रायपुर/दिल्ली। छत्तीसगढ़ के 22 सौ करोड़ के शराब घोटाले को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। ताजा जानकारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में राज्य के शराब घोटाले को लेकर दिए गए फैसले के अध्ययन के बाद केंद्रीय जांच एजेंसी ED के हौसले बुलंद नजर आ रहे हैं। अब वो पूरी सजकता के साथ नई कार्यवाही को नियमानुसार अंजाम दे रही है। यद्यपि तकनीकी त्रुटि के चलते ED को सुप्रीम कोर्ट में मुंह की खानी पड़ी हो लेकिन सुप्रीम फरमान के अध्ययन के बाद उसकी जांच की राह तय हो गई है। ED और EOW की सक्रियता ने टुटेजा एंड कंपनी समेत आरोपियों के अरमानों पर पानी फेर दिया है।
सूत्रों के मुताबिक राज्य के सबसे बड़े शराब घोटाले के आरोपी जल्द ही ED की गिरफ्त में होंगे ? इसके लिए नई ECIR दर्ज करने पर विचार विमर्श जारी है। बताते हैं कि EOW में दर्ज F.I.R. को प्रेडिकेट अफेंस के रूप में संज्ञान लेकर प्रवर्तन निदेशालय नई ECIR दर्ज कर सकता है, इसकी पूरी तैयारी कर ली गई है। इसके साथ ही आरोपियों से पूछताछ को लेकर EOW भी सक्रिय हो गया है। कारोबारी अनवर ढेबर और अरविंद सिंह की गिरफ्तारी के बाद नए आरोपियों की तलाश शुरू हो गई है। माना जा रहा है कि अभी कई और आरोपी EOW के हत्थे चढ़ सकते हैं।
छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले को लेकर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अनिल टुटेजा एंड कंपनी समेत लगभग आधा दर्जन आरोपियों को राहत दी थी। अदालत में ED की पूर्व में दर्ज ECIR खारिज कर दी गई थी। अदालत में आयकर विभाग की कार्यवाही को ED के लिए प्रेडिकेट अफेंस के दायरे में नही पाया था। जबकि दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में आयकर विभाग द्वारा दायर एक परिवाद को आरोपी अनिल टुटेजा और उनके पुत्र यश टुटेजा ने कोर्ट में चुनौती दी थी। इसमें ED की कार्यवाही को गैर कानूनी बताया गया था। बताया जाता है कि भू-पे राज में शराब घोटाले के आरोपियों को EOW और विधि विभाग के कई तत्कालीन अधिकारियों का सहयोग और संरक्षण प्राप्त था। नतीजतन जांच कार्यवाही को लेकर ED की टीम अलग थलग पड़ गईं थी।
उसने आयकर विभाग के परिवाद में दर्ज धारा 120 B को आधार बनाकर टुटेजा एंड कंपनी के खिलाफ ECIR दर्ज किया था। अदालत में यह कार्यवाही टांय-टांय फिस्स हो गई। कानून के जानकार बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने आयकर की धाराओं के तहत कार्यवाही को तो उपयुक्त माना, लेकिन उसमें IPC की धारा 120 B को भी दर्ज किए जाने के मामले को आपत्ति जनक और गैर जरूरी पाया गया। उनके मुताबिक आयकर विभाग अपनी कार्यवाही में IPC की धाराओं का उपयोग करने के बजाए सिर्फ आयकर एक्ट की धाराओं के तहत ही सीमित रहना था। इस तकनीकी त्रुटि के चलते टुटेजा एंड कंपनी को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली थी। उनके खिलाफ ED में दर्ज ECIR को कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
सूत्रों का दावा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अध्ययन के बाद एजेंसियों ने तकनीकी त्रुटि और भूल सुधार करने में जोर दिया है।इसके तहत आरोपियों के खिलाफ नई ECIR दर्ज करने का फैसला भी लिया गया है। इस ECIR में आबकारी विभाग के कई दागी अधिकारियों के खिलाफ भी नामजद अपराध पंजीबद्ध करने के फरमान प्राप्त हुए हैं। सूत्रों का दावा है कि नई ECIR में लगभग एक दर्जन आरोपियों के खिलाफ नामजद प्रकरण दर्ज किए जाने की एक सूचि तैयार कर ली गई है। इस सूचि में शामिल किए गए संभावित आरोपियों के नाम चौंकाने वाले बताए जाते है।
छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव के बीच दागी अधिकारियों और भ्रष्टाचार में लिप्त आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही को लेकर राजनैतिक सरगर्मियां तेज हैं। एजेंसियों ने अपनी कार्यवाही शुरू कर दी है, इसमें उन आरोपियों पर लगातार शिकंजा कस रहा है, जिनका नाता शराब घोटाले से जुड़ा था। राज्य की लगभग सभी 11 सीटों पर भ्रष्टाचार के मुद्दे ने मतदाताओं को प्रभावित करना शुरू कर दिया है।
जनता आरोपियों की धर-पकड़ और कड़ी कार्यवाही की उम्मीद कर रही है, जबकि कानूनी दांव-पेचों का सहारा लेकर आरोपियों और जांच एजेंसियों के बीच आंख मिचौली का खेल जारी है। इस बीच कानून के जानकारों की निगाहें विष्णुदेव साय सरकार के रूख पर टिकी हुई हैं। कयास लगाया जा रहा है कि शराब घोटाले की निष्पक्ष जांच के लिए राज्य सरकार CBI का दरवाजा भी खटखटा सकती है।