NH-MMI अस्पताल में उलटफेर की वैधानिक प्रकिया शुरू | ” मैनेजमेंट ” मौजूदा हाथो से निकल कर ” नए ट्रस्टियों” के हाथो में सौपा जाएगा ?

रायपुर के ” NH-MMI ” अस्पताल के मौजूदा मैनेजमेंट के बदले जाने को लेकर प्रशासनिक कवायत भी शुरू हो गयी है | छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के निर्देश पर वैधानिक कार्यवाही करते हुए रजिस्ट्रार फर्म एन्ड सोसायटी ने हाल ही में MMI के पुराने मूल ट्रस्टियों के पक्ष में फैसला सुनाया था | इस फैसले के बाद अब NHMMI अस्पताल के प्रबंधन को नए प्रबंधन के हाथो में सौपे जाने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है | इसके पहले कदम में पुराने ट्रस्टियों के बीच ” चुनाव ” संपन्न कराने के लिए निर्देर्शित किया गया है | दिलचस्प बात यह है कि पुराने ट्रस्टियों के बीच प्रतिद्वंदिता नहीं बल्कि ” आम राय ” की स्थिति बन गयी है | पुराने ट्रस्टियों की संख्या मात्र आठ सदस्यी है | लिहाजा ज्यादातर सदस्यों ने डाक्टर हरख जैन को अपना मुखियां बताया है | जबकि महेंद्र धाड़ीवाल को कार्यकारी | सभी सदस्य इस बात पर राजी नजर आ रहे है कि वे आपसी सामंजस्य के तहत MMI अस्पताल के प्रबंधन का संचालन करेंगे | रजिस्ट्रार फर्म एन्ड सोसायटी को पुराने ट्रस्टियों ने चुनाव प्रक्रिया संपन्न करने को लेकर विधिवत सूचना दी है | इस पत्र में उसके ताजा फैसले को दृष्टिगत रखते हुए कहा गया है कि “चुनाव प्रक्रिया” की पारदर्शिता पर नजर रखने के लिए चाहे तो रजिस्ट्रार फर्म एन्ड सोसायटी अपने किसी प्रतिनिधि की तैनाती कर सकता है |

रजिस्ट्रार फर्म एन्ड सोसायटी के ताजा फैसले के बाद जल्द ही NH-MMI अस्पताल की सूरत और सीरत बदलने की तैयारी शुरू हो गयी है | मरीजों को बेहतर चिकित्सा उपलब्ध कराने के लिए ट्रस्ट के पुराने सदस्यों ने आधुनिक स्वास्थ सुविधा और तकनीक के इस्तेमाल पर जोर दिया है | पुराने ट्रस्टियों ने NH-MMI के मौजूदा प्रबंधन से भी अस्पताल का पूर्ण प्रबंधन सौपे जाने का निवेदन किया है | इसमें कहा गया है कि विवादग्रस्त काल से लेकर अब तक अर्थात प्रभार सौपे जाने की तिथि तक NH-MMI की चल अचल संपत्ति के अलावा आय व्यय का पूर्ण विवरण सौपा जावे | पुराने ट्रस्टियों को उम्मीद है कि इस अस्पताल की बेहतरी के लिए मौजूदा प्रबंधन अब किसी प्रकार का ” वाद विवाद ” नहीं करेगा |

उधर सूत्र बता रहे है कि “बाजी” हाथ से निकलता देख NH-MMI का मौजूदा प्रबंधन अदालत का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में है | हालांकि इस बात की कम ही उम्मीद है कि अदलात से उन्हें अब कोई राहत मिलेगी | दरअसल बिलासपुर हाई कोर्ट की ” डबल बेंच ” ने मामले की सुनवाई के बाद विवाद हल करने की जवाबदारी रजिस्ट्रार फर्म एन्ड सोसायटी के कंधो पर डाली थी | मौजूदा प्रबंधन के खिलाफ ” दूसरी ” बार रजिस्ट्रार फर्म एन्ड सोसायटी ने अपना फैसला सुनाया है | पहली बार भी उसने पुराने ट्रस्टियों के पक्ष में फैसला सुनाया था | इसे मौजूदा प्रबंधन ने अदालत में चुनौती दी थी | इस पक्ष की तमाम दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने दूसरी बार मामला रजिस्ट्रार फर्म एन्ड सोसायटी को सौपा था | लेकिन इस बार भी उसने अपना फैसला पुराने ट्रस्टियों के पक्ष में सुनाया | लिहाजा मौजूदा प्रबंधन किन नए तथ्यों को लेकर अदालत का दरवाजा खट खटाएगा इसे लेकर मंथन का दौर जारी है | बताया जाता है कि मौजूदा प्रबंधन के ” प्रमुख ” उद्योगपति सुरेश गोयल इन दिनों राज्य से बाहर है | लिहाजा उनके रायपुर आने की ” राह ” तकी जा रही है | सूत्रों के मुताबिक श्री गोयल के ” नगर आगमन ” के बाद ही मौजूदा प्रबंधन कोई नया कदम उठाएगा | हालांकि यह देखना गौरतलब होगा कि मौजूदा प्रबंधन रजिस्ट्रार फर्म एन्ड सोसायटी के निर्देश का पालन करेगा या फिर क़ानूनी दावँपेंचो को तरजीह देकर ” अदालत ” की शरण लेगा | फिलहाल MMI के पुराने ट्रस्टी इस अस्पताल का प्रबंधन अपने हाथो में लेने की वैधानिक प्रक्रिया पूर्ण करने में जुटे हुए है |