नया आयकर कानून 2026: बदलाव और फायदे
नया आयकर कानून 2026 लोकसभा में सोमवार को बिना विपक्षी बहस के पारित हो गया। यह 1961 के जटिल आयकर अधिनियम को बदलकर S.I.M.P.L.E यानी सरल, पारदर्शी और समझने में आसान बनाएगा। यह 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा।
S.I.M.P.L.E का अर्थ है – Streamlined structure and language, Integrated and concise, Minimised litigation, Practical and transparent, Learn and adapt, और Efficient tax reforms।
क्या बदलेगा?
बीजेपी सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली सेलेक्ट कमेटी ने 285 सुझाव दिए, जिनमें अधिकांश स्वीकार किए गए। नया कानून लगभग 50% कर संरचना को सरल करेगा। इसमें भाषा आसान की गई है, कटौतियों को स्पष्ट किया गया है और ‘कैपिटल एसेट’, ‘MSME’ व ‘बेनीफिशियल ओनर’ जैसे शब्दों की परिभाषा तय की गई है।
मुख्य बदलाव:
- देर से रिटर्न दाखिल करने पर भी टैक्स रिफंड का दावा संभव।
- TDS देर से फाइल करने पर कोई वित्तीय जुर्माना नहीं।
- Nil-TDS सर्टिफिकेट की सुविधा।
- विशेष पेंशन फंड से मिलने वाले कम्यूटेड पेंशन पर स्पष्ट छूट।
- इंटर-कार्पोरेट डिविडेंड कटौती (सेक्शन 80M) बहाल।
- मकान किराये पर कर अब वास्तविक किराये के आधार पर।
- MSME की परिभाषा 2020 अधिनियम के अनुसार।
- ‘टैक्स ईयर’ की अवधारणा लागू होगी।
- अप्रासंगिक ‘फ्रिंज बेनिफिट टैक्स’ हटाया गया।
क्या वही रहेगा?
कर स्लैब्स में कोई बदलाव नहीं होगा और अदालतों द्वारा तय प्रमुख परिभाषाएं यथावत रहेंगी। साथ ही, कराधान कानून संशोधन विधेयक 2025 भी पारित हुआ, जिससे सऊदी सॉवरेन वेल्थ फंड को भारत में निवेश पर कर राहत मिलेगी।
