इंडिया टुडे-सीवोटर के Mood of the Nation (MOTN) सर्वे में अधिकांश लोगों ने माना कि बिहार में विशेष गहन संशोधन (SIR) प्रक्रिया मतदान की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए है। सर्वे के अनुसार, 58% उत्तरदाताओं ने इसे नागरिकों के मतदान अधिकार को सुनिश्चित करने वाला कदम बताया। वहीं, 17% ने इसे सत्तारूढ़ दल के पक्ष में और 12% ने प्रक्रिया के समय पर संदेह जताया।
सर्वे का दायरा
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह सर्वे 1 जुलाई से 14 अगस्त 2025 तक चला। इसमें सभी लोकसभा क्षेत्रों से 54,788 लोगों के इंटरव्यू और सीवोटर के नियमित ट्रैकर डेटा से 1,52,038 इंटरव्यू शामिल किए गए। कुल 2,06,826 उत्तरदाताओं की राय इस MOTN रिपोर्ट का आधार बनी।
विशेष गहन संशोधन (SIR) क्या है?
चुनाव आयोग ने 25 जून 2025 से बिहार में SIR प्रक्रिया शुरू की। यह 2003 के बाद मतदाता सूची का सबसे बड़ा बदलाव है और 30 सितंबर तक चलेगा। इसके तहत करीब 3 करोड़ निवासियों को जन्म तिथि और स्थान प्रमाणित करने वाले दस्तावेज जमा करने होंगे। चुनाव आयोग का कहना है कि यह प्रक्रिया डुप्लिकेट प्रविष्टियों को हटाने, गलतियों को सुधारने और प्रवास एवं जनसांख्यिकीय बदलावों के अनुसार रिकॉर्ड अपडेट करने के लिए है।
राजनीतिक विवाद
बिहार विधानसभा चुनावों से कुछ महीने पहले इस कदम ने तीखी राजनीतिक बहस छेड़ दी। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, राजद नेता तेजस्वी यादव और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) से तुलना करते हुए आलोचना की। उनका आरोप है कि इससे कमजोर वर्ग के लोग मताधिकार से वंचित हो सकते हैं।
