छत्तीसगढ़ में आईएएस और आईपीएस अफसर अब अपने बच्चो का दाखिला सरकारी स्कूलों में कराने में दिलचस्पी ले रहे है | ताजा मामला रायपुर में पदस्थ दो डिप्टी कलेक्टरों ने अपने बच्चों का नाम सरकारी स्कूल में लिखवाया है । शहर के प्री प्राइमरी और प्राइमरी स्कूल शांति नगर में रायपुर में पदस्थ संयुक्त कलेक्टर राजीव पाण्डेय ने अपनी दोनों बेटियों का दाखिला इस स्कूल में कराया है । एक बेटी कक्षा दो में है तो दूसरी बेटी कक्षा नर्सरी में पढ़ाई कर रही है । इसके साथ ही डिप्टी कलेक्टर उज्जवल पोरवाल ने अपने बेटे का दाखिला भी इसी स्कूल की नर्सरी में कराया है । खास बात ये है कि संयुक्त कलेक्टर की पत्नि प्रीती पाण्डेय खुद स्कूल में तीन से चार घंटे तक बिना किसी फीस के स्कूल के बच्चों को शिक्षा देती हैं ।
ऐसे में सरकारी स्कूल के लिए घटते विश्वास के बीच ये लोगों के लिए एक मिसाल है जिससे गरीबी और अमीरी के बीच का अंतर खत्म हो । सरकारी और निजी स्कूलों में कोई अंतर नहीं होता जरूरी होती है तो केवल शिक्षा । स्कूल की प्रिंसिपल का कहना है के अफसर के बच्चों के स्कूल में पढ़ने से पढ़ रहे बाकी बच्चों के पालकों को बहुत खुशी होती है कि हमारे बच्चे जिस सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं, वहां अफसर के बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं । इस स्कूल में पहले भी आई पी एस के बच्चे भी दाखिला लेकर पढ़ाई कर चुके हैं ।
लगभग दो साल पहले इलाहबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा था कि नौकरशाहों, नेताओं और सरकरी खजाने से वेतन और मानदेह पाने वाले प्रत्येक मुलाजिम के बच्चे को सरकारी स्कूल में पढ़ाना अनिवार्य किया जाए | इसका उल्लंघन करने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान किया जाने की बात भी अदालत ने की थी | इस फैसले के बाद देश में सरकारी स्कूलों की दुर्दशा को लेकर बहस छिड़ गई थी | लेकिन हुआ कुछ नहीं | हालांकि छत्तीसगढ़ के अधिकारी इस फैसले से प्रेरित होकर अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों का रास्ता दिखा रहे है |