नई दिल्ली/रायपुर: छत्तीसगढ़ में नए डीजीपी की नियुक्ति के लिए केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने अपनी कार्यवाही शुरू कर दी है। केंद्र और राज्य के बीच जारी पत्र व्यवहार से साफ़ हो गया है कि मौजूदा डीजीपी अशोक जुनेजा को अब सेवा विस्तार मिलना लगभग ना मुमकिन है। एक डोजियर में केंद्र ने राज्य सरकार को डीजीपी पद के लिए भेजे जाने वाले पैनल में ही साफ कर दिया है कि जुनेजा का पत्ता साफ कर दिया गया है।
दस्तावेज में अंकित टिप्पणी चर्चा में है। सूत्र तस्दीक करते है कि भारत सरकार के एक पत्र में दर्ज किया गया है कि 4 फरवरी को जुनेजा के रिटायरमेंट के चलते रिक्त होने वाले पद के विरुद्ध वरिष्ठ अधिकारियों का नाम पैनल में भेजा जावे। इस पैनल में अब 1994 बैच के आईपीएस जीपी सिंह का नाम भी शामिल किया जायेगा।
माना जा रहा है कि डीजी पद पर उनकी जल्द पदोन्नति होने के आसार है। इसके साथ ही 1992 बैच के आईपीएस अरुण देव गौतम के प्रभारी डीजीपी बनने की राह आसान हो गई है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक गौतम को पहले प्रभारी और फिर पूर्णकालिक डीजीपी बनाये जाने के पूर्ण आसार है। डीजीपी पद के लिए जारी प्रक्रिया में पूर्व पैनल में भेजे गए नाम अरुण देव गौतम, पवन देव और हिमांशु गुप्ता के अलावा नए वाले पैनल में राज्य सरकार ने दो नाम और जीपी सिंह और एसआरपी कल्लूरी का नाम जोड़कर पांच नामों का पैनल केंद्र को भेजा है। इसमें वरिष्ठता क्रम में अरुण देव गौतम का नाम सबसे ऊपर बताया जाता है।
जानकारी के मुताबिक 5 फरवरी का दिन छत्तीसगढ़ पुलिस मुख्यालय में गहमा-गहमी से भरा हो सकता है। इस दिन ना केवल प्रदेश को नया डीजीपी मिलेगा बल्कि निवर्तमान डीजीपी अशोक जुनेजा रिटायर होने से पूर्व नए डीजीपी को कार्यभार सौंपेगे। इस बदलाव के साथ ही प्रदेश में पुलिसिंग के नए आयाम भी तय होंगे। दरअसल, अनुशासन और वैधानिक कार्यवाही को लेकर अरुण देव गौतम आध्यात्मिक रूचि, काफी अनुभवी और सख्त माने जाते है। उनकी कार्यप्रणाली से महकमे में काफी रचनात्मक बदलाव की उम्मीद की जा रही है। वे संयुक्त मध्यप्रदेश के दौर में कई जिलों में एसपी और 2 रेंज के आईजी रह चुके हैं।
छत्तीसगढ़ में अपनी सेवाओं के दौरान उन्होंने गृह सचिव और ओएसडी के रुप में भी लंबे समय तक काम किया है। पुलिस मुख्यालय में प्रशासन शाखा की भी जिम्मेदारी संभाल चुके गौतम कायदे-कानूनों को लेकर सचेत माने जाते हैं। जानकारी के मुताबिक गौतम मूल रूप से उत्तर प्रदेश के कानपुर के रहने वाले हैं। कानपुर जिला के अभयपुर गांव में 2 जुलाई 1967 को उनका जन्म हुआ था। उनकी प्राइमरी शिक्षा गांव के ही सरकारी स्कूल में हुई थी। इसके बाद वे उच्च शिक्षा के लिए इलाहाबाद (प्रयागराज) चले गए थे। यहाँ सरकारी राजकीय इंटर कॉलेज में पढ़ाई के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक (आर्टस) की डिग्री हासिल कर आल इंडिया सर्विस की तैयारी में जुट गए थे।
उन्होंने इलहाबाद विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में एमए किया। इसके बाद जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी नई दिल्ली से अंतरराष्ट्रीय कानून में एमफिल की डिग्री प्राप्त की। अरुण देव गौतम ने 1992 में यूपीएससी क्रैक कर आईपीएस बनने में सफलता अर्जित की। उन्हें अविभाजित मध्य प्रदेश कैडर मिला था। उनकी पहली पोस्टिंग बतौर ट्रेनी जबलपुर में हुई। इसके बाद तत्कालीन मध्य प्रदेश सरकार ने उन्हें बिलासपुर का सीएसपी बनाया था।
उन्होंने एसडीओपी कवर्धा के पद पर कार्य किया था। यही नहीं अरुण देव गौतम राजधानी भोपाल में एएसपी के पद पर भी रहे। उन्होंने एमपी सशस्त्र बल की 23वीं बटालियन के कमांडेंट के रूप में भी कुशल कार्य किया था। बताया जाता है कि जुनेजा ने सूचना आयुक्त बनने के लिए हाथ-पांव मारना शुरू कर दिया है। सूत्र यह भी तस्दीक कर रहे है कि पूर्ववर्ती भूपे सरकार के कार्यकाल की तर्ज पर बीजेपी सरकार में चलनशील चुनिंदा जूनियर आईपीएस अधिकारियों का एक धड़ा अभी भी अशोक जुनेजा को डीजीपी बनाये रखने के लिए एक साथ कई नुस्खों को आजमा रहा है। वे उन नए विकल्पों पर भी कार्यरत बताये जाते है, जिसके तहत जुनेजा की कार्यप्रणाली उनके लिए लाभदायक साबित हो सके। बहरहाल, यह देखना गौरतलब होगा कि राज्य सरकार मौजूदा डीजीपी अशोक जुनेजा का नया आशियाना कहाँ बसाने जा रही है।