रायपुर / छत्तीसगढ़ में लगभग 10 हजार करोड़ के पीएचई घोटाले को लेकर ब्लैकमनी पैडलर्स राज्य की कांग्रेस सरकार की मंशा जाहिर करने का दावा कर रहे है | इसके लिए वो उन सरकारी दस्तावेजों का भी सहारा ले रहे है , जो पीएचई विभाग के ENC की फाइल में होना चाहिए | आमतौर पर इस तरह के दस्तावेज सामान्य लोगों को मुहैया नहीं होते , यही नहीं आरटीआई कार्यर्कताओं को भी ये दस्तावेज राज्य सरकार काफी हाथ पैर मारने के बाद मुहैया कराती है | लेकिन पीएचई विभाग में घोटालों के नहीं थमने के चलते ऐसे दस्तावेज अब भ्रष्ट्राचारियों को हाथों में नजर आ रहे है |
भ्रष्ट्राचार के जरिये छत्तीसगढ़ सरकार की साख पर बट्टा लगाने वाले तत्व इन दस्तावेजों का इस्तेमाल कर पाइप,मोटर पंप और अन्य सामानों की कागजी सप्लाई करने वाले ठेकेदारों को यह कहकर सौंप रहे है कि मामला सेट हो गया है | नए सिरे से होने वाले कुछ मात्र टेंडरों में ही सारी खानापूर्ति कर ली जाएगी | उन्होंने यकीन दिलाया है कि नया EOI ड्राफ्ट इसी तर्ज पर तैयार कर लिया गया है | लिहाजा रिश्वत के रूप में दी गई 6 फीसदी अग्रिम भुगतान की वापसी के लिए दबाव ना बनाया जाए | बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा पीएचई विभाग के सभी टेंडर रद्द कर देने से भ्रष्ट्र अफसरों और ठेकेदारों के अरमानों पर से पानी फिर गया था | वो अपनी रकम की वापसी की मांग को लेकर पीएचई मंत्री और विभाग के वरिष्ठ अफसरों पर दबाव बढ़ा रहे थे |
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस राज में पाइप घोटाला कोई नई बात नहीं है | राज्य गठन के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री अजित जोगी के कार्यकाल में भी पीएचई विभाग में पाइप घोटाला सामने आया था | इस दौरान पीएचई विभाग की जवाबदारी संभाल रहे तत्कालीन मंत्री भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री के संज्ञान में तमाम तथ्य लाते हुए घोटालेबाजों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की थी | यह संयोग ही है कि मौजूदा सरकार के मुख्यमंत्री तत्कालीन कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में पीएचई मंत्री थे | लेकिन इस बार मामला ठीक उलट है | घोटाले की जिम्मेदारी विभागीय मंत्री रूद्र कुमार गुरु के कंधों पर नजर आ रही है |
वही मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा भ्रष्ट्राचार के इस बड़े मामले की जांच को लेकर लेटलतीफी सामने आ रही है | राज्य सरकार ने लगभग 10 हजार करोड़ के टेंडर तो रद्द कर दिए , लेकिन घोटाले की बुनियाद रखकर कांग्रेस सरकार की साख पर बट्टा लगाने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है | लिहाजा आम जनता के बीच पीएचई घोटाला जहाँ चर्चा का विषय बना हुआ है , वही ब्लैकमनी पैडलर्स के दावे सरकार की साख पर सवालियां निशान लगा रहे है |
जानकारी के मुताबिक पीएचई और सिचाई विभाग और हॉर्टिकल्चर के अलावा कई और विभागों में ब्लैकमनी पैडलर्स ने शिकंजा कसा हुआ है | राजेश-मुकेश नामक दोनों शख्स राज्य सरकार द्वारा जारी किसी भी टेंडर निविदा को मैनेज करने का दावा कर रहे है | उनकी दलील है कि जिस तरह से पीएचई विभाग के टेंडर मैनेज किये गए थे , उसी तर्ज पर अन्य विभागों में भी उनका सिक्का चलता है | बताया जाता है कि कई सरकारी अधिकारी भी राजेश-मुकेश के ग्राहकों में शामिल है | सूत्र बता रहे है कि भ्रष्ट्राचार और घोटाले से निकलने वाली ब्लैकमनी को व्हाइट मनी में तब्दील करने के लिए राजेश-मुकेश काफी कारगर है |
यह भी बताया जा रहा है कि दुबई , मलेशिया और मॉरीशस में ब्लैकमनी पैडलर्स के ठिकानों में कई बड़े अधिकारीयों के निवेश संबंधी काले चिट्ठे मौजूद है | केंद्रीय जांच एजेंसियों को मौजूदा सरकार के पीएचई घोटाले समेत पूर्ववर्ती सरकार के दर्जनों घोटालों में शामिल सरकारी अफसरों और ठेकेदारों की कार्यप्रणाली और अर्जित रकम की जांच करनी होगी | बताया जा रहा है कि यदि जांच हुई तो छत्तीसगढ़ में हुए कई सुनियोजित बड़े घोटालों की असलियत सामने आने में देर नहीं लगेगी |
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