नई योजना : ब्राह्मण से शादी करने पर मिलेंगे 3 लाख, ब्राह्मण युवक से शादी रचाने को लेकर मची होड़, देश के इस राज्य ने ब्राह्मणों के योगदान को सराहते हुए लागू की उत्थान योजना, पायलट प्रोजेक्ट में ही सरकार की वाह – वाही, लोगों में जबरदस्त रिस्पॉन्स

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बंगलुरु / समाज में ब्राह्मणों के योगदान को नकारा नहीं जा सकता। प्राचीन काल से ही ब्राह्मण देवता का यशगान होता चला आया है। मौजूदा दौर में भी शादी ब्याह का मसला हो या फिर अंतिम संस्कार का, शुभ – अशुभ दोनों ही कार्यों में ब्राह्मणों की मौजूदगी शास्त्र संगत बताई गई है। इसमें दान का भी वर्णन किया गया है। लिहाजा देश की एकमात्र कर्नाटक सरकार ने ब्राह्मणों की सुध ली है। हालाँकि ब्राह्मणों को हाथों – हाथ लेने के चक्कर में विरोधियों ने सरकार पर तंज भी कसा है। बावजूद इसके तमाम आरोपों को दरकिनार कर राज्य सरकार ने ब्राह्मणों के हितों और उत्थान को ध्यान में रखते हुए दो योजनाओं को मंजूरी दी है। इसके पायलट प्रोजेक्ट को फ़ौरन लागू भी कर दिया है।कर्नाटक में राज्य ब्राह्मण विकास बोर्ड का गठन कर राज्य सरकार ने ब्राह्मण देवता के कल्याण के लिए ठोस कदम उठाये है।

प्रतीकात्मक तस्वीर

सरकार के मुताबिक ब्राह्मण उत्थान योजना के तहत ब्राह्मण युवक से शादी करने पर लड़की को सरकार की ओर से तीन लाख रुपये मिलेंगे। एक अन्य योजना के तहत ब्राह्मण समुदाय की आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की युवतियों की शादी के लिए 25,000 रुपये दिए जाएंगे।जानकारी के मुताबिक, अरुंधति और मैत्रेयी योजनाओं को राज्य सरकार गांव – गांव में लागू करेगी। पहली योजना के तहत 25 ब्राह्मण महिलाओं को 3-3 लाख रुपये के फाइनेंशियल बॉन्ड दिए जाएंगे। यह पैसा उन ब्राह्मण महिलाओं को मिलेगा, जो आर्थिक रूप से कमजोर पुजारियों से शादी करेंगी। वहीं दूसरी योजना के तहत 550 महिलाओं को 25-25 हजार रुपये दिए जाएंगे। यह पैसा उन्हें मिलेगा, जो अपने समुदाय के आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों में शादियां करेंगी।

भाजपा नेता और कर्नाटक राज्य ब्राह्मण विकास बोर्ड के अध्यक्ष एचएस सच्चिदानंद मूर्ति ने कहा कि ये योजनाएं कमजोर तबके के उत्थान के लिए लाईं गईं हैं। अरुंधति स्कीम में महिलाओं को 25 हजार रुपये और मैत्रेयी स्कीम में 3 लाख रुपये के बॉन्ड दिए जाएंगे। बताया गया है कि कर्नाटक की जनसंख्या करीब 6 करोड़ है, जिसमें से तीन प्रतिशत जनसंख्या ब्राह्मणों की है।

मैत्रेयी योजना के तहत गरीब ब्राह्मण पुजारी से शादी करने वाली 25 महिलाओं को जो तीन लाख रुपये के बॉन्ड मिलेंगे, वे उन्हें तीन साल तक इस्तेमाल कर सकते हैं। स्कीम में ऐसी व्यवस्था की गई है कि एक ही बार में पूरा का पूरा 3 लाख रुपया नहीं दिया जाएगा। इसे तीन सालों में दिया जाएगा, हर साल एक लाख रुपये मुहैया कराए जाएंगे ताकि इस योजना का गलत इस्तेमाल न हो सके। इन शादीशुदा जोड़ों को इस योजना का लाभ लेने के लिए तीन साल तक साथ रहना होगा।शाही के हर एक साल के अंत पर 1 लाख रुपये की इंस्टालमेंट जोड़े को दी जाएगी।

एचएस सच्चिदानंद मूर्ति ने न्यूज़ टुडे को बताया कि शुरुआत में मैत्रेयी योजना ऐसी महिलाओं के लिए शुरू किए जाने की योजना थी, जो किसी बीपीएल ब्राह्मण किसान या बावर्ची या पुजारी से शादी करती। लेकिन राज्य का दौरा करने पर पता चला कि पुजारी वर्ग आर्थिक रूप से काफी कमजोर है। इसलिए इस योजना को पुजारियो के फायदे के लिए चलाया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि ब्राह्मण समुदाय के होनहार छात्रों को भी आर्थिक मदद देने की योजना तैयार की गई है। उनके मुताबिक शादी के अलावा गरीब ब्राह्मण छात्रों की मदद भी की जाएगी। यूपीएससी-प्री निकालने वाले छात्रों के लिए भी 14 करोड़ रुपये अलग रखे गए हैं। इस धनराशि को गरीब ब्राह्मण छात्रों की फीस, प्रशिक्षण और छात्रवृत्ति देने पर खर्च किया जाएगा। इस योजना को लागू कर कर्नाटक देश का पहला ऐसा राज्य बना है, जो ब्राह्मण समुदाय के कल्याण के लिए आगे आया है।

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