श्रीनगर / कश्मीर में आतंकी यदि मुख्य धारा में लौटना चाहते है तो सरकार उनके खुले दिल से स्वागत के लिए तैयार है | इसे देखते हुए जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने आतंक की राह पर चल पड़े दहशतगर्दों को अमन और शांति के रास्ते पर लाने के लिए सरेंडर पॉलिसी तैयार की है | इसमे ऐसे युवाओं को शामिल किया जायेगा, जो हिंसा छोड़ अमन-चैन से रहने का वादा करेंगे |
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सेना के लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू ने इस योजना के बारे में जानकारी दी है | उनके मुताबिक जल्द ही कश्मीर घाटी में एक नई स्कीम की शुरुआत की नीव रखी जाएगी | इसका मसौदा केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री मोदी को सौंप दिया गया है | हालाँकि यह स्कीम अभी फाइनल नहीं की गई है, लेकिन एडवांस स्टेज में जरूर है | लेफ्ट. जनरल राजू ने कहा कि कई आतंकी ऐसे युवा हैं, जो पाकिस्तान के बहकावे में है | लेकिन उन पर ध्यान दिया जाये तो वे हथियार छोड़ देंगे | उनका भविष्य सुधारने की जरूरत है, योजना के मुताबिक ऐसे युवाओं को सुधारने के लिए मुस्लिम बहुल कश्मीर से बाहर भेजा जा सकता है |
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हालाँकि कश्मीर में आतंकियों के सुधार की ऐसी कोशिशें पहले भी हो चुकी हैं, जिसमें मिलीजुली सफलता हाथ लगी है. राजू ने कहा कि सेना ने यह सुझाव दिया है कि पूर्व में आतंकी रहे युवाओं को लंबे वक्त के लिए पुनर्वास में रखा जा सकता है. इस योजना का मकसद यह है कि रास्ता भटके ऐसे लोगों में विश्वास का भाव पैदा किया जाए ताकि वे आत्मसमर्पण करें और शांति की दुनिया में लौटें.
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कश्मीर में पिछले तीन दशक में आतंकी घटनाओं में लगभग 50 हजार लोगों की जान गई है | कश्मीर में दहशतगर्दी फ़ैलाने में सीधे पाकिस्तान का हाथ है | भारत का कहना है कि पाकिस्तान आतंकी गुटों का इस्तेमाल उसके खिलाफ छद्म युद्ध के तौर पर करता है | हालाँकि सरेंडर पॉलिसी के लागू होने के बावजूद आतंकी घटनाओं को सख्ती से कुचलने के लिए सुरक्षा बल तैयार है | धारा 370 की समाप्ति के बाद पिछले साल की तुलना में इस वर्ष कश्मीर में 40 फीसदी तक आतंकी घटनाएं कम हुई हैं |
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सेना का मानना है कि कश्मीर घाटी में लगभग 180 आतंकी संगठन सक्रिय हैं. ऐसा भी अनुमान है कि इस साल की शुरुआत से अभी तक 70 स्थानीय युवाओं को आतंकी संगठनों में शामिल किया गया है | लेफ्ट. राजू ने बताया कि, हम उम्मीद करते हैं कि ऐसी भर्तियां रुकें और अंत में बिल्कुल ही खत्म हो जाए. अभी तक 2004 की सरेंडर पॉलिसी के मुताबिक भटके युवा सरेंडर करते आए हैं. उनके मुताबिक ऐसे युवाओं को हर महीने स्टाइपेंड और वोकेशनल ट्रेनिंग दी जाती है. जो हथियार वे जमा कराते हैं उसके बदले नकद भुगतान भी किया जाता है. फ़िलहाल उम्मीद की जा रही है कि नई सरेंडर पॉलिसी से कश्मीर के भटके हुए नौजवान वतन वापसी करेंगे |