रायपुर में मरीजों का नया कत्लखाना, कोहनी के ज्वाइंट ऑपरेशन में खुला छोड़ा वेस्ट तार, जीवनभर के लिए अपंग हो गया मरीज, ‘मेडिशाइन हॉस्पिटल’ पर उपभोक्ता अदालत ने ठोका 5 लाख का जुर्माना, अब अस्पताल प्रशासन पर होगी दर्ज FIR ? IMA का मौन व्रत सुर्ख़ियों में….

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रायपुर: छत्तीसगढ़ में NHMMI अस्पताल के बाद एक नया कत्लखाना सामने आया है। ऊँची दुकान-फीके पकवान के इस ठिकाने में एक कथित जिम्मेदार डॉक्टर और यहाँ के मेडिकल प्रशासन की काली करतूत सामने आई है।अदालत में गुहार लगाने के बाद पीड़ित मरीज कों मामूली राहत मिली है, मेडिशाइन अस्पताल के डॉक्टर पर उपभोक्ता फोरम कोर्ट ने 5 लाख रुपए का बतौर हर्जाना ठोकते हुए यह रकम पीड़ित मरीज को सौंपने का आदेश दिया है। कोर्ट के इस निर्देश के बाद दागी मेडिकल प्रशासन के खिलाफ FIR दर्ज करने की सुगबुगाहट भी तेज है।

पीड़ित परिवार ऐसे लापरवाह अस्पताल और उनके डॉक्टरों के खिलाफ गंभीर धाराओं के तहत FIR दर्ज करने की गुहार लगा रहा है, स्वास्थ्य विभाग से भी इस अस्पताल का लाइसेंस निरस्त करने की मांग की गई है। रायपुर में इलाज के नाम पर मरीजों के साथ लूटपाट करने में तुले अस्पतालों की फेहरिस्त में मेडिशाइन अस्पताल का नाम भी शुमार हो गया है। प्रदेश में अस्पताल इंडस्ट्री में निवेश को लेकर नए बाजार के अस्तित्व में आने से मरीजों की जान पर बन आई है। जानकारी के मुताबिक इस इंडस्ट्री ने भारी भरकम खर्च और बैंकिंग क़िस्त अदा करने की जवाबदारी सिर्फ मरीजों और उनके परिजनों के कंधों पर डाल दी है।

जबकि निवेशकर्ता चांदी की फसल काट रहे है, गला काट प्रतिस्पर्धा के चलते अस्पताल इंडस्ट्री के कई निवेशकर्ता मरीजों के खून के प्यासे हो गए है, उनकी खून-पसीने की कमाई लूटने के लिए मरीजों को बेमौत मारने से भी नहीं हिचकिचाने वाले डॉक्टर और निवेशकर्ता अस्पताल इंडस्ट्री में पलीता लगा रहे है। ताजा मामले में ऑपरेशन के दौरान शरीर के भीतर लापरवाही पूर्वक तार छोड़ना एक मरीज पर भारी पड़ गया है। उपभोक्ता फोरम से प्राप्त जानकारी के अनुसार रायपुर के मेडिशाइन अस्पताल पर 5 लाख का जुर्माना लगाते हुए मरीज को यह रकम सौंपने का आदेश दिया गया है। 

जानकारी के मुताबिक इस अस्पताल में कंधे का ऑपरेशन कराने गए एक युवक के शरीर में डॉक्टर ने मेडिकल वेस्ट रुपी तार का टुकड़ा छोड़ दिया था। बताते है कि भारी भरकम बिल अदा कर पीड़ित मरीज इस अस्पताल से मुक्त हुआ था। लेकिन ऑपरेशन के बाद उसका मर्ज कम होने के बजाय बढ़ता चला गया। पीड़ित ने कई बार शिकायते की और ऑपरेशन को लेकर सवालियां निशान भी लगाए। लेकिन मेडिशाइन अस्पताल ने पीड़ित कों समुचित इलाज कराने के मामले से पल्ला झाड़ लिया। अलबत्ता प्रत्येक जांच के लिए मरीज से पृथक फीस भी वसूली गई।  

बताया जाता है कि स्थानीय रायपुर निवासी वेदप्रकाश सिंह 16 मार्च 2014 को अपने घर में गिर गए थे। इससे उनके बायें  हाथ की कोहनी टूट गई थी। उनका इलाज मेडिशाइन हॉस्पिटल में किया गया था। ऑपरेशन के लिए मरीज इस अस्पताल में 24 से 26 मार्च तक भर्ती भी रहे। दस्तावेजों के मुताबिक उनका इलाज डॉ सुशील शर्मा द्वारा किया गया था। उन्होंने मरीज की कोहनी का ज्वाइंट ऑपरेशन किया था। पीड़ित मरीज ने समय-समय पर डॉक्टर और अस्पताल को इलाज का भुगतान भी किया था। 

बताया जाता है कि ऑपरेशन में बरती गई लापरवाही के चलते मरीज अब जीवनभर के लिए विकलांग हो गया है। हालांकि पीड़ित ने जज्जबा दिखाते हुए अपनी आपबीती उपभोक्ता फोरम को सुनाई। यही नहीं दस्तावेजी प्रमाण उपलब्ध कराकर मेडिशाइन अस्पताल को जांच के घेरे में ला खड़ा किया। फ़िलहाल, लंबी सुनवाई के बाद फोरम ने बतौर क्षतिपूर्ति पीड़ित को 1 लाख रुपए के अलावा हॉस्पिटल को परिवादी के इलाज में खर्च हुए पैसे के साथ उसे 5 लाख रुपए हर्जाना देने का आदेश दिया है।

छत्तीसगढ़ में ज्यादातर अस्पताल मोटी अदाएगी के साथ बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं भी प्रदान कर रहे है। मरीजों की संतुष्टि के लिए ऐसे अस्पताल पारदर्शितापूर्ण तरीके से भुगतान प्राप्त करते है। लेकिन अस्पताल इंडस्ट्री में ऐसे कत्लखाने भी कुकुरमुत्तों की तरह उग आये है, जहाँ इलाज के नाम पर मरीजों के साथ लापरवाही और लूटपाट की घटनाये सामने आ रही है। ऐसे ठिकानों में मरीजों कों बेहतर और अच्छे स्वास्थ्य का भरोसा दिलाकर भर्ती तो कर लिया जाता है, लेकिन यहाँ उनकी जान जोखिम में डाल कर हफ्ता वसूली जैसा खेला किया जा रहा है।

इसके पूर्व भारती देवी खेमानी हत्याकांड में NHMMI अस्पताल दोषसिद्ध साबित हुआ है। राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग की एक उच्च स्तरीय कमेटी ने भारती देवी खेमानी की मौत को लेकर इस अस्पताल को दोषसिद्ध पाया था। NHMMI का लाइसेंस रद्द कर FIR दर्ज करने की सिफारिश जांच कमेटी ने की थी। लेकिन यह मामला महीनों से वैधानिक कार्यवाही की बांट जोह रहा है। इस बीच मेडिशाइन अस्पताल के प्रकरण ने आम मरीजों और उनके परिजनों को सोचने पर विवश कर दिया है। पीड़ित की गुहार से रूबरू होने के बाद न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने मेडिशाइन अस्पताल से इस मामले को लेकर प्रतिक्रिया लेनी चाही, लेकिन कोई प्रतिउत्तर नहीं प्राप्त हो सका।

उधर IMA भी इस प्रकरण को लेकर चुप्पी साधे हुए है, बताया जाता है कि IMA डॉक्टरी पेशे और उनके अधिकारों को लेकर सक्रिय रहता है, ना कि लूटते-पीटते मरीजों की रक्षा के लिए आगे आता है, भले ही डॉक्टर बिरादरी में इलाज के नाम पर कत्लखाने क्यों ना संचालित हो ? NHMMI की तर्ज पर इस मामले में भी IMA की चुप्पी हैरान करने वाली बताई जाती है। हालांकि कई डॉक्टर अपनी मंशा जाहिर करते हुए साफ कर रहे है कि डॉक्टरी पेशे पर पलीता लगाने वाले निवेशकर्ता डॉक्टरों और ऐसे मेडिकल प्रशासन के खिलाफ भी IMA को अपना मुँह खोलना चाहिए। उसकी चुप्पी से जहाँ इलाज के सौदागरों की पौ-बारह है, वही पीड़ितों का दम निकल रहा है।