छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमित मरीजों के बाद इंश्योरेंस कंपनियों को ठगने की साजिश में न्यूज़ टुडे ने लगाया ब्रेक , रातों रात लालची डॉक्टरों की टीम ने इंश्योरेंस कंपनी के दफ्तर से वापिस लिए अपने बोगस क्लेम , डॉक्टरी पेशे पर बट्टा लगाने वालों की हिमायत के लिए सामने आया IMA , लेकिन सरकारी दरों पर कोरोना के इलाज के सरकारी नियम को लागू करवाने के मामले में साधी चुप्पी 

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रायपुर / छत्तीसगढ़ में एक ओर जहां कोरोना वारियर्स के रूप में ज्यादातर डॉक्टर ख्याति अर्जित कर मरीजों के सामने भगवान के रूप में पूजे जा रहे है , वही इस आपदा के दौर में कुछ मुट्ठी भर डॉक्टर ऐसे भी है जो कोरोना के खौफ को अपनी भारी भरकम कमाई का जरिया बना चुके है | शहरी इलाके हो या ग्रामीण , प्रत्येक इलाकों में कोरोना के इलाज के भारी भरकम बिलों को लेकर मरीजों और उनके परिजनों की सांसे फूली हुई है | कई घर परिवार ऐसे है , जिन्होंने अपने परिजनों के लाखों के बिलों का भुगतान तो इन अस्पतालों में कर दिया | लेकिन अब कर्ज और आर्थिक तंगी से उनका सामना हो रहा है | ऐसे मरीजों को उम्मीद बंधी है कि IMA कम से कम उन्हें उतनी रकम तो उन्हें वापस दिलाएगा जो इलाज के लिए घोषित सरकारी दरों के अतिरिक्त वसूली गई है | लेकिन इस मामले को लेकर IMA चुप्पी साधे हुए है |

छत्तीसगढ़ में यह पहला मौका है जब कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए कई अस्पतालों ने लाखो का बिल पेश कर मरीजों को आर्थिक रूप से जबरदस्त नुकसान पहुँचाया है | उधर राज्य सरकार ने इलाज के नाम पर होने वाली अवैध उगाही की रोकथाम के लिए कोरोना के इलाज की सरकारी दरे भी घोषित की है | लेकिन इसे लागू कराने को लेकर IMA की गैर जवाबदारी जनता के सामने आ रही है | IMA ने कोरोना के इलाज के लिए सरकारी दरों पर ही बिलों का भुगतान सुनिश्चित किये जाने को लेकर कोई कदम नहीं उठाया है | लेकिन IMA ने उस खबर का संज्ञान जरूर लिया है , जिसका भंडाफोड़ न्यूज़ टुडे ने किया था |

दुर्भाग्यजनक बात यह है कि IMA उन कोरोना वारियर्स की हौसला अफजाई के लिए सामने नहीं आया है जो अपनी जान जोखिम में डाल कर चौबीसों घंटे कोरोना मरीजों की सेवा में जुटे है | ऐसे डॉक्टर भगवान के तुल्य है | आज उनकी हौसला अफजाई की जरूरत है | लेकिन IMA की रूचि उन मुट्ठी भर अस्पताल संचालको के बचाव की है जो कोरोना संक्रमितों पर लाखों रूपये के भारी भरकम इलाज के खर्च का भार डाल रहे है | यही नहीं कोरोना काल में जबरदस्त उगाही के लिए क्वारंटाइन सेंटर के नाम पर धर्मशाला और सामाजिक भवनों का दुरूपयोग करने में भी ये अस्पताल पीछे नहीं है | और तो तो इंश्योरेंस कंपनियों को भी ठगने के मामले में ऐसे डॉक्टरों और उनके अस्पतालों ने कोई कसर बाकि नहीं छोड़ी है |  

बताया जाता है कि न्यूज़ टुडे के भंडाफोड़ करने के बाद रायपुर समेत अन्य जिलों के वो अस्पताल संचालक और उनकी मार्केटिंग टीम ने इंश्योरेंस कंपनियों के दफ्तर में डेरा डाल लिया जिन्होंने फर्जी दस्तावेजों के जरिये कोरोना संक्रमित होने की दास्तान रचकर अपने क्लेम फॉर्म जमा किये थे | जानकारी के मुताबिक संदेही अस्पतालों की मार्केटिंग टीम ने उन समस्त क्लेम को फौरन वापस ले लिया है , जो उन्होंने पिछले हफ्ते जमा किये थे | गौरतलब है कि कुछ अस्पतालों ने कोरोना संक्रमण के मेडिक्लेम के लिए अपने स्टाफ के ज्यादातर सदस्यों को कोरोना संक्रमित दर्शाकर बीमा कंपनियों को क्लेम फॉर्म सौंप दिए थे |

न्यूज़ टुडे के खुलासे के बाद संदेही डॉक्टर और अस्पताल अपने बचाव में आ गए है | उन्होंने एक रणनीति के तहत खुद सामने आने के बजाए IMA कोसामने ला दिया है | IMA की ओर से डॉ. राकेश गुप्ता ने राजधानी के दो अस्पतालों के बारे में डॉक्टरों और कर्मचारियों के बीमा क्लेम को लेकर चल रही खबर को भ्रामक बताया है | उन्होंने दावा करते हुए कहा कि उनकी अस्पताल संचालकों और बीमा एजेंट से बात हुई है | उनके मुताबिक इनमे से पहले अस्पताल ने करीब पांच डॉक्टरों का बीमा क्लेम किया है | जबकि दूसरे अस्पताल ने एक भी डॉक्टर और कर्मचारी का बीमा क्लेम फाइल नहीं किया है | उन्होंने हॉस्पिटल बोर्ड रायपुर की ओर से इस खबर का आधिकारिक रूप से खंडन किया है | 

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उधर रायपुर समेत प्रदेश के कई जिलों में धर्मशाला और सामाजिक भवनों के व्यावसायिक उपयोग किये जाने पर वैधानिक कार्रवाई किये जाने की मांग जोर पकड़ रही है | दरअसल कई अस्पतालों ने कोरोना के इलाज के लिए धर्मशालाओं और सामाजिक भवनों को लाखों रूपये प्रतिमाह की दर पर किराये पर ले रखा है | आमतौर पर ऐसे कठिन समय में धर्मशाला और सामाजिक भवन लोक कल्याण के लिए नहीं बल्कि कुछ अस्पतालों के लिए कमाई का स्रोत बन गए है | यहां भर्ती मरीजों से भी संबंधित अस्पताल कोरोना के इलाज के लिए लाखों वसूल रहा है | राज्य शासन द्वारा इस ओर भी ध्यान दिए जाने की जरूरत महसूस की जा रही है | सामाजिक संस्थाओं से जुड़े कई लोग ऐसी संस्थाओं के व्यावसायिक इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग कर रहे है | उनकी यह भी मांग है कि ऐसी धर्मशाला और सामाजिक भवन इस व्यवसाय से प्राप्त आय को मुख्यमंत्री सहायता कोष में जमा कराए | ताकि इस रकम से संक्रमणकाल में गरीब मरीजों का इलाज किया जा सके |