उपेंद्र डनसेना |
घरघोडा | आज भले ही देश में शिक्षा का अधिकार कानून लागू ,लेकिन कुछ इलाको में बच्चो को शिक्षा हासिल करना चुनौती से कम नहीं | शिक्षा स्तर सुधारने के लिए शासन भले ही अनेक सुविधाए दी हो ,लेकिन जिले में एक ऐसा स्कूल है ,जहां का नजारा सारी सुविधाओं से परे नजर आया | यहाँ नैनिहाल जान जोखिम में डालकर पढ़ने जाते है | दअरसल , घरघोडा मुख्यालय से महज 14 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत घरघोडी का आश्रित ग्राम बेलडिपा जिसकी जनसंख्या लगभग 500 है घरघोडी ओर बेलडिपा के बीच एक नाला पड़ता है , जो जरकट नाला के नाम से जाना जाता है | जिसमे पुल बनाने की मांग यहां के निवासी बिगत कई वर्षों से करते आ रहे है, पर दुर्भाग्य है देश की आजादी के 73 वर्ष होने को आये पर आज भी यहां के ग्रामीण आज भी विकास को लेकर महरूम है |
इन ग्रामीणों की मांगों को ना आज तक किसी जनप्रतिनिधि ने ना ही अधिकारी ने सुनी | बरसात के माह में यह गाँव एक टापू के रुप में बन जाता है | बरसात के माह में भी यहां के बच्चे अपने सुनहरे भविष्य को गढ़ने कैसे अपनी जान को जोखिम में डाल कर स्कूल को जाते | एक तरफ तेज बारिस से जिले के सभी नदी नाले उफान पर हैं, वहीं दूसरी तरफ स्कूली बच्चे जान जोखिम में डालकर उफनती नदी को पार कर स्कूल जाने के लिए मजबूर हैं |
आदिवासी बाहुल्य है ,बता दें कि यह इलाका चारों तरफ जंगल और पहाड़ियों से घिरा हुआ है | इस कारण यहां नदी का जलस्तर कभी भी अचानक बढ़ जाता है | नदी पार करने के दौरान यदि जलस्तर बढ़ता है, तो हादसा कितना भयावह हो सकता है इसका अंदाजा बड़ी आसानी से लगाया जा सकता है | इस मामले को जब इलाके के लोगो ने इसकी जानकारी देकर के संज्ञान में लाया गया गांव में स्कूल व नदी पर पुल बनाने की मांग नही घरघोडी गांव के प्राथमिक शाला को चार साल पहले शिक्षा विभाग ने बंद कर दिया है | लिहाजा गांव के बच्चों को रोज जान की बाजी लगाकर नदी पार करते हुए पढ़ने के लिए नदी मे रस्सी लगाकर पारकर होते है | गांव के स्कूल में जाना पड़ता है | अभिभावकों ने बताया कि नेता और अधिकारियों से गांव में स्कूल और नदी में पुल बनाने की मांग करते करते वे थक चुके हैं | किसी ने भी उनकी नहीं सुनी |
हैरत की बात तो ये है कि प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री लालजीत सिह राठिया का का गृह जिला है | आदिवासी बाहुल्य इलाकों में समुचित शिक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी होती है | लेकिन जब मंत्री जी के जिले में यह हाल है तो प्रदेश के अन्य इलाकों में शिक्षा व्यवस्था का क्या हाल होगा, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है |


