार” ना सौंपने की जिद में अड़े “बेजा कब्जाधारी” जानबूझकर भ्रम फैला रहे है कि “अदालत” ने “छत्तीसगढ़ शासन” के “विशेष सचिव” को फैसला देने के लिए अधिकृत किया था ना कि “रजिस्ट्रार फर्म एंड सोसायटी” को | जबकि “रजिस्ट्रार फर्म एंड सोसायटी” के “प्रमुख एवं विभागाध्यक्ष” की भूमिका का प्रभार “सचिव” के हाथों में ही है | ऐसे में संस्था प्रमुख होने के नाते “रजिस्ट्रार फर्म एंड सोसायटी” का फैसला सम्बंधित “सचिव” का ही है | फाउंडर मेंबरों ने यह भी कहा है कि “बेजा कब्जाधारियों” ने सुनवाई के दौरान कई बार अपना पक्ष खुद और वकील के जरिए “रजिस्ट्रार फर्म एंड सोसायटी” के समक्ष रखा था | इस दौरान “बेजा कब्जाधारियों” ने यह कथन कभी नहीं किया कि वो यहां चल रही “सुनवाई” से “असहमत” है | लेकिन अब फाउंडर मेम्बरों के पक्ष में फैसला आने के बाद “बेजा कब्जाधारी” अनावश्यक विवाद खड़ा कर रहे है |

गौरतलब है कि हाल ही में “NHMMI” के संचालन को लेकर “रजिस्ट्रार फर्म एंड सोसायटी” ने हाईकोर्ट के निर्देश पर लगातार दूसरी बार “एक जैसा” फैसला दिया है | इस फैसले में उसने “MMI” के 70 में से 11 फाउंडर मेंबरों को ही सोसायटी का वैधानिक सदस्य माना है | हालांकि कुल 11 में से 8 फाउंडर सदस्य ही जीवित है | शेष 3 सदस्यों की मृत्यु के कारण उनके स्थान पर सोसायटी के सविधान के मुताबिक नए सदस्यों की “नियुक्ति” की जायेगी | “MMI” के फाउंडर मेंबरों ने सोसायटी की “कमान” लूनकरण श्रीश्रीमाल और महेंद्र धाड़ीवाल समेत अन्य सदस्यों को सौंप दी है | फाउंडर मेंबरों ने सर्वसम्मति से लूनकरण श्रीश्रीमाल को सोसायटी का अध्यक्ष मनोनीत किया है | नए अध्यक्ष श्रीश्रीमाल ने “रजिस्ट्रार फर्म एंड सोसायटी” से भी गुहार लगाई है कि वो अपने फैसले को लागू कराने के लिए “आगे आये” | उधर “NHMMI” में इलाज की “मोटी फ़ीस” को लेकर घमासान मचा है | यहां भर्ती मरीज और उनके परिजन , इलाज में होने वाले भारी भरकम के बिलों को आधा करने की मांग कर रहे है | मरीजों की दलील है कि सोसायटी के “संविधान” के मुताबिक उनका इलाज “रियायती” दरों पर होना चाहिए था , ना की “व्यावसायिक” दरों पर | इस अस्पताल में “भर्ती” और “OPD” में कतार लगाए सैकड़ों मरीजों ने भी “छत्तीसगढ़ शासन” से गुहार लगाई है कि “लोक कल्याण” के लिए स्थापित “MMI” अस्पताल को “बेजा कब्जाधारियों” से “मुक्त” कराया जाए |
उधर फाउंडर मेंबरों के कथनों और दावों को परखने के लिए “न्यूज टुडे छत्तीसगढ़” की टीम ने “NHMMI” का जायजा लिया | वहां मौजूद ज्यादातर मरीजों और उनके परिजनों ने “महंगे इलाज” और “भारी भरकम” बिलों के भुगतान को लेकर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है | सोसायटी के संविधान के मुताबिक “चैरेटी” मरीजों की सूची और “NHMMI” करार की शर्तो का “अवलोकन” करने के लिए हमारी टीम ने “डायरेक्टर रूम” का भी रुख किया था | लेकिन वहां कोई भी “पदाधिकारी” उपस्थित नहीं पाया गया | हमने वहां मौजूद कई सीनियर और जूनियर डाक्टरों से भी मुलाकात की | इन डाक्टरों ने किसी भी मरीज की “चैरेटी” से इनकर किया | डाक्टरों ने साफतौर पर कहा कि प्रबंधंन ने इलाज के लिए जो “फ़ीस” तय रखी है , उसी के अनुरूप मरीजों से भुगतान लिया जाता है | इसकी तस्दीक “भुगतान काउंटर” ने भी की | जबकि “NHMMI” परिसर में किसी मरीज का हालचाल जानने पहुंचे दो सभ्रांत नागरिकों ने दावा किया कि कुछ माह पहले उन्होंने अपने परिजनों के इलाज के बिलों की आधी रकम अस्पताल में और आधी रकम का भुगतान “एक मंदिर” के खाते में किया था | उन्होंने यह भी बताया कि मंदिर में दी गई “दान” की राशि की रसीद भी उन्हें प्राप्र्त हुई है | बहरहाल जनहित को देखते हुए “छत्तीसगढ़ सरकार” को ऐसी सामाजिक संस्थानों के संरक्षण के लिए ठोस प्रयास करने होंगे |