दोहरी नागरिकता को लेकर पसोपेश में मोदी सरकार, इलाहाबाद हाईकोर्ट का ऐलान- ‘अगर केंद्र सरकार नहीं लेती है फैसला तो’, इसे कोर्ट की अवमानना मानी जाएगी….

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प्रयागराज: उत्तरप्रदेश हाईकोर्ट की एक टिप्पणी से कांग्रेस का क़ानूनी गलियारा गरमाया हुआ है। प्रयागराज हाईकोर्ट के एक निर्देश के बाद कई केंद्रीय मंत्रियों और बीजेपी नेताओं के अलावा कांग्रेस के नेताओं के फ़ोन वकीलों और पत्रकारों के मोबाइल पर घन-घना रहे है।

दरअसल, सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की नागरिकता के मामले में आज सोमवार (5 मई 2025) को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई हुई है। इस दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह राहुल गाँधी की नागरिकता मामले में जल्द से जल्द अंतिम निर्णय ले और याचिकाकर्ता को सूचित करे।

हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि यह दो सरकारों के बीच से जुड़ा विषय है। कोर्ट ने कहा कि अब पूरी जिम्मेदारी भारत सरकार पर है। भारत सरकार अगर इसमें फैसला नहीं लेता है तो इसे कोर्ट की अवमानना मानी जाएगी।

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगर केंद्र सरकार की तरफ से कोई अंतिम निर्णय लिया जाता है तो याचिकाकर्ता फिर से हाईकोर्ट का रुख कर सकते हैं। कोर्ट ने राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर दाखिल याचिका को निस्तारित कर दिया है, यानि कि मामला यहां खत्म कर दिया गया है। राजनैतिक गलियारों में राहुल गांधी की नागरिकता मामले को लेकर सनसनी है।

सुब्रमण्यम स्वामी समेत बीजेपी के कई नेता राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर सदन से लेकर सड़क तक सवाल खड़े कर चुके है। ऐसे में अदालत में जारी रस्साकसी, सुर्ख़ियों में है। कांग्रेस संगठन के नेताओं ने इस मामले में अभी अपनी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की है।

हालांकि एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक विरोधियों ने बगैर किसी ठोस जानकारी के राहुल गाँधी की नागरिकता को राजनैतिक रंग दिया था। लेकिन अदालत में कोई स्पष्ट तथ्य नहीं रख पाए, लखनऊ खंडपीठ के फैसले के बाद नागरिकता का मुद्दा ही ख़त्म हो गया है। अदालत का फैसला राहुल गांधी के लिए राहत का पैगाम है या फिर नई मुसीबत ? यह तो वक़्त ही बताएगा।