रायपुर | लंबे अरसे से फरार चल रहे डकैत डीजी मुकेश गुप्ता को छत्तीसगढ़ सरकार ने एक बार फिर जोर का झटका दिया है | आरोपी मुकेश गप्ता की निलंबन अवधि 180 दिनों के लिए फिर बढ़ा दी गई है | राज्य के गृह विभाग से जारी एक आदेश के तहत आरोपी मुकेश गुप्ता भारतीय पुलिस सेवा 1988 की निलंबन अवधि में 06/08/2019 से 180 दिनों की वृद्धि की गई है | गौरतलब है कि इसके साथ 180 दिनों के उपरांत आने वाली अवधि में ही डकैत डीजी मुकेश गुप्ता के निलंबन काल की पहली “बरसी” भी पूर्ण हो जाएगी |
उधर 7 अगस्त को आरोपी मुकेश गुप्ता की अग्रिम जमानत को लेकर हाईकोर्ट बिलासपुर में सुनवाई होनी है | इसके लिए दुर्ग पुलिस बल ने आरोपी की “केस डायरी” अदालत तक पहुंचाने के लिए पुख्ता प्रबंध किया है | दुर्ग पुलिस की ओर से अग्रिम जमानत का “विरोध” भी किया जाएगा | दरअसल जालसाजी और धोखाधड़ी के मामले में आरोपी मुकेश गुप्ता के खिलाफ पर्याप्त दस्तावेजी प्रमाण पुलिस के पास उपलब्ध है | दुर्ग पुलिस उन प्रमाणों के आधार और मामले की विवेचना को आधार बनाकर अग्रिम जमानत का विरोध करेगी | पुलिस को इस बात के भी पुख्ता प्रमाण मिले है कि आरोपी मुकेश गुप्ता अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए जांच को प्रभावित करने में जुटा है | दरअसल दुर्ग जिला पुलिस बल एवं रेंज में तैनात कुछ अफसरों से नियमित संपर्क कर आरोपी मुकेश गुप्ता विवेचना को कमजोर करने में जुटा है , ताकि ना केवल उसे अग्रिम जमानत हासिल हो जाए बल्कि उसके खिलाफ दर्ज धोखाधड़ी का मामला भी रफा दफा हो जाए | इसके लिए जांच अधिकारीयों पर दबाव बनाया गया है |
इधर बिलासपुर हाईकोर्ट में स्थित “महाधिवक्ता” कार्यालय को भी प्रभावित करने के लिए आरोपी मुकेश गुप्ता ने दांवपेंच खेला है | उसकी कोशिश है कि “महाधिवक्ता” कार्यालय पहले की तरह इस बार भी निष्क्रिय बना रहे | ताकि वो एक बार फिर अपने इरादों में कामयाब हो जाए | गौरतलब है “महाधिवक्ता” कार्यालय ने काम काज अब तक पटरी में नहीं आ पाया है | वकीलों के बीच आपसी खींचतान के चलते राज्य सरकार को कई महत्वपूर्ण मामलो में मुँह की खानी पड़ रही है | ज्यादातर मामलो में “महाधिवक्ता” कार्यालय अदालत में सरकार का पक्ष मजबूत तरीके से नहीं रख पाता है | इसके चलते राज्य सरकार की मंशा धरी की धरी रह जाती है ,वही दूसरी ओर भ्रष्टाचार में लिप्त आरोपी अपनी चाल में कामयाब हो जाते है | हाल ही में राज्य सरकार ने कई अतिरिक्त और उपमहाधिक्ताओं की नियुक्ति कर “महाधिवक्ता” कार्यालय का कामकाज सुचारु बनाने की कोशिश की है | लेकिन इसका कितना फायदा सरकार को मिलेगा यह अभी कह पाना मुश्किल है | बहरहाल यह देखना गौरतलब होगा कि आरोपी मुकेश गुप्ता की अग्रिम जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान अब महाधिवक्ता कार्यालय क्या रुख अपनाता है ?