बिलासपुर / रायपुर निवासी नितिन सिंघवी की दायर पीआईएल में छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा वन अधिकार पट्टा वितरित किए जाने को लेकर स्टे की माँग की थी और हाईकोर्ट ने पूर्व में स्टे प्रदान किया था | मंगलवार को इस मामले में छत्तीसगढ़ शासन की ओर से महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा ने पक्ष रखा | याचिका की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यााधीश पी.आर. रामचन्द्रन मेनन तथा न्यायमूर्ति पी.पी.साहू की बेंच ने कहा कि समान प्रकरण सर्वोच्च न्यायालय में भी लंबित है इस लिए याचिकाकर्ता चाहे तो सर्वोच्च न्यायालय जा सकते है इस लिए वन अधिकार पट्टे बांटने पर एक माह तक और रोक लगी रहेगी। याचिका में बताया गया कि छत्तीसगढ़ में सितम्बर 2018 तक 401551 पट्टे अनुसूचित जनजाति तथा अन्य परम्परागत वन निवासी को बांटे गये। छत्तीसगढ़ में वनों का भाग लगभग 42 प्रतिशत है जिसमें से 3412 वर्ग कि.मी. जो कि कुल वन भू भाग का 6.14 प्रतिशत वन अधिकार पट्टे के रूप में बांटा गया।
सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष छत्तीसगढ़ शासन ने अपना शपथ पत्र प्रस्तुत किया हुआ है, जिसमें छत्तीसगढ़ में जितने भी आदिवासी पट्टा, वन अधिकार पट्टा धारित व्यक्ति है, उनके पट्टे को जो पिछली सरकार ने ख़ारिज किया था, उन सभी में नियमों का पालन नहीं हुआ है. अतः राज्य सरकार सभी व्यक्तियों का पट्टा नवीनीकरण नियमानुसार करेगी |
याचिकाकर्ता की तरफ से उदन्ती सीतानदी टाईगर रिजर्व में हो रही वनों की कटाई के फोटो प्रस्तुत करते हुये बताया गया कि पेड़ो की छाल को नीचे से काट कर उन्हें मार दिया जाता है। पेड़ो को जलाया जाता है। टाईगर रिजर्व क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के मकान बनाये गये है। वहां कई स्थानों में इंटे-भट्ठे कार्यरत है।
उच्च न्यायालय ने नितिन सिंघवी की याचिका को समाप्त करते हुए कहा कि अपनी बातों के लिए उच्चतम न्यायालय जा सकते हैं | तब तक सरकार नए पट्टे नहीं बनाएगी और उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के तहत बाक़ी पट्टों का नवीनीकरण जांच पड़ताल इत्यादि जारी रखेगी |