महासमुन्द जिले के शासकीय शराब दुकानों में पूर्व में हुए 11 करोड़ रुपए की हेराफेरी के मामले में तात्कालीन जिला आबकारी अधिकारी प्रवीण वर्मा को आबकारी विभाग के अवर सचिव मरियानुस तिग्गा ने निलंबित कर दिया है । तात्कालीन जिला आबकारी अधिकारी निलंबन के दौरान उनका मुख्यालय मुख्य कार्यालय आबकारी आयुक्त छत्तीसगढ़ नवा रायपुर होगा ।
शासन का आरोप है कि प्रवीण वर्मा ने पद पर रहते हुए दस करोड़ रूपए से अधिक का हेराफेरी किया है | जांच पड़ताल में पाया गया है कि दो अलग अलग वित्तीय वर्ष में विक्रय राशि और बैंक खाते में भारी असमानता है । विक्रय खाता में दर्ज राशि से करोड़ों रूपए कम राशि बैंक में जमा हुआ है । 2017-18 में एक करोड़ 11 लाख 14 हजार,3 सौ तेरह रूपयों की विक्रय राशि को बैंक में जमा ही नहीं किया गया। इसी तरह साल 2018-19 में पंकज वर्मा के कार्यकाल के दौरान 8 करोड,99 लाख,68 हजार,440 रूपयों की विक्रय राशि शासन के खजाने में नहीं डाला गया । इस तरह शासन को पिछले दो सालों में करीब 11 करोड़ रूपयों का नुकसान उठाना पड़ा है । उनका यह कृत्य शासकीय कार्य में लापरवाही ओर उदासीनता है । इसलिए छत्तीसगढ़ सिविल सेवा नियम 1966 के नियम के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है । इस अवधि में उनका मुख्यालय कार्यालय आबकारी आयुक्त छत्तीसगढ़ नवा रायपुर होगा ।
आडिट रिपोर्ट में बताया गया है कि बैंक में जमा राशि और कार्यालय में रखे गए दस्तावेजों में भारी अंतर है । आडिट के दौरान हासिल दस्तावेज के अनुसार दो सालों में करीब 11 करोड़ राशि बैंक में जमा होनी थी । लेकिन खाते में दस्तावेज के अनुसार राशि जमा नहीं हुई है । इससे जाहिर होता है कि करीब 11 करोड़ राशि का गबन किया गया है । इसके लिए सीधे तौर पंकज वर्मा जिम्मेदार है । आडिट में भारी गड़बड़ी उजागर होने के बाद शासन प्रवीण वर्मा के खिलाफ जांच दल का गठन किया है । इसके साथ ही पंकज वर्मा को निलंबित कर आबकारी आयुक्त कार्यालय रायपुर संलग्न कर दिया है । जांच होने और निर्णय आने तक पंकज वर्मा को जीवन निर्वाह भत्ता दिए जाने का आदेश दिया गया है । जानकारी यह भी मिल रही है कि प्रवीण वर्मा के पीछे कुछ शराब माफिया हाथ धोकर पीछे पड़े है । फिलहाल इसमें कितनी सच्चाई है | इसके लिए जांच रिपोर्ट का इंतजार करना ही होगा । इसके बाद ही पता चलेगा कि 11 करोड़ राशि घोटाला में कितनी सच्चाई है ।