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चीन की चाल का शिकार हो गया नेपाल, पहली बार भारतीय सीमा पर सेना तैनात करेगा नेपाल, संसद में पेश किया नए नक्शे का बिल, तुला रिश्ते बिगाड़ने पर, हालात पर भारत की नज़र

दिल्ली वेब डेस्क / नेपाल और भारत के बीच चल रहे सीमा विवाद में नेपाल के तरफ से एक और विवादास्पद फैसला किया गया है | दरअसल उत्तराखंड के तीन इलाकों पर नेपाल ने अपना दावा जताया है | इससे भारत के साथ उसकी तल्खी और बढ़ सकती है | नेपाल की सरकार ने तीन भारतीय हिस्सों को अपना बताकर संशोधन बिल को नेपाली संसद में पेश कर दिया | इससे पहले उसने इन इलाकों के प्रस्ताव पर अपने कदम पीछे खींच लिए थे |

नेपाल ने उत्तराखंड में भारतीय क्षेत्र कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा पर दावा करते हुए इन इलाकों को अपने देश में जोड़ा है | यही नहीं उसने नया नक्शा जारी कर इसे संवैधानिक मान्यता दिलाने के लिए संसद में पेश किया | नेपाल के इस कदम पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कड़ी आपत्ति जताई है |

नेपाली संसद में इस बिल को कानून मंत्री शिवमाया तुंबाहंफे ने पेश किया था | इस पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए भारत के विदेश मंत्रालय ने नेपाल को भारतीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने को कहा है |

उधर नेपाली कांग्रेस नए नक्शे को अपडेट करने के लिए संविधान संशोधन का समर्थन कर रही है | उसने लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी के विवादित क्षेत्रों को अपने नक्शें में शामिल करने का फैसला कर भारत को उकसाने की कार्रवाई की है | नेपाली प्रधानमंत्री केपी ओली ने दावा किया है कि हम एक इंच जमीन भी नहीं छोड़ेंगे |

नेपाल के कदम यही नहीं थमे | वहां की सरकार ने नेपाल प्रवेश करने के लिए खुली भारतीय सीमाओं को बंद करने और सरकार द्वारा निर्धारित सीमा क्षेत्र से ही नेपाल में एंट्री देने का फैसला किया है | ऐसा पहली बार हो रहा है कि भारत के साथ तनाव को देखते हुए नेपाल ने अपने सीमावर्ती क्षेत्रों में सेना की तैनाती को भी मंजूरी दी है |

नेपाल और भारत के बीच करीब 1,700 किलोमीटर की खुली सीमाएं हैं | अभी तक नेपाल आने वाले भारतीय नागरिकों को बिना रोक-टोक अपनी सुविधा के मुताबिक इन खुली सीमाओं से एंट्री मिलती थी | नेपाल सरकार के ताजा फैसले से अब सिर्फ निर्धारित सीमा से ही नेपाल में प्रवेश करने की इजाजत मिलेगी |

दरअसल नेपाल भारत के बीच बॉर्डर को नियंत्रित करना, बन्द करना और सेना की तैनाती करना दोनों देशों के बीच 1950 में हुए मैत्री संधि के खिलाफ बताया जा रहा है | हालाँकि नेपाल की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी हमेशा से इस संधि के खिलाफ रही है | उसके चुनावी घोषणा पत्र से लेकर हर सभा सम्मेलन में आजाद भारत के साथ हुए पहले समझौते का विरोध किया जाता रहा है | कम्युनिस्ट नेताओं का एक बड़ा एजेंडा भारत के साथ रहे सांस्कृतिक, धार्मिक, पारिवारिक और राजनीतिक संबंधों को खत्म करने का दावा करता रहा है |

उधर दोनों देशों के रिश्ते में तनाव आने से नेपाल के नागरिक भी खुश नहीं हैं | दोनों देशों में रोटी-बेटी और रोजगार का नाता होने की वजह से नेपाल के लोग भी भारत से अपने संबंधों को खराब नहीं होने देना चाहते हैं | फ़िलहाल देखना होगा कि नेपाली सरकार का यह कदम उसके लिए कितना घातक साबित होता है |

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