
बिलासपुर / कुष्ठ रोगियों के उपचार और उनके सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए जीवनभर संघर्षरत रहे पद्मश्री दामोदर गणेश बापट का शुक्रवार देर रात निधन हो गया। वह लंबे समय से अस्पताल में भर्ती थे और उनका उपचार चल रहा था। देर रात करीब 2.35 बजे उन्होंने 87 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। भारतीय कुष्ठ निवारक संघ के संस्थापक सदस्य बापट मृत्यु के बाद भी अपना शरीर दूसरों की भलाई के लिए सौंप गए। उनकी पार्थिव देह सिम्स बिलासपुर को दान की जाएगी।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सन 2018 में नई दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ समाज सेवी दामोदर गणेश बापट को पद्मश्री अलंकरण से सम्मानित किया था। गणेश बापट के जीवन के शुरूआती दिन काफी संघर्ष और परेशानियों से भरा रहा | उन्होने एक शिक्षक के तौर पर शुरूआत की और आदिवासी बच्चों को पढ़ाने लगे | बतातें है कि चांपा से तकरीबन 8 किलोमीटर दूर ग्राम सोठी में भारतीय कुष्ठ निवारक संघ द्वारा संचालित आश्रम में कुष्ठ पीड़ितों की सेवा के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया है | इस आश्रम की स्थापना सन 1962 में कुष्ठ पीड़ित सदाशिवराव गोविंदराव कात्रे ने की थी | वहां वनवासी कल्याण आश्रम के कार्यकर्ता बापट सन 1972 में पहुंचे और कात्रे के साथ मिलकर उन्होंने कुष्ठ पीड़ितों के इलाज की शुरूआत की |