
न्यूज डेस्क / महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा महज चार महीने पहले लोकसभा चुनाव में मिली प्रचंड जीत का माहौल बरकरार रखने में बुरी तरह नाकाम रही। चुनाव में अतिआत्मविश्वास में डूबी भाजपा की चुनावी गाड़ी हरियाणा में बहुमत के करीब आ कर ठिठक गई तो महाराष्ट्र में शिवसेना का साथ भी मामूली बहुमत ही दिला पाई। नतीजे ने हरियाणा में भाजपा की किस्मत अब निर्दलीय विधायकों के रहमोकरम पर छोड़ दिया है। जबकि औसत प्रदर्शन ने महाराष्ट्र में शिवसेना को बड़ा मोलभाव करने का मौका दे दिया है। इन राज्यों के साथ कई राज्यों में हुए उपचुनावों में भाजपा को मिलीजुली सफलता ही हासिल हुई है। हरियाणा में भाजपा विपक्ष के बुरी तरह बंटे होने के बावजूद स्थिति का लाभ नहीं उठा पाई। वह भी तब जब चार महीने पूर्व हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी ने यहां न सिर्फ विपक्ष का सूपड़ा साफ कर दिया था, बल्कि विधानसभा की 90 में से 89 सीटें हासिल की थी।
उत्साह में पार्टी ने यहां 75 सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया था। चौटाला परिवार की राजनीतिक विरासत के दो हिस्सों में बंट जाने और कांग्रेस में चरम पर गुटबाजी के पहुंचने के बावजूद पार्टी राज्य में अपना पुराना प्रदर्शन भी नहीं दुहरा पाई। राज्य में विपक्ष के हक में बने जाट-दलित और मुस्लिम समीकरण ने भाजपा के मंसूबों पर पानी फेर दिया। पार्टी के बुरे प्रदर्शन का अंदाजा इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि अनिल विज को छोड़ कर खट्टर सरकार के सभी मंत्री और राज्य भाजपा अध्यक्ष चुनाव हार गए।
हरियाणा की तरह महाराष्ट्र में भी भाजपा विपक्ष में पड़ी फूट का लाभ नहीं उठा पाई। इस बार शिवसेना के साथ चुनाव मैदान में उतरने के बावजूद खुद भाजपा अपना पुराना प्रदर्शन (122 सीटें) नहीं दुहरा पाई। जबकि सहयोगी शिवसेना अपने आधे उम्मीदवार को भी नहीं जिता पाई। राज्य विधानसभा की 288 सीटों में से भाजपा शिवसेना गठबंधन को 159 सीटें हासिल हुई।
महाराष्ट्र में भाजपा की बढ़ी सिरदर्द
अनुकूल परिणाम न आने के बाद भाजपा की सिरदर्दी सहयोगी शिवसेना ने बढ़ दी है। परिणाम आने के बाद शिवसेना प्रमुख उद्घव ठाकरे ने सरकार बनाने के लिए 50-50 फार्मूला (आधा-आधा कार्यकाल) पर समझौता नहीं करने की घोषणा की है। शिवसेना चाहती है कि उसे पहले आधा कार्यकाल मिले और जिससे उसे अपना सीएम बनाने का मौका मिले। चूंकि चुनाव में कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन को 98 सीटें मिली हैं, इसलिए भविष्य में शिवसेना इस गठबंधन से हाथ मिलाने का संकेत दे कर भाजपा पर दबाव बढ़ा सकती है।
यूपी में घटी बीजेपी की सीट
उत्तर प्रदेश की 11 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए हैं, जिनमें बीजेपी ने 7 और उसके सहयोगी अपना दल (एस) ने एक पर जीत हासिल की है | जबकि सपा को तीन सीटें मिली हैं | यूपी की लखनऊ (कैंट), चित्रकूट की मानिकपुर, सहारनपुर की गंगोह, अलीगढ़ की इगलास, कानपुर की गोविंदनगर, बहराइच की बलहा और मऊ की घोसी सीट पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है और प्रतापगढ़ सीट पर उसके सहयोगी अपना दल (एस) ने जीती है | जबकि बाराबंकी की जैदपुर, रामपुर और अंबेडकरनगर की जलालपुर विधानसभा सीट सपा के खाते में गई है | बीजेपी और बसपा को एक-एक सीट का नुकसान उठाना पड़ा है |
गुजरात में बीजेपी को नुकसान
गुजरात की छह विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में बीजेपी को भारी नुकसान हुआ है | बायड, थराद, राधनपुर और अमराईवाड़ी विधानसभा सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है | जबकि बीजेपी ने खेरालु और लूनवाड़ा सीट पर जीत हासिल की है | राधनपुर से विधायक अल्पेश ठाकोर और बयाड में विधायक धवल सिंह जाला को कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी का दामन थामना दोनों नेताओं को महंगा पड़ा है | बता दें छह में से चार सीटें सत्ताधारी भाजपा के पास थीं और दो सीटें कांग्रेस के पास |
राजस्थान में बीजेपी को झटका
राजस्थान की मंडावा और खींवसर विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए | मंडावा विधानसभा सीट से कांग्रेस की रीटा चौधरी तो खींवसर से राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के उम्मीदवार नारायण बेनीवाल ने जीत दर्ज की है | जबकि दोनों सीटें बीजेपी और उसके सहयोगी आरएलपी के पास थी | इस तरह से बीजेपी को अपनी एक सीट का नुकसान उठाना पड़ा है |
मध्य प्रदेश में हारी बीजेपी
मध्य प्रदेश की झाबुआ विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी को तगड़ा झटका लगा है | झाबुआ सीट पर कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया ने जीत दर्ज की है और बीजेपी के भानू भूरिया को हार का सामना करना पड़ा है | बता दें कि 2018 में झाबुआ सीट पर बीजेपी के गुमान डामोर ने जीत दर्ज की थी, लेकिन 2019 के चुनाव में सांसद चुने जाने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था |
छत्तीसगढ़ में बीजेपी को नुकसान
छत्तीसगढ़ की चित्रकोट विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार राजमन बेंजाम ने बीजेपी के लच्छूराम कश्यप को शिकस्त दी है | इस तरह से दंतेवाड़ा सीट हारने के बाद अब चित्रकोट विधानसभा सीट बीजेपी को गंवानी पड़ी है |
पंजाब में कांग्रेस को फायदा
पंजाब की 4 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए हैं, जिनमें तीन सीट पर कांग्रेस ने जीत हासिल की. एक सीट अकाली दल को मिली है | होशियारपुर की मुकेरियां, कपूरथला की फगवाड़ा और फाजिल्का की जलालाबाद सीट कांग्रेस प्रत्याशी जीते हैं | जबकि लुधियाना की दाखा सीट अकाली दल को मिली है. 2017 के चुनाव में कांग्रेस, आप, बीजेपी और अकाली दल ने एक सीट जीती थी | इस तरह से कांग्रेस को फायदा मिला है और बीजेपी और आप को नुकसान उठाना पड़ा है |