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भारतीय संगीत की अमूल्य धरोहर हैं राजा चक्रधर- नेहा बनर्जी

उपेंद्र डनसेना 

देश की सुप्रसिद्ध नृत्यांगना की भेंटवार्ता 

रायगढ़। नृत्य या कला का कोई भी फॉम रसिकों के लिए ही है । कत्थक ताल और लय पर आधारित है इसलिए न्यू कमर इसकी ओर आकर्षित होते हैं । राजा चक्रधर ने कत्थक को रायगढ़ घराने के साथ-साथ काफी कुछ दिया है । देश की सुप्रसिद्ध कत्थक नृत्यांगना नेहा बनर्जी ने आज प्रेसवार्ता करते हुए कहा कि उनके गुरू पंडित बिरजू महराज और शिला मेहता जैसे कलाकार इस मंच को सुशोभित कर चुके हैं । ऐसे में इस मंच पर प्रस्तुती के नाम से वे काफी रोमांचित है और अपने आपको गौरान्वित महसूस कर रहे है । 


देश के सुप्रिसद्ध संगीतकार तथा एआर रहमान के करीबी रहे शिवामणी के साथ कुछ दिनों पहले ही एक एलबम लॉच करने वाले नेहा बनर्जी ने कहा कि वे अब तक संकट मोचन मंदिर खजुराहो सहित म्यूजिकल प्रोग्राम तथा सेव वॉटर पर केन्द्रित डांसिंग वॉटर का प्रोग्राम दे चुकी है । महज तीन साल की छोटी सी उम्र से संगीत साधना में जुटी नेहा का कहना था कि वे लखनउ घराने से ताल्लुक रखती है । बदलते दौर में पहनावें में बदलाव जरूर आया है, मगर लय और ताल तो वही है । जो कत्थक के नाम पर रसीको को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर लेती है ।  


कत्थक के डांस फॉम में गति का विशेष ध्यान देना पड़ता है। चूंकि पूर्ववर्ती कलाकारों की तुलना में हमारे पास समय की बंदिश होती है । राजा चक्रधर सिंह के बारे में उनका कहना था कि देश में बहुत कम लोग ऐसे हुए हैं जो राज परिवार के होते हुए भी संगीत के साधना में जीवन पर्यंत लगे रहें । राजा चक्रधर ने न केवल कत्थक को बल्कि देश की सभी भारतीय कलाओं को संरक्षण और संवर्धन प्रदान किया है । उन्होंने संगीत जगत को जो कुछ दिया है वह अछुण्ण है ।

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