छत्तीसगढ़-बस्तर: नक्सल संगठनों के बीच एक बार फिर मतभेद खुलकर सामने आए हैं. एक ओर जहां बड़ी संख्या में नक्सली मुख्यधारा में लौटते हुए आत्मसमर्पण कर रहे हैं और कुछ संगठन ‘युद्धविराम’ (Ceasefire) की अपील कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर नक्सलियों की केंद्रीय कमेटी ने नए पत्र में साफ कहा है कि संघर्ष जारी रहेगा और हथियार नहीं डाले जाएंगे।
केंद्रीय कमेटी की ओर से जारी इस तीन पन्नों के पत्र में आत्मसमर्पित नक्सल नेता सोनू और सतीश के बयानों का खंडन किया गया है. पत्र में दावा किया गया है कि दोनों नेताओं ने “अवसरवाद और विनाशकारी रवैया अपनाकर संगठन से धोखा किया” और महाराष्ट्र व छत्तीसगढ़ सरकारों से समझौता कर आत्मसमर्पण किया.
कमेटी ने पत्र में आरोप लगाया कि आत्मसमर्पण की प्रक्रिया कोई आकस्मिक नहीं थी, बल्कि यह “योजना के तहत की गई साजिश” थी. पत्र में लिखा है कि तीन महीने पहले सोनू ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से संपर्क किया था, जबकि सतीश ने छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री से पत्रकारों के माध्यम से संपर्क साधा था.
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले तेलंगाना राज्य समिति के प्रवक्ता ‘जगन’ ने छह महीने के युद्धविराम की अपील की थी, ताकि सरकार और नक्सली संगठन संवाद की दिशा में आगे बढ़ सकें. लेकिन अब केंद्रीय कमेटी के ताजा बयान ने इस अपील पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
