
लखनऊ: ईद-उल-अजहा (बकरीद) का त्योहार सिर पर है। इसकी रौनक अभी से शुरू हो गई है।बकरीद को इस्लाम धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है। इस बार 7 जून को बकरीद मनाई जाएगी. बकरीद के मौके पर बकरे की कुर्बानी दी जाती है। कई प्रदेशों में इसके साथ ही सुरक्षा व्यवस्था को लेकर प्रशासन भी मुस्तैद नजर आ रहा है। इस बीच मरकजी चांद कमेटी की ओर से ईद मनाने की हिदायत दी जा रही है।

लखनऊ में मौलाना खालिद रशीद ने लोगों से की अपील है कि ईद-उल-अजहा की नमाज घरों में अदा करें, एक बकरे की कुर्बानी करे। इस्लामिक सेन्टर ऑफ इंडिया फिरंगी महल के चेयरमैन मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने लोगों से ईदुल अजहा की नमाज घर पर अदा करने का अनुरोध करते हुए कहा कि कोरोना संक्रमण तेजी से प्रदेश में पैर पसार रहा है, इसलिए हम सभी को सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन का पालन करना चाहिए। उन्होंने लोगों अपने घरों में ही कुर्बानी करें। ईद-उल फित्र की तरह मस्जिद में पांच लोग ही ईद-उल-अजहा की नमाज अदा करें। उन्होंने कहा कि कुर्बानी की फोटो सोशल मीडिया पर न डालें।

मौलाना ने कहा कि कुर्बानी जायज है, लेकिन कोविड महामारी को देखते हुए इस साल सिर्फ एक ही बकरे पर कुर्बानी कराए। कुर्बानी के बचे हुई रकम से गरीब व बेसहारा लोगों की मदद करें। मौलाना खालिद रशीद ने कहा कि जिस तरह से मुसलमानों ने शबे-बरात, ईदुल फित्र का त्योहार पर इबादत और खुशी का इजहार किया था। उसी तरह से ईदुल अजहा का त्योहार भी मनाए। मौलाना इस बार सिर्फ एक ही बकरे पर कुर्बानी किए जाने की अपील लोगों से की है। मौलाना ने कहा कि कुर्बानी का खून नाली में न बहने दें बल्कि कच्ची मिट्टी में दफना दें। उन्होंने कुर्बानी के बाद निकलने वाले अवशेषों को खुले में फेंके बल्कि नगर निगम की गाड़ी में डाले। इससे गंदगी नहीं फैलेगी। हमेशा की तरह उन्हीं जानवरों की कुर्बानी की जाए जिन पर कोई कानूनी पाबंदी नहीं है।

मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कुर्बानी को लेकर साफ किया है कि इसका ना तो वीडियो बनाये और ना ही सोशल मीडिया में इसे पोस्ट करे। उन्होंने कहा कि कुर्बानी सार्वजनिक स्थलों, गली-चौराहों और बस्तियों में ना होकर प्रशासन द्वारा निर्धारित स्थलों पर हो। उन्होंने यह भी कहा कि कुर्बानी के खून और अवशेषों को ना तो कचरे में फेंके और ना ही खून नालियों में बहाया जाये, यह बेअदबी होती है। उन्होंने बकरीद पर 12 पॉइंट प्रोग्राम जारी कर मुस्लिम धर्मावलंबियों से इसका पालन सुनिश्चित करने की अपील की है।

इससे पहले मरकज़ी चांद कमेटी फ़िरंगी महल के सदर और काज़ी-ए-शहर मौलाना खालिद रशीद फ़िरंगी महली, इमाम ईदगाह लखनऊ ने भी यही ऐलान किया था कि 28 मई को चांद नज़र आ गया है और 29 मई को ज़िल हिज्ज का पहला दिन होगा. जिसके बाद से पूरे इत्तेहाद के साथ ये तय हो गया है कि ईद-उल-अज़हा (बकरीद) 7 जून 2025 को अकीदत व एहतराम के साथ मनाई जाएगी.