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PWD विभाग में नया कारनामा, टीचर को बना दिया GM, खुलासे के बाद हैरत में सरकार, अब समझ आया अफसरों की तैनाती का अजब-गजब खेल, पढ़े दिलचस्प खबर

लखनऊ / भ्रष्टाचार की जड़े कितनी गहरी है, इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते है कि एक साधारण शिक्षक को PWD विभाग की एक महत्वपूर्ण इकाई में जनरल मैनेजर बना दिया गया। शिक्षक तो भ्रष्टाचार के खेल में काफी अनपढ़ बताये जा रहे है। लेकिन उनकी आड़ में पढ़े – लिखे अफसरों ने वो कारनामा कर दिखाया जिसकी खबर सरकार को भी कानों कान नहीं हुई। जबकि उसके ही सचिवालय से शिक्षक को GM बनाने का आदेश जारी हुआ था। दरअसल मामले का खुलासा उस वक़्त हुआ जब योगी सरकार ने भ्रष्टाचार और उसमे लिप्त अफसरों की शिकायतों पर कार्रवाई शुरू की।

इस दौरान लोक निर्माण विभाग और राजकीय निर्माण निगम में एक भर्ती का खुलासा हुआ जिसे देखकर अफसर भी हैरत में पड़ गए। इतिहास में ऐसा पहला कारनामा सामने आया है जब नियमों की अनदेखी कर पॉलिटेक्निक के टीचर जितेंद्र मौर्य को जीएम, लखनऊ का पद दे दिया गया हो। अफसरों को जितेंद्र मौर्य की कहानी चौका रही है। मिली जानकारी के मुताबिक़ जितेंद्र मौर्य को ड्रॉइंग और डिजाइनिंग का अनुभव है | फ़ील्ड का कोई अनुभव नहीं | बावजूद इसके इन्हें 1 हजार करोड़ से भी ज़्यादा के प्रोजेक्ट की ज़िम्मेदारी दी गई. इसके अलावा जितेंद्र मौर्य का भी प्रतिनियुक्ति कार्यकाल ख़त्म हो चुका है | बावजूद इसके लखनऊ अंचल के जीएम सिविल के पद पर तैनात किया गया है। मामले के खुलासे के बाद विभाग की तरफ़ से जांच की बात कही जा रही है।

इस दौरान एक अन्य अफसर की प्रति नियुक्ति का खुलासा हुआ है। बताया जाता है कि मामला लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता सत्यवीर सिंह यादव की प्रति नियुक्ति ख़त्म होने के आदेश के बावजूद बड़े अधिकारियों की सांठ-गांठ के चलते सत्यवीर सिंह यादव उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम में बने हुए हैं। उनकी प्रतिनियुक्ति की अवधि ख़त्म हो चुकी है।सत्यवीर सिंह यादव 15 जुलाई 2018 को ही प्रतिनियुक्ति ख़त्म होने पर मूल विभाग में वापसी का आदेश होने के के बावजूद कुर्सी पर क़ाबिज़ हैं | यही नहीं सत्यवीर सिंह पर बहराइच मेडिकल कालेज के निर्माण में वित्तीय गड़बड़ी का गम्भीर आरोप भी है |

इस मामले बीजेपी के विधायक राकेश सिंह बघेल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर इसकी लिखित शिकायत भी की थी | पत्र में राकेश सिंह बघेल ने लिखा था की राजकीय एलोपथिक मेडिकल कॉलेज, बाहराइच के निर्माण में अनियमितता में जांच में दोषी पाए जाने के बावजूद 4 लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई संपादित की गई, लेकिन इनमें से 3 पर ही कार्रवाई की गई, जबकि मुख्य दोषी सत्यवीर सिंह यादव को बचा लिया गया | इस पर भी सवाल खड़े किए गए कि बतौर अधिशासी अभियंता से प्रतिनियुक्ति पर आने पर उन्हें प्रोजेक्ट मैनेजर की जगह महाप्रबंधक के पद पर तैनाती कैसे दी गयी? हालात ये हैं कि गम्भीर वित्तीय अनियमितता का आरोप होने के बावजूद सत्यवीर सिंह यूपीआरएनएन में बने हुए हैं |

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