
राजनांदगांव । आपने बेटे की अर्थी पर मां और भाई-पिता-बहनों को बिलखते हुए तो देखा होगा | साथियों को करूण-क्रंदन करते भी बार-बार सुना होगा | लेकिन क्या आपने जवान बेटे को गायन के साथ अंतिम विदाई देते कभी भी एक मां देखा है ,नहीं ना | पर सोशल मीडिया पर भी एक मां का दर्द सुर्खियां बना हुआ है । लोक गायिका पूनम तिवारी ने अपने बेटे सूरज की अर्थी के सामने अपने नाटक का सुप्रसिद्ध गाना “एकर का भरोसा चोला माटी के राम गाकर बेटे को विदाई दी वो रोती रही और गाती रही । भले ही छत्तीसगढ़ की मशहूर अदाकारा पूनम तिवारी की आवाज में खनक की जगह दर्द था | आँखों में खुशियों की चमक की जगह आंसूओं का सैलाब था | लेकिन बेटे को जिस अंदाज में मां की विदाई में उससे मार्मिक विदाई एक कलाकार बेटे को कभी नहीं मिल सकता था ।
झकझोर देने वाली ये घटना राजनांदगांव की है ,राजनांदगांव में छत्तीसगढ़ की मशहूर नाट्यकर्मी औऱ लोक गायिका पूनम तिवारी और संगीत नाट्य अकादमी सम्मान से सम्मानित दीपक तिवारी के युवा बेटे सूरज की मौत के बाद उसकी अंतिम विदाई के लिए जो रास्ता अपनाया उससे सबका दिल भर आया । दीपक वो हृदय की बीमारी से जूझ रहे थे । कलाकार मां-पिता ने अपने बेटे की विदाई के लिए जो रास्ता अख्तियार किया, वो मार्मिक भी था और मिसाल भी। लोक गायिका पूनम तिवारी ने अपने बेटे सूरज की अर्थी के सामने अपने नाटक का सुप्रसिद्ध गाना “एकर का भरोसा चोला माटी के राम गाकर बेटे को विदाई दी । 30 वर्षीय सूरज की इच्छा के अनुसार उसकी शव यात्रा मंडलियों के साथी के साथ गाते बजाते निकली ।
30 वर्षीय सूरज की इच्छा के अनुसार उसकी शव यात्रा मंडलियों के साथी के साथ गाते बजाते निकली । सूरज ने 29 अक्टूबर को चदैंनी गोंदा के कार्यक्रम में तबले पर अपनी अंतिम प्रस्तुति दी थी । पूनम तिवारी द्वारा जय बोलो जय बोलो नारायण का गायन अपने जवान बेटे की लाश के सामने करना जीवन की सारी हक़ीक़त को उजागर कर रहा था । दोस्तों के आंखों में आंसू थे, मां विलाप करते हुए कह रही थी… चोला माटी के हो राम… एकर क्या भरोसा…