आखिर होता क्या है पुलिस का थर्ड डिग्री टॉर्चर, जिसे अमित शाह बंद करवाना चाहते हैं |

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दिल्ली | केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का कहना है कि थर्ड-डिग्री टॉर्चर की उम्र खत्म हो गई है और पुलिस को बेहतर जांच और फॉरेंसिक सबूतों के जरिए अपराध और आपराधिक सोच वाले लोगों से एक कदम आगे रहना चाहिए | मौका था ब्यूरो ऑफ पुलिस रीसर्च एंड डेवलपमेंट के 50 वें फाउंडेशन डे का ये एक थिंक टैंक है जो गृह मंत्रालय के अंतर्गत काम करता है | अमित शाह ने ये भी कहा कि पुराने पुलिसिया तरीकों को सुधारना चाहिए, और फोन टैपिंग वगैरह पर निर्भर रहने से कुछ नहीं होगा | गृहमंत्री अमित शाह ने पुलिस को सलाह दी है- कहा कि थर्ड डिग्री टॉर्चर का समय अब पुराना हो गया | अब अगर गुनहगारों को पकड़ना है तो बेहतर इन्वेस्टिगेशन और फॉरेंसिक एविडेंस का इस्तेमाल करिए |    अमित शाह ने बात की थर्ड डिग्री टॉर्चर की ,फिल्मों में भी थर्ड डिग्री की बात करते हुए सुनाई देते हैं लोग | कोई बहुत ही घटिया फिल्म देखने चला जाए तो हॉल से निकलके कहता है क्या थर्ड डिग्री टॉर्चर था | हमने लोगों से पूछा कि थर्ड डिग्री टॉर्चर कहने पर उनके ध्यान में क्या आता है | तो हमें ये जवाब मिले बहुत मारते पीटते हैं, नाखून उखाड़ लेते हैं , भूखा-प्यासा रखते हैं , आंख में मिर्ची डाल देते हैं , लेकिन असल में इस थर्ड डिग्री टॉर्चर में होता क्या है ? इसकी कोई गाइडलाइन नहीं है | आपको कहीं ये लिखा हुआ नहीं मिलेगा किसी कोडबुक में | ये कोई टेक्नीकल टर्म नहीं है | टॉर्चर का मतलब प्रताड़ित करना होता है |

डिक्शनरी की परिभाषा के अनुसार टॉर्चर का मतलब होता है किसी को बेतरह चोट पहुंचाना या दर्द देना ताकि उससे कुछ करवाया या उगलवाया जा सके | ये सज़ा के रूप में भी इस्तेमाल होता है |
थर्ड डिग्री को अमित शाह ने पुराना तरीका कह दिया है,होना भी चाहिए | लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि पुलिस टॉर्चर का इस्तेमाल नहीं करती | कई खबरें अभी भी ऐसी आती हैं जहां अभियुक्त पुलिस द्वारा ज्यादती की शिकायत करते हैं | इसको लेकर एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भी कई कैम्पेन चलाए हैं जिनमें टॉर्चर को ख़त्म करने की बात कही गई |


टॉर्चर के फर्स्ट और सेकण्ड डिग्री की बात कभी होती नहीं सुनी होगी आपने | इसकी वजह क्या है | इसमें थर्ड डिग्री कैसे आया | एडविन जे हेनरी ने एक किताब लिखी मेथड्स ऑफ टॉर्चर एंड एक्जेक्यूशन | 1966 में छप कर आई थी. इसमें एडविन बताते हैं | कैदी या अभियुक्त को जुर्म कुबूल करवाने या जवाब दने के लिए मजबूर करने का जो तरीका है, वो स्पेनिश इन्क्विजिशन द्वारा इस्तेमाल होने वाले तरीकों से आया है | इसमें कई तरह के तरीके अपनाए जाते हैं | जैसे बेंत से लगातार जोर से मारना, भूखा-प्यासा रखना, सोने न देना, या शरीर की प्राकृतिक क्रियाएं (मल-मूत्र त्याग) करने से रोक देना | कई सौ सालों तक टॉर्चर के अलग अलग तरीके इस्तेमाल किए गए, कभी जानकारी निकलवाने के लिए तो कभी अपराध स्वीकार करवाने के लिए | कई सौ सालों तक टॉर्चर के अलग-अलग तरीके इस्तेमाल किए गए, कभी जानकारी निकलवाने के लिए तो कभी अपराध स्वीकार करवाने के लिए |


2014 में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने रिपोर्ट किया कि 141 देश अभी भी टॉर्चर का इस्तेमाल करते हैं | 1948 में यूनिवर्सल डिक्लेरेशन ऑफ़ ह्यूमन राइट्स ने टॉर्चर को गैर-कानूनी घोषित कर दिया था | यूएन कन्वेंशन अगेंस्ट टॉर्चर पर एक समझौता हुआ | उस पर भारत ने साइन कर दिए | 1997 में , लेकिन अब तक उसे स्वीकार नहीं किया है | यानी कि कोई कानूनी बाध्यता नहीं है उसको मानने की, साइन करने का मतलब सिर्फ इतना है कि समझौते से सहमति दे दी गई है | स्वीकार करने के बाद ही उस समझौते की शर्त कानूनी रूप से मान्य होंगी उस देश के लिए | इस वक़्त भारत के ऊपर ऐसी कोई बाध्यता नहीं है |