जगदलपुर।
बस्तर संभाग में सुरक्षा बलों द्वारा चलाए जा रहे लगातार और सघन नक्सल विरोधी अभियानों से माओवादी संगठन अब बैकफुट पर आते नजर आ रहे हैं। अपनी कमजोर होती पकड़ और जनसमर्थन में आई गिरावट से बौखलाए नक्सली अब निर्दोष ग्रामीणों को निशाना बनाकर अपनी मौजूदगी का एहसास कराने की कोशिश कर रहे हैं।

साल 2025 की शुरुआत से अब तक नक्सली हिंसा में 30 ग्रामीणों की हत्या की जा चुकी है। इनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, मुखबिरी के शक में माओवादियों ने 27 ग्रामीणों की बेरहमी से हत्या कर दी, जबकि 3 ग्रामीण नक्सलियों द्वारा लगाए गए IED ब्लास्ट की चपेट में आकर मारे गए।

विशेषज्ञों का मानना है कि माओवादी संगठन अब अपने अस्तित्व को बचाने के लिए डर और आतंक का सहारा ले रहे हैं। लेकिन सुरक्षा बलों की रणनीतिक कार्रवाई और ग्रामीणों के सहयोग से नक्सलियों की गतिविधियों पर धीरे-धीरे लगाम लगती नजर आ रही है।
बस्तर के पुलिस अधिकारियों का कहना है कि ग्रामीणों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है और लगातार सर्च ऑपरेशन के जरिए नक्सलियों की कमर तोड़ने की रणनीति पर काम किया जा रहा है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत सुरक्षा बलों को दें और डरने की बजाय सतर्क रहें।
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति स्थापना और विकास की गति तेज करने के लिए सरकार द्वारा कई कल्याणकारी योजनाएं भी चलाई जा रही हैं, ताकि आदिवासी क्षेत्रों को मुख्यधारा से जोड़ा जा सके।
