रायपुर: छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपनाने का ऐलान किया है। इसके तहत सरकारी खरीदी में पारदर्शिता, गुणवत्ता और स्वस्थ प्रतियोगिता जारी रखने के लिए जैम पोर्टल के जरिये ही खरीदी अनिवार्य कर दी गई है। अब तमाम विभाग जैम पोर्टल के माध्यम से सरकारी खरीदी सुनिश्चित करेंगे। इसे लेकर 9 जुलाई को कैबिनेट की बैठक में मंजूरी के बाद इस नियम का कड़ाई के साथ पालन किये जाने के निर्देश विभिन्न विभागों को जारी कर दिए गए है। राज्य सरकार की मंशा सरकारी खरीदी में पारदर्शिता और नियमों के पालन के तहत मंजूरी दिए जाने से जुड़ी है। लेकिन इस आदेश के जारी होने के बाद कई सरकारी विभागों में लेन – देन के खेल ने जोर पकड़ लिया है।
जानकारी के मुताबिक जैम के माध्यम से खरीदी करने के बजाय सप्लायरों को बैक डेट में आर्डर जारी किये जा रहे है। कई अफसरों ने पुरानी व्यवस्था के तहत ही बैक डेट में आर्डर जारी कर अपना मोटा कमीशन फिक्स कर लिया है। इस जोड़-तोड़ में हार्टिकल्चर और कृषि विभाग सुर्ख़ियों में है। बताया जाता है कि यहाँ बैक डेट में आर्डर जारी करने का सिलसिला 10 जुलाई से शुरू हो गया है। जबकि इस तिथि से जैम से खरीदी की प्रक्रिया सरकारी अधिकारियों को सुनिश्चित करनी थी। सूत्रों के मुताबिक बैक डेट में आर्डर जारी करने के लिए कई अधिकारियों को छुट्टी के दिनों में भी दफ्तर के चक्कर लगाने पड़ रहे है।
बताते है कि मोटे कमीशन को ध्यान में रखते हुए कई अफसरों ने बैक डेट में सप्लाई आर्डर जारी करने का फार्मूला अपना लिया है। बीजेपी सरकार के अरमानों पर पानी फेरने के लिए नौकरशाही का यह फार्मूला अपना रंग भी दिखा रहा है। गौरतलब है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जैम से खरीदी की व्यवस्था बंद कर दी थी। जानकारी के मुताबिक हार्टिकल्चर विभाग में बोनमिल, जाली, माइक्रोन्यूट्रिएंट की खरीदी को लेकर दिन – रात एक कर दिया है। यहाँ छुट्टियों के दिन भी सप्लायरों का मेला लग रहा है। कोई ‘साहब’ के घर से हिसाब किताब कर दफ्तर पहुंच रहा है, तो कोई बड़े साहब के निर्देश पर हाथों – हाथ आर्डर प्राप्त करने के लिए मुश्तैदी से डटा हुआ है।
कृषि विभाग के अलावा अन्य विभागों में भी आपूर्तिकर्ताओं का मेला ‘पहले आओ पहले पाओ’ की तर्ज पर सजा हुआ है। विधानसभा सत्र के शुरू होने से पहले ज्यादातर अफसर पुरानी व्यवस्था सीएसआईडीसी के रेट लिस्ट और करार के आधार पर सरकारी तिजोरी पर हाथ साफ करने में जुटे हुए है। राज्य की विष्णुदेव साय सरकार ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार और उसके तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले फैसले को पलट दिया था। कैबिनेट ने सरकारी खरीद जैम पोर्टल से ही करने के निर्देश दिए है। दरअसल हालिया 9 जुलाई को मंत्रालय में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट की बैठक में पुरानी व्यवस्था को रद्द करने का फैसला लिया गया था। इसमें खास बात ये थी कि सीएसआईडीसी के माध्यम से खरीदी में भ्रष्टाचार की शिकायतों का अंबार लग गया था।
इसे देखते हुए इसके सभी रेट कांट्रैक्ट 31 जुलाई तक निरस्त करने का निर्णय लिया गया था। बीजेपी सरकार का मानना है कि जैम पोर्टल के माध्यम से खरीदी करने में भ्रष्टाचार पर लगाम कसेगी। इसके लिए छत्तीसगढ़ शासन भंडार क्रय नियम 2002 में संशोधन का अनुमोदन किया गया था। अब सभी विभागों में इस्तेमाल होने वाली सामग्रियों के लिए जेम पोर्टल को अधिकृत किया गया है. राज्य शासन के सभी विभाग आवश्यकतानुसार सामग्री, वस्तुओं और सेवाओं जिनकी दरें और विशिष्टियां भारत सरकार के डीजीएसएण्डडी की जेम वेबसाइट में उपलब्ध और नियमावली के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन करते हुए ही खरीदी कर करेंगे. सरकारी विभागों में सभी तरह की सामग्री, वस्तु और सेवाओं के क्रय के लिए वित्त विभाग की सहमति आवश्यक होगी.
छत्तीसगढ़ शासन में लगभग 114 आवश्यक सामग्रियों की खरीदी के लिए आरसी जारी होती थी. जिसमें 1687 वेंडर्स का आरसी अब निरस्त होने के कगार पर है। इससे बचने के लिए कई विभागों में कारगर व्यवस्था की गई है। बताया जाता है कि नए नियम के तहत जेम पोर्टल से लगभग 900 करोड़ रुपए की खरीदी का आंकलन किया गया था। लेकिन कई विभागों में अफरा तफरी का दौर शुरू होने से सरकार की मंशा पर पानी फिरने लगा है।