दिल्ली वेब डेस्क / कोरोना वायरस की वैक्सीन आने से पहले कई दवाओं के जरिये इसे नियंत्रित या ख़त्म करने के लिए दुनियाभर के डॉक्टर प्रयासरत है | जहाँ इसके वैक्सीन की तैयारी की जा रही है वहीँ नई दवाओं और थैरेपी की खोज भी जारी है | दुनिया के कई देशों के वैज्ञानिक और डॉक्टर दवा और वैक्सीन दोनों के लिए कार्यरत है | कई निजी और सरकारी लैब में रिसर्च जारी रहने की वजह से लगातार नई जानकारी सामने आ रही है | दो चर्चित वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च और स्टडी के बाद ऐलान किया है कि कोलेस्ट्रॉल घटाने वाली दवा से कोरोना मरीजों का इलाज हो सकता है |
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जानकारी के मुताबिक हिब्रू यूनिवर्सिटी यरुशलम के प्रोफेसर याकोव नहमियास और न्यूयॉर्क इकाहन स्कूल ऑफ मेडिसिन के डॉ. बेंजामिन टेनओवर ने कोलेस्ट्रॉल घटाने वाली दवाओं को कोरोना के इलाज के लिए कारगर बताया है | उनके इस ऐलान के बाद कई देशों में रिसर्च शुरू हो गई है | दोनों वैज्ञानिकों के मुताबिक पिछले तीन महीने से वे कोरोना की दवा को लेकर रिसर्च कर रहे थे | स्टडी के दौरान उन्होंने कोलेस्ट्रॉल घटाने वाली दवा Fenofibrate को संक्रमण ख़त्म करने के लिए उपयुक्त पाया | उनके मुताबिक इस दवा के उपयोग के काफी सकारात्मक नतीजे सामने आये है |
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दोनों ही वैज्ञानिक प्रोफेसर नहमियास और डॉ. टेनओवर ने अपनी रिसर्च में कोरोना वायरस के मरीजों के फेफड़ों को प्रभावित करने की प्रक्रिया को ध्यान से परखा था | आमतौर पर यह वायरस मरीजों के फेंफड़ों पर असर डालता है | रिसर्च में वैज्ञानिकों को पता चला कि वायरस कार्बोहाइड्रेट के रुटीन बर्निंग को रोक देते हैं. इसकी वजह से काफी अधिक फैट फेफड़ों के सेल में जमा हो जाता है. इससे फेंफड़े बुरी तरह से संक्रमित होकर काम करना बंद कर देते है |
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दोनों ही वैज्ञानिकों ने अपनी इस रिपोर्ट को डेली मेल और medicalxpress.com में शेयर किया है | उनका मानना है कि इस स्टडी से यह समझने में मदद मिल सकती है कि क्यों हाई ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल लेवल वाले मरीज कोरोना संक्रमण की हाई रिस्क कैटेगरी में चले जाते हैं | दोनों वैज्ञानिकों ने अपनी स्टडी में पाया है कि Fenofibrate दवा के इस्तेमाल से फेफड़ों के सेल्स अधिक फैट बर्न करते हैं और इसकी वजह से कोरोना वायरस कमजोर पड़ जाता है |
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दवाओं के इस्तेमाल से ये खुद को रिप्रोड्यूस नहीं कर पाता. इससे संक्रमण तेजी से ख़त्म होने लगता है | लैब स्टडी के दौरान, दोनों ही वैज्ञानिकों ने पाया कि सिर्फ 5 दिन के ट्रीटमेंट के बाद वायरस खत्म हो गए | इस रिसर्च के बाद उसके नतीजों को परखने के लिए दुनिया के कई देशों ने इसे आजमाना शुरू कर दिया है | कई अस्पतालों में इस थ्योरी के आधार पर कोरोना संक्रमितों का इलाज भी शुरू किया गया है |