खेती किसानी भले ही लाभ का धंधा चंद बड़े किसानो के लिए होगा ,लेकिन छत्तीसगढ़ में आज भी बड़े पैमाने पर ऐसे किसान है ,जो खेती बाड़ी कर अपने परिवार का भरण पोषण करते है | उनकी आजीविका पूरी तरह से खेत खलियानो पर निर्भर है | कई सालो बाद ऐसे किसानो के सिर पर से कर्ज का बोझ उतरने से उनकी सामाजिक ,आर्थिक और शैक्षणिक उन्नति झलकने लगी है | अब ये किसान जमाने के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने योग्य दिखाई दे रहे हैं | कर्ज माफ़ी की चिंता ने इनके माथे पर ऐसी लकीरे खींची थी कि उनकी तह उम्र खेत खलियानो में ही गुजर जाती थी | लेकिन अब कर्ज माफ़ी ने उनकी खुशियां लौटा दी है | इसकी झलक देखने को मिल रही है ,TIKTOK में |
किसान परिवारों के युवक -युवतियाँ लहलहाती फसलों के बीच TIKTOK रिकॉर्ड कर रहे है | कही धान की फसल तो कही गन्ने के खेत , यही नहीं साग सब्जियों के बाग़ बगीचो में भी ऐसी बाहर आयी है कि जबरदस्त वीडियोग्राफी दिखाई देती है | हरे भरे खेत खलियानो में ख़ुशी से झूमते नौजवान ,इस बात का सन्देश दे रहे है कि अब जाकर उनका घर परिवार खुशहाल दिखाई दे रहा है | दरसअल आर्थिक संकटो के सामने छत्तीसगढ़ के सैकड़ो किसानो ने दम तोड़ दिया था | कर्ज लेकर खेती किसानी करना और कर्जदार बनकर मौत को गले लगा लेना किसानो की जिंदगी का फल सफा बन गया था | मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सत्ता में आने के बाद ये परिपाटी टूटते नजर आ रही है | कर्जमाफी ने हजारो किसानो को ऐसा संबल दिया है कि उनके घरो में तीज त्यौहार पारंपरिक रूप से लौट आए है | आर्थिक समृद्धि से ज्यादा कर्ज मुक्ति की ख़ुशी चेहरे पर दिखाई देती है | अब वो नैतिक रूप से काफी मजबूत नजर आ रहे है क्योकि बैंको के तकाजे से ना केवल मुक्त हुए है ,बल्कि सिर पर लगा कर्जदार होने का कलंक भी मिट गया है | हाथो में पैसा होने के चलते उनका सामाजिक स्तर भी ऊंचा उठा है | आधुनिक लटके झटके से वो भी रूबरू हो रहे है | हाथो में कीमती मोबाईल , स्कूलों और अन्य शैक्षणिक संसथाओ की ओर उनके बढ़ते कदम बता रहे है कि अब वे पिछड़े नहीं , अगडो के दौर में शुमार होने जा रहे है |
छत्तीसगढ़ में कर्जमाफी और किसानो को धान का समर्थन मूल्य ढाई हजार रुपए प्रति क्विंटल दिए जाने का सीधा असर ना केवल किसानो की सामाजिक आर्थिक स्थिति पर पड़ा है ,बल्कि बीते बीस सालो में छत्तीसगढ़ में खेती का रकबा जबरदस्त बढ़ा है | समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए पिछले वर्ष की तुलना में इस बार करीब डेढ़ लाख से अधिक किसानो ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया है |