रायपुर / भोपाल : छत्तीसगढ़ में मनी लॉन्ड्रिंग और ब्लैक मनी के सूर्या की वही पुरानी दास्तान फिर सामने आई है | इस बार कई जिलों में जमीनों और खेत – खलियानो को ठिकाने लगाने का काम जोरो पर बताया जा रहा है | इन जिलों के रजिस्ट्री ऑफिस में सूर्यकांत गिरोह के सदस्य चौबीसो घंटे तैनात कर दिए गए है | उनका काम रजिस्ट्री के दस्तावेजों को तैयार कर फौरन उन्हें पंजीयक के सुपुर्द करना है ,ताकि खरीदी -बिक्री संबंधी किसी भी मामले की कानो कान खबर ना हो सके | यह गिरोह पूरी सतर्कता के साथ जमीनों को ठिकाने लगाने में जुटा है |
सूत्र बताते है कि पिछले दो माह में 15 करोड़ से ज्यादा की अचल संम्पति ठिकाने लगा दी गई है | ये संम्पति वर्ष 2019 -2020 में खरीदी गई थी | इसे स्टाम्प एग्रीमेंट के जरिए ख़रीदा गया था | चूँकि नगदी में भुगतान किया गया था ,इसलिए उन जमीनों की रजिस्ट्री नहीं कराई गई थी | लेकिन अब कच्चे में खरीदी गई ऐसी जमीनों के उजागर होने के अंदेशे के चलते उसे ठिकाने लगाया जा रहा है |
यह भी बताया जाता है कि कुछ खरीददार ऐसे है ,जो ईडी -आयकर के खतरे को भांप रहे है ,लिहाजा वे सावधानी के साथ सूर्यकांत तिवारी की बेनामी जमीनों का सौदा कर रहे है | बताया जाता है कि रायपुर स्थित अनुपम नगर के आस -पास भी ऐसी कुछ जमीन एवं भवन है ,जिन्हे हाल ही में बेच दिया गया है | जानकारी के मुताबिक रजिस्ट्री ऑफिस से ऐसी खरीद फरोख्त का खुलासा ना हो पाए ,इसके लिए काफी गोपनीयता बरती जा रही है |
सूत्रों के मुताबिक इस काम में लगभग आधा दर्जन ऐसे लोगो के नामो का खुलासा हुआ है ,जिनका सूर्यकांत समेत कुछ एक अखिल भारतीय सेवाओं के अफसरों के साथ करीब का नाता है | अंदेशा है कि ऐसी जमीनों के निवेश में उन अफसरों की भागीदारी भी हो सकती है | बताया जाता है कि रायपुर ,महासमुंद ,दुर्ग ,बालोद,बेमेतरा और धमतरी में सूर्यकांत तिवारी के परिजनों समेत उसके गिरोह में शामिल अफसरों के करीबियों का आए दिन रजिस्ट्री ऑफिस में जमावड़ा लग रहा है | ये गिरोह धड़ल्ले से बेनामी सम्पतियो की सौदेबाजी में जुटा है |
उधर कच्ची -पक्की रकम को ठिकाने लगाने के अलावा इस गिरोह ने सरकारी संस्थाओ में ठेको से जुड़े दस्तावेजों को दुरुस्त करने और फर्जी दस्तावेजों को रफा -दफा करने के मामले में भी हाथ -पैर मारना शुरू कर दिया है | जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ -मध्यप्रदेश में सूर्यकांत तिवारी ने अपनी सहयोगी फर्मो के माध्यम से कई ठेके गैर कानूनी रूप से हासिल किये है |
इसमें फर्जी दस्तावेजों के अलावा बैलेंस शीट में भी कलाकारी की गई है ,ताकि टेंडर की शर्तो के साथ “योग्यता ” के पैमाने को पूरा किया जा सके | छत्तीसगढ़ के बाद मध्यप्रदेश में सूर्यकांत ने 108 एम्बुलेंस और 104 जननी एक्सप्रेस के टेंडर को हथियाने के लिए बड़ी साजिश रची थी |
लेकिन भोपाल के जागरूक मीडिया और अफसरों ने उसे नाकाम कर दिया | यहाँ टेंडर हासिल करने के लिए निर्धारित योग्यता को पूरा करने के लिए छत्तीसगढ़ की तर्ज पर फर्जीवाड़ा किया गया था | मामले की जांच के बाद अब स्वास्थ्य विभाग सूर्यकांत गिरोह पर FIR दर्ज कराने की तैयारी में है | यहाँ सूर्यकांत की कंपनी को टेंडर प्रक्रिया से बाहर कर ब्लैक लिस्टेड करने की प्रक्रिया भी अंतिम चरणों में है | बताया जाता है कि “भूपेश बघेल सरकार” के अनुचित संरक्षण के चलते छत्तीसगढ़ में 108 एम्बुलेंस की टेंडर प्रक्रिया की कोई जांच नहीं कराई गई |
यहाँ भी “योग्यता”में फर्जीवाड़ा सामने आया था | टेंडर प्रक्रिया में शामिल GVK कंपनी ने मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में एम्बुलेंस ठेको में बड़े फर्जीवाड़े को लेकर एक शिकायत भारत सरकार से की है | इसमें सेंट्रल फंड के दुरूपयोग और भ्रष्टाचार का हवाला देते हुए सीबीआई जांच की मांग की गई है | सूत्र बताते है कि इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह आने वाले दिनों में कोई बड़ा फैसला ले सकते है |
सूत्र बताते है कि छत्तीसगढ़ में सूर्यकांत तिवारी और उसके गिरोह को गैर कानूनी सरंक्षण देने के मामले में एक कानून के जानकार (जज ) भी शामिल है ,जो उसका जीजा बताया जाता है | आयकर – ईडी की छापेमारी के दौरान कई दस्तावेजों को छिपाने -ठिकाने लगाने के लिए उसके सरकारी बंगले का इस्तेमाल किए जाने की खबरे सुर्खियों में रही है|
बताते है कि सरकार की गोद में बैठकर उसका जीजा कई गैर कानूनी गतिविधियों को सरकारी मशीनरी के जरिये अंजाम दे रहा है | यह भी बताया जाता है कि ऐसे कई मामलो में जीजा -साले की जोड़ी ने ऐसे गुल खिलाए है ,जो न्याय पालिका की साख और विश्ववास पर चोट करते है | फिलहाल शीर्ष अदालत और जांच एजेंसियों से सरकार की गोद में बैठे इस जज के खिलाफ भी वैधानिक कार्यवाही की मांग जोर पकड़ रही है |