गेंदलाल शुक्ला
कोरबा | संघर्ष को मानव जीवन का दूसरा नाम कहा जाता है। इसी संघर्ष से व्यक्ति कुंदन की तरह शुद्ध और पवित्र बन जाता है जिन लोगों का ह्रदय कमजोर होता है या जिनका निश्चय सुदृढ नहीं होता है वे संघर्ष के आगे घुटने टेक देते हैं । वे अपनी सफलता से बचने के लिए नशे को सहारा बनाते हैं । कहने का क्या है वे लोग तो कह देते हैं कि हम गम को भुलाने के लिए पीते हैं । इसी से हमारे मन को शांति मिलती है । नशा करने से दुखों और कष्टों से मुक्ति मिलती है लेकिन क्या सचमुच नशा करने से व्यक्ति दुखों से मुक्त हो जाता है ? अगर ऐसा होता तो पूरे विश्व में कोई भी दुखी और चिंताग्रस्त नहीं होता । किसी विद्वान् ने यह बात बिलकुल सत्य कही है कि मदिरापान सब बुराईयों की जड़ होती है । मदिरा मनुष्य को असंतुलित बनाती है । शराबी व्यक्ति से किसी भी समाज की बुराई की अपेक्षा की जा सकती है । इसी कारण से हमारे शास्त्रों में मदिरापान को पाप माना जाता है । शुरू में तो व्यक्ति शौक के तौर पर नशा करता है । उसके दोस्त उसे मुफ्त में शराब पिलाते हैं । कुछ लोग ये बहाना बनाते हैं कि वे थोड़ी-थोड़ी दवाई की तरह शराब को लेते हैं लेकिन बाद में उन्हें लत पड़ जाती है । जिन लोगों को शराब पीने की आदत पड़ जाती है उनकी शराब की आदत फिर कभी भी नहीं छूटती । शराबी व्यक्ति शराब को पीकर विवेकशून्य हो जाता है और बेकार, असंगत और अनिर्गल प्रलाप करने लगता है । उसकी चेष्टाओं में अशलीलता का समावेश होने लगता है । वह शिक्षा, सभ्यता, संस्कार और सामाजिक मर्यादा को तोडकर अनुचित व्यवहार करने लगता है । गाली-गलोंच और मारपीट उसके लिए आम बात हो जाती है । कहने को तो कम मात्रा में शराब दवाई का काम करती है । डॉ और वैद्य भी इसकी सलाह देते हैं लेकिन ज्यादा तो प्रत्येक वस्तु का बुरा है । ज्यादा पीने से ये शराब जहर बन जाती है । नशे की लत से हमने बड़े-बड़े घरों को उजड़ते हुए देखा है । जिस पैसे को व्यक्ति खून-पसीना एक करके सुबह से लेकर शाम तक कमाता है जिसके इंतजार में पत्नी और बच्चे बैठे होते हैं वह नशे की हालत में लडखडाता हुआ घर पहुंचता है । पड़ोसी उसे देखकर उसका मजाक उड़ाते हैं, मोहल्ले वाले उसकी बुराई करते हैं लेकिन बेचारी पत्नी कुछ नहीं कह पाती है । वह केवल एक बात से डरती रहती है कि उसका शराबी पति उसे आकर बहुत पीटेगा । इसलिए वह बेचारी दिल पर पत्थर रखकर जीवन को गुजार देती है।
जिला पुलिस कोरबा में जिले के वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में नशा मुक्त अभियान “हैलों जिंदगी” चलाया जा रहा है | कार्यक्रम के तहत जिले के अत्यंत अरण्य – वनवासी क्षेत्र थाना लेमरू अंतर्गत ग्राम लामपहाड और लेमरू में आम ग्रामीणों और स्कूली बच्चों के मध्य जिले के पुलिस अधीक्षक जितेंद्र सिंह मीणा सर, उप पुलिस अधीक्षक (जिला मुख्यालय) रामगोपाल करियारे और थाना प्रभारी लेमरू मरावी के साथ पुलिस स्टाफ द्वारा गांवों में पहुँच कर, नशा के व्यक्ति के व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक जीवन में प्रभाव को विस्तृत रूप से बताया गया । नशा से हो रहे तात्कालिक आवेश और व्यशन से किस तरह के जघन्य और गंभीर अपराध हो रहे उसके बारे में भी बताया गया । लेमरू क्षेत्र में कई ऐसे पहाड़ी कोरबा जनजाति परिवार मिले जिनके परिवार में 40-45 वर्ष के उम्र में ही पिता का साया उठ गया था कई बच्चे अनाथ की जिंदगी जीने को विवश है और इसका एक मात्र कारण है उस एरिया में अत्यधिक नशा का सेवन चाहे वह स्थानीय पेय पदार्थ से निर्मित हो या अन्य ।
विदित हो कि जिला पुलिस कोरबा निरंतर नशे के अवैध व्यापार के खिलाफ कार्यवाही को बड़ी गंभीरता के साथ कर रही है | वही इसके लिए व्यापक जागरूकता हैलों जिंदगी अभियान के तहत चलाया जा रहा है और यह कार्यक्रम पूरे जिले में समग्र रूप से संचालित है इस कार्यक्रम के तहत नशे के अवैध व्यापार और मनः प्रभावी दवाइयों को बिना डाक्टरी प्रिस्क्रिप्शन के विक्रय पर अंकुश लगाने हेतु संदेही स्थानों, व्यक्तियों, दुकानों आदि पर नजर रखी जा रही है | वही अवैध रूप से इस तस्करी में संलग्न व्यक्तियों पर लगातार कार्यवाही भी की जा रही है | इस अवसर पर बच्चों एवं ग्रामीणों को नशे और इससे प्रेरित अपराधों से दूर रहने के साथ ही चिटफंड ठगी, साइबर अपराध, महिलाओं एवं बच्चों पर होने वाले अपराध, सोशल मीडिया से संबंधित अपराध की जानकारियाँ एवं सेल्फ डिफेंस, गुड़ टच-बेड टच, संवेदना कार्यक्रम की मूल उद्देश्यों से सम्बंधित कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ भी दी गयी । इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक द्वारा बच्चों को एकाग्रचित होकर अपने बेहतर भविष्य हेतु लक्ष्य निर्धारित करते हुए सतत साधना के रूप में विद्याध्ययन करते रहने को कहा गया । इस अवसर पर जिला पुलिस कोरबा व थाना लेमरू के थाना स्टाफ और स्कूल शिक्षक शिक्षिकाएँ, छात्र छात्राये व ग्रामीणजन उपस्थित थे ।
देश में नशाबंदी के बहुत से लाभ हो सकते हैं । हमारे बहुत से बड़े-बड़े नेता चारित्रिक पतन के लिए बार-बार चीखते-चिल्लाते हैं । नशाबंदी कानून के लागु होने से उन्हें रोना नहीं पड़ेगा । देश खुद सुधरने लगेगा और हजारों घर उजड़ने से बच जायेंगे ।देश सामूहिक शक्ति प्राप्त कर लेगा । इससे लोग चरित्रवान और बलवान बनेंगे । तामसी वृत्ति समाप्त हो जाएगी और सात्विक वृत्ति बढने लगेगी । इससे धर्म और कर्तव्य की भावना विकसित होगी ।


