दिल्ली | कश्मीर में केंद्र सरकार ने सबसे बड़ा फैसला लिया है । कश्मीर में धारा 370 हटाने का फैसला ले लिया है। आज गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में कश्मीर को लेकर 4 बिल और संकल्प प्रस्तुत किया । अमित शाह के इस ऐलान के साथ ही कश्मीर में 370 हटाया जायेगा । विपक्ष उग्र हो गया और जोरदार हंगामा शुरू हो गया । नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन विधेयक को पेश किया है | इसके तहत जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग कर दिया गया है | लद्दाख को बिना विधानसभा केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया है | अमित शाह की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि लद्दाख के लोगों की लंबे समय से मांग रही है कि लद्दाख को केंद्र शासित राज्य का दर्ज दिया जाए, ताकि यहां रहने वाले लोग अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकें | रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू-कश्मीर को अलग से केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया है | जम्मू-कश्मीर राज्य में विधानसभा होगी | बता दें कि इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को राज्यसभा में संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने का प्रस्ताव पेश किया, उनके प्रस्ताव पेश करते ही सदन में विपक्षी नेता हंगामा करने लगे | राष्ट्रपति ने इस बदलाव को मंजूरी दे दी है ।
क्या है आर्टिकल 370
जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा ने 27 मई, 1949 को कुछ बदलाव सहित आर्टिकल 306ए (अब आर्टिकल 370) को स्वीकार कर लिया । भारतीय संविधान को 26 नवंबर, 1949 को अंगीकृत किया गया था । लेकिन इससे करीब एक महीना पहले 17 अक्टूबर, 1949 को आर्टिकल 306ए भारतीय संविधान का हिस्सा बन गया। ‘इंस्ट्रूमेंट्स ऑफ ऐक्सेशन ऑफ जम्मू ऐंड कश्मीर टु इंडिया’ की शर्तों के मुताबिक, आर्टिकल 370 में यह उल्लेख किया गया कि देश की संसद को जम्मू-कश्मीर के लिए रक्षा, विदेश मामले और संचार के सिवा अन्य किसी विषय में कानून बनाने का अधिकार नहीं होगा। साथ ही, जम्मू-कश्मीर को अपना अलग संविधान बनाने की अनुमति दे दी गई ।
जम्मू कश्मीर को मिले हैं खास अधिकार
अनुच्छेद 370 के विशेष प्रावधानों के कारण भारत सरकार के बनाए कानून जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं होते हैं । इतना ही नहीं, जम्मू-कश्मीर का अपना अलग झंडा भी है । वहां सरकारी दफ्तरों में भारत के झंडे के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर का झंडा भी लगा रहता है । जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को दोहरी नागरिकता भी मिलती है । वह भारत का नागरिक होने के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर का भी नागरिक होता है । कुल मिलाकर कहें तो आर्टिल 370 के कारण मामला एक देश में दो रिपब्लिक जैसा हो गया है ।
भारत के कानून की ये बातें नहीं होती लागू
अनुच्छेद 370 कई बातों में जम्मू कश्मीर को भारतीय कानून से बाहर करता है । जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती । जिसके तहत राष्ट्रपति के पास राज्य सरकार को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है । भारतीय संविधान की धारा 360 जिसके अन्तर्गत देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, वह भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होती । जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है, जबकि भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है । भारतीय संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू करवाने के लिए केंद्र को राज्य की सरकार से अनुमोदन कराना होगा ।