उपेंद्र डनसेना |
रायगढ़ | नगर निगम के नए परिसीमन को हुए ढाई पांच साल से भी ऊपर का समय बीत चुका है और जिन वार्डों को परिसीमन के चलते गांव से निगम में शामिल किया गया था । वह आज भी विकास की कमी के साथ-साथ बरी बरसात में पीने के पानी को वार्डवासी तरह रहे हैं । पहले कभी वार्ड नं. 45 गांव के सरपंच के हवाले हुआ करता था, लेकिन जब से नगर निगम की जद में आया है तब से स्थानीय लोगों को निगम की तरफ से कोई सुविधा नहीं मिलने से अब वे परेशान हो रहे हैं |
वार्ड नं. 45 जो शहर से मात्र 5 किलोमीटर दूर है । जो ग्राम भगवानपुर के नाम से कभी जाना जाता था और इसकी पंचायत ग्राम गोरखा से जुड़ी रहती थी । राज्य शासन के दिशा निर्देश के बाद नए परिसीमन में इस भगवानपुर को नगर निगम के परिसीमन में शामिल कर लिया गया और अब यहां सरपंच की जगह वार्ड पार्षद नियुक्त हो चुके हैं । पांच साल पहले से लेकर अब तक यहां की तस्वीर नहीं बदली है । वार्ड के समित्रा सारथी, देवक सारथी, नारायण पटेल, जीएल बरैठ ने बताया कि यहां भरी बरसात में तालाब पूरी तरह सुख चुका है और निस्तार के लिए ग्रामवासी लगातार भटक रहे हैं । इतना ही नहीं पीने का पानी भी इस वार्ड में ठीक से नहीं आता और बाकी विकास कार्यों की तो यहां चर्चा तक नहीं होती । स्थानीय निवासियों में महिलाएं तथा पार्षद भी निगम के रवैये से परेशान हैं । उनकी मानें तो निगम के क्षेत्र में शामिल होने के बाद भी उन्हें सुविधा के लिए तरसना पड़ रहा है । स्थानीय वार्डवासी यहां तक कह रहे हैं कि पहले ग्राम पंचायत ही ठीक थी और निगम में शामिल होनें के बाद तो उनकी परेशानियां चार गुनी पड़ गई है । बरसात के दिनों में पानी के लिए हलाकान गांव की महिलाओं का कहना था कि बीते कई महीनों से उनके गांव के लोगों को पानी की समस्या से जुझना पड़ रहा है ।
वहीं गांव के तालाब भी जब से यहां नहर निर्माण हुआ है तब से सूखा पड़ा हुआ है । परेशान महिलाओं का यह भी कहना था कि जब बरसात के दिनों में इस गांव के ग्रामीणों को पीने के पानी के साथ-साथ निस्तारी के लिए परेशानी हो रही है ,तो गर्मी में दिनों में यहां का भगवान ही मालिक होगा । गांव के ग्रामीण का कहना था कि भगवानपुर जब से नगर निगम क्षेत्र में आया है तब से पूरा गांव परेशानियों से घिर गया है । पहले उनको कुछ भी परेशानी होती थी वे गांव में मीटिंग करके अपनी समस्याओं का समाधान कर लेते थे । अब निगम क्षेत्र में आने के बाद मकान टैक्स, जल टैक्स पटाना पड़ता है , जबकि जल उनको मिलता ही नहीं। इस संबंध में जब वार्ड के पार्षद पति से चर्चा की गई तो उनका कहना था कि यहां पानी को लेकर स्थिति बहुत बदतर हो चुकी है । यहां के तालाब का जल स्त्रोत काफी कम हो चुका है, गर्मी के दिनों में बोर व हैंडपंप पूरी तरह से सूख जाते है । भागीरथी योजना के तहत जो काम किया जा रहा है, मगर वह भी पूरा नहीं हो सका है । इस वजह से गांव के ग्रामीणों को पीने के पानी व निस्तारी के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है । ग्रामीणों की परेशानी को देखते हुए नगर निगम से पानी टैंकर भिजवाने की मांग किए जाने पर दो से चार दिनों में यहां पानी टैंकर भिजवाया जाता है । गरीब ग्रामीणों को नहाने, खाने, पीने के लिए पानी की उचित व्यवस्था नही हो पा रही है ।
शिकायत के बाद भी परेशानी
ग्रामीणों के मुताबिक पहले कभी भगवानपुर की पहचान यहां के तालाबों से हुआ करती थी, जो कभी पानी से लबालब हुआ करती थी । मगर आज की स्थिति में वो भी बरसात के दिनों में यहां के तालाब सुख चुके हैं । कुछ बिल्डरों ने इस क्षेत्र में जमीन लेकर पानी वाले मार्ग का मनोनिशान मिटा दिया है , जिसका खामियाजा आज गांव के ग्रामीण भुगत रहे हैं । इस संबंध में उनके द्वारा कई बार जिला प्रशासन एवं नगर निगम से शिकायत भी की जा चुकी है मगर आज तक उनको इस परेशानी से निजात नहीं मिल सका है ।
दूर की जाएगी वार्डों की समस्या
इस मामले में निगम के सभापति सलीम नियारिया का कहना है कि समय-समय पर नए वार्डों में विकास के कार्य किए जाते हैं । उनका यह भी कहना है कि कुछ कमियां जरूर हैं उनको दूर करने का प्रयास जारी है । सभापति की मानें तो नगर निगम परिसीमन में शामिल नए वार्डों के लिए बकायदा योजनाबद्ध तरीके से विकास कार्य को गति दे रहा है इसके बावजूद भी कुछ कमियां बची होगी तो उसे दूर करने की पहल की जाएगी ।


