सुनसान झाड़ियों में मिली नवजात बच्ची,पुलिस इंस्पेक्टर की पत्नी ने भूखी बच्ची को अपना दूध पिलाकर दिया मातृत्व, मानवता की मिसाल का दिया खास संदेश

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नोएडा : घनी झाड़ियों के भीतर से किसी बच्चे की रोने की आवाज आई। लोगो ने उस ओर रुख करते ही एक नवजात बच्ची देखी। फिर उसकी जान बचाने की जद्दो – जहद में हर कोई जुट गया। इसी पल एक महिला ने अपना मातृत्व इस बच्ची पर उड़ेल दिया। उसके इस कदम की सराहना हो रही है। शायद इलाके के इंस्पेक्टर की पत्नी यदि मौके पर भूख – प्यास से तड़प रही इस बच्ची को फ़ौरन दूध नहीं पिलाती तो उसकी जान जोखिम में पड़ जाती। मामला दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा का है। यहाँ एक पुलिस अधिकारी की पत्नी ने मानवता की मिसाल पेश की है। उसने अबोध बच्ची की जान बचाई है। 

जानकारी के अनुसार, एक नवजात बच्ची नॉलेज पार्क इलाके में झाड़ियों के भीतर एक कपड़े में लपेटकर फेंकी गई थी। ठंड और भूख – प्यास से उसका जीना मुश्किल नजर आ रहा था। उसकी हालत बहुत गंभीर थी। स्थानीय लोगो की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची। वो उस बच्ची को थाने ले आई, भूख और ठंड के कारण बच्ची चुप नहीं हो रही थी। इस नवजात बच्ची को मां के दूध के अलावा और कुछ नहीं पिलाया जा सकता था। लिहाजा इसकी सूचना पुलिस ने पहले अपने घर – परिवार में दी। फिर एक महिला इस बच्ची के लिए माँ बनकर सामने आई।  

बताया जाता है कि घटना की जानकारी जब पुलिस थाने के एसएचओ की पत्नी ज्योति सिंह को हुई तो उनका मन विचलित हो गया। उन्होंने रोते हुए नवजात को स्तनपान कराने की इच्छा जताई। इसकी अनुमति मिलने के बाद SHO की पत्नी ने नवजात बच्ची को अपना दूध पिलाकर उसकी जान बचाई। ज्योति सिंह ऐसे समय नवजात की बच्ची के लिए फ़रिश्ता बनकर आई। जहाँ नवजात बच्ची के माता-पिता इस कड़ाके की ठंड में उसे लावारिस हालत में झाड़ियों में फेंक कर चले गए, वही ज्योति ने उसे अपने गले से लगा लिया। 

ज्योति सिंह ने कहा कि, मुझे समझ नहीं आ रहा है कि कोई एक बच्ची के साथ ऐसा कैसे कर सकता है? वह बच्चा जो अभी दुनिया भी नहीं देखा उसके साथ ऐसा अन्याय उसके मां-बाप कैसे कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि बच्ची को तड़पता देखकर मुझे बहुत बुरा लगा और रोने का मन हो रहा था. मैं खड़ी रहकर उसे भूख से रोते हुए नहीं देख सकती थी और इसलिए नवजात को स्तनपान कराने का फैसला किया। ज्योति सिंह ने कहा कि मैं समाज को संदेश देना चाहती हूं लड़का-लड़की में भेदभाव न करें. अगर किसी को अपने बच्चों की देखभाल करने में कोई समस्या है तो उन्हें उन्हें अनाथालय या एनजीओ जैसी सुरक्षित जगह पर ले जाना चाहिए, जहां उनका पालन-पोषण हो सके. इस तरह के कृत्य निंदनीय है। 

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