बांग्लादेश में मोदी इफ्फेक्ट, हिंदुओं को खुश करने की कवायत, नए नोटों से हटे बंगबंधु शेख मुजीबर रहमान, अब हिंदू और बौद्ध मंदिर….   

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कोलकाता/दिल्ली: बांग्लादेश में नया सबेरा उदय हुआ है। देश के करेंसी नोटों पर आज से बंग बंधु मुजीबुर रहमान की तस्वीरें हटा ली गई है, अब ऐसी तस्वीरों वाले नोट इतिहास की इबारत हो गई हैं। रविवार देर शाम बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से मंजूरी मिलने के बाद बैंक की ओर से नई नोटें जारी की गई हैं। इन नोटों में मुजीबुर रहमान की तस्वीरें नहीं हैं। बांग्लादेश की नई करेंसी की डिजाइन को पेंटर जैनुल आबेदीन ने तैयार किया है। इसमें बंगाल के अकाल को दर्शाया गया है। बांग्लादेश बैंक के प्रवक्ता आरिफ हुसैन खान ने कहा कि नई सीरीज के नोटों की डिजाइन पहले से काफी अलग है। अब इन नोटों में किसी इंसान को नहीं दिखाया जाएगा। इसके स्थान पर बांग्लादेश की प्राकृतिक सुंदरता और परंपरा को इसमें दर्शाया गया है।

बांग्लादेश में ऐसा पहली बार नहीं है, जब करेंसी नोटों के डिजाइन में बदलाव हुआ है और ऐसा राजनीतिक कारणों से किया गया है। पहली बार 1972 में जो भी नोटों में बदलाव किया गया था। तब नोटों पर बांग्लादेश का नक्शा छपा करता था और उसकी जगह मुजीबर रहमान की तस्वीरों ने ली थी। ऐसा अक्सर अवामी लीग की सरकार के दौरान हुआ। फिर जब भी कभी बांग्लादेश में खालिदा जिया की बीएनपी को सत्ता मिली तो उसने ऐतिहासिक स्मारकों को नोटों पर जगह दी थी।

भारत के सहयोग से 1971 में अस्तित्व में आने वाले बांग्लादेश में पहली बार शेख मुजीबर रहमान करेंसी में छपते चले आ रहे थे। वह पूर्व पीएम शेख हसीना के पिता भी थे। शेख हसीना को बीते साल ही बांग्लादेश में हुए तख्तापलट के बाद सत्ता से हटना पड़ा था और फिर वह देश ही छोड़कर दिल्ली आ गई थी। शेख हसीना के पद से हटने के बाद अंतरिम सरकार के मुखिया के तौर पर मोहम्मद यूनुस नेतृत्व संभाल रहे हैं। उनके नेतृत्व वाली सरकार के दौरान भी बांग्लादेश में जमकर हिंसा जारी है।

शेख मुजीबर रहमान से जुड़े धानमंडी स्थित स्मारक तक को आग के हवाले कर दिया गया था। इसके अलावा शेख हसीना के घर को भी फूंक दिया गया। अब नए करेंसी नोट जो जारी किए गए हैं, उनमें किसी नेता की तस्वीर नहीं होगी। इसकी बजाय राष्ट्रीय शहीद स्मारक को जगह दी गई है। यही नहीं बांग्लादेश के कुछ ऐतिहासिक स्थानों को भी इन नोटों में दर्शाया गया है। इन स्थानों में हिंदू और बौद्ध मंदिर भी शामिल हैं। अब तक बांग्लादेश की करेंसी में शेख मुजीबुर रहमान दिखते थे। उन्होंने 1971 के बांग्लादेश स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया था और 1975 में तख्तापलट के दौरान उनका कत्ल कर दिया गया था। 

बांग्लादेश में तख्ता पलट के आसार नजर आने लगे है। हालांकि सेना के कड़े रुख के बाद अंतरिम सरकार ने दिसंबर के पूर्व आम चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी है। इस बीच जारी संघर्षों के चलते बांग्लादेश की माली हालत तेजी से पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था की ओर रुख कर रही है। भारत के रुख के चलते बांग्लादेशी बाजार तेजी से टूट रहा है। जबकि भारतीय मुद्रा नए प्रतिमान स्थापित कर रही है। मोदी की नीति से यहाँ की अर्थव्यवस्था को कड़ी चुनौती मिल रही है। अब बांग्लादेशी उत्पात महंगे हो चले है। जबकि बेरोजगारी दर भी नई ऊंचाइयां छू रही है। ऐसे में यह देश एक बार फिर भारत की ओर कदम बढ़ाने लगा है। सेना और बुद्धिजीवी चीन के बजाय भारत को खुश करने पर जोर दे रहे है।